बुद्ध पूर्णिमा विशेष, जानिए क्या है इसका महत्व और कहानी

डिजिटल डेस्क । इस साल बुद्ध पूर्णिमा 30 अप्रैल को पड़ रही है । वैसे तो ये दुनिया के कई हिस्सों में मनाई जाती है , लेकिन भारत में इसका खासा महत्व हैं। दरअसल भारत के सन्यासी राजा सिद्धार्थ गौतम के जरिए बौद्ध धर्म की नींव रखी गई थी, जिसे आज पुरी दुनिया में जाना जाता है। ये इकलौता ऐसा धर्म है जिसने देश के बाहर कदम रखा, इतना ही नहीं भारत में जन्में इस धर्म को बहुसंख्या में विदेशियों ने अपनाया है। आज के वक्त में भारत के अलावा ऐसे कई देश हैं जहां बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं।
बता दें बौद्ध धर्म विश्व के प्राचीन धर्मों में से एक है। वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा भी कहते हैं। माना जाता है कि इसी दिन गौतम बुद्ध की जयंती है और उनका निर्वाण दिवस भी होता है। इसी दिन भगवान बुद्ध को बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी। आज बौद्ध धर्म को मानने वाले विश्व में 50 करोड़ से अधिक लोग इस दिन को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। हिन्दू धर्मावलंबियों के लिए बुद्ध विष्णु के नौवें अवतार हैं। अतः हिन्दुओं के लिए भी ये दिन पवित्र माना जाता है।
कैसे मनाई जाती है बुद्ध पूर्णिमा
बुद्ध पूर्णिमा के दिन पूरी दुनिया के बौद्ध मठों में भगवान बुद्ध के उपदेशों और प्रार्थनाओं की गूंज सुनाई देती है । बुद्ध पूर्णिमा के दिन सभी अनुयायी उनकी शिक्षाओं को याद करते हैं और उनकी पूजा-अर्चना करते हैं ।
दान का है बड़ा महत्व
बुद्ध पूर्णिंमा एक ऐसा दिन होता है जब आप दान-पुण्य करके अपनी किस्मत को चमका सकते हैं । बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध धर्म मानने वालों का सबसे बड़ा त्यौहार है । इस दिन बौद्ध धर्म को मानने वाले कई तरह के समारोह आयोजित करते हैं । दुनिया भर में फैले बौद्ध अनुयायी इसे अपने अपने तरीके से मनाते हैं । कहा जाता है कि अगर बुद्ध पूर्णिमा के दिन धर्मराज के निमित्त जलपूर्ण कलश और पकवान दान किए जाएं तो सबसे बड़े दान गौ दान के बराबर फल मिलता है ।
बुद्ध के उपदेश
भगवान बुद्ध ने बताया है कि केवल मांस खानेवाला ही अपवित्र नहीं होता, बल्कि क्रोध,व्यभिचार, छल, कपट, ईर्ष्या और दूसरों की निंदा भी इंसान को अपवित्र बनाती है । मन की शुद्धता के लिए पवित्र जीवन बिताना जरूरी है । यही वजह है कि कुछ लोग बुद्ध पूर्णिमा के दिन पक्षियों को भी पिंजरों से आजाद करते हैं।
बोधगया और बोधिवृक्ष की पूजा है महत्व
बुद्ध पूर्णिमा के दिन बोधगया में काफी लोग आते हैं, दुनिया भर से बौद्ध धर्म को मानने वाले यहां आते हैं । बुद्ध पूर्णिमा के दिन बोधिवृक्ष की पूजा की जाती है, बोधि वृक्ष बिहार के गया जिले में बोधगया स्थित महा बोधि मंदिर में हैं, वास्तव में यह एक पीपल का पेड़ है ।
क्या है बोधिवृक्ष की कहानी
मान्यता है कि इसी पेड़ के नीचे ईसा पूर्व 531 में भगवान् बुद्ध को बोध यानी ज्ञान प्राप्त हुआ था । बुद्ध पूर्णिमा के दिन बोधि वृक्ष की टहनियों को भी सजाया जाता है, इसकी जड़ों में दूध और इत्र डाला जाता है और दीपक जलाए जाते हैं ।
मान्यताएं
कहते है कि अगर बुद्ध पूर्णिमा के दिन धर्मराज के निमित्त जलपूर्ण कलश और पकवान दान किये जाएं तो सबसे बड़े दान गोदान के बराबर फल मिलता है। हिन्दू मान्यता के अनुसार बुद्ध पूर्णिमा के दिन पांच या सात ब्राह्मणों को मीठे तिल दान करने चाहिए। ऐसा करने से पापों का नाश होता है। मान्यता ये भी है कि बुद्ध पूर्णिमा के दिन अगर एक समय भोजन करके पूर्णिमा, चन्द्रमा या सत्यनारायण का व्रत किया जाए, तो जीवन में कोई कष्ट नहीं होता।
बुद्ध पूर्णिमा पर श्रीलंका में मनती है दिवाली
श्रीलंका में बुद्ध पूर्णिमा को काफी हद तक भारत की दिवाली की तरह मनाया जाता है, यहाँ इस दिन घरों में दीपक जलाए जाते हैं। घरों और प्रांगणों को फूलों से सजाया जाता है।
Created On :   12 April 2018 12:15 PM IST