चैत्र नवरात्रि 2020: पहले दिन करें करें मां शैलपुत्री की पूजा, जानें विधि

Chaitra Navratri 2020: Worship Maa Shailputri on the first day, learn the method
चैत्र नवरात्रि 2020: पहले दिन करें करें मां शैलपुत्री की पूजा, जानें विधि
चैत्र नवरात्रि 2020: पहले दिन करें करें मां शैलपुत्री की पूजा, जानें विधि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ आज बुधवार 25 मार्च से हो गया है। इस दिन शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना होगी और इसी के साथ शुरू होगी देवी की आराधना। इस दौरान माता के भक्त व्रत भी रखते हैं। आपको बता दें कि शक्ति और भक्ति के इस पर्व पूरे नौ दिनों तक मां के अलग अलग स्वरूपों की पूजा अर्चन की जाती है।

नवरात्रि के पहले दिन शैलपुत्री की पूजा होती है, जो कि मां दुर्गा का ही एक स्वरूप है। इससे पहले कलश स्थापना होती है और जहां पूजा वाले स्थान को गंगाजल और गोबर से पवित्र किया जाता है। फिलहाल आइए जानते हैं मां शैलपुत्री के बारे में...

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​मां शैलपुत्री 
मां शैलपुत्री सुख-समृद्धि की दाता होती हैं, इसलिए इनकी पूजा जीवन में सुख-समृद्धि की प्रप्ति के लिए होती है। माना जाता है कि मां शैलपुत्री की पूजा करने से जीवन में स्थिरता आती है। पुराणों के अनुसार हिमालय की पुत्री होने के कारण इन्हें प्रकृति स्वरूपा भी कहा जाता है। इसके अलावा एक और ​कथा प्रचलित है, जिसमें मां शैलपुत्री का पूर्व जन्म में नाम सती बताया गया है। पुराण के अनुसार पूर्व जन्म में मां शैलपुत्री का नाम सती था जो भगवान शिव की पत्नी थी। मां शैलपुत्री को अखंड सौभाग्य का प्रतीक भी माना जाता है। का महत्व और शक्तियां अनंत हैं।

ऐसे करें पूजा
नवरात्रि के पहले दिन पूजा वाले स्थान को अच्छी तरह साफ और पवित्र कर मां शैलपुत्री की तस्वीर स्थापित करें। उसके नीचे लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं। इसके ऊपर केसर से शं लिखें और उसके ऊपर मनोकामना पूर्ति गुटिका रखें। हाथ में लाल पुष्प लेकर शैलपुत्री देवी का ध्यान करें।

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पूजा विधि 
नवरात्रि प्रतिपदा के दिन कलश या घट स्थापना के बाद दुर्गा पूजा का संकल्प लें। इसके बाद माता दुर्गा के प्रथम रूप शैलपुत्री की​ विधि विधान से पूजा अर्चना करें। माता को अक्षत्, सिंदूर, धूप, गंध, पुष्प आदि अर्पित करें। इसके बाद माता के मंत्र का उच्चारण करें। फिर अंत में कपूर या गाय के घी से दीपक जलाकर उनकी आरती उतारें और शंखनाद के साथ घंटी बजाएं। यदि संभव हो सके तो दुर्गा सप्तशती का पाठ करें या करवाएं। पूजा के दौरान या बाद में क्षमा प्रार्थना करना चाहिए।  

Created On :   24 March 2020 8:47 AM GMT

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