सर्वार्थ सिद्धि योग में करें स्कंदमाता की पूजा, जानें मुहूर्त और विधि

Chaitra Navratri 5th day: Worship Skandamata in Sarvartha Siddhi Yoga, know worship method
सर्वार्थ सिद्धि योग में करें स्कंदमाता की पूजा, जानें मुहूर्त और विधि
चैत्र नवरात्रि का पांचवां दिन सर्वार्थ सिद्धि योग में करें स्कंदमाता की पूजा, जानें मुहूर्त और विधि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नवरात्रि के हर एक दिन मां दुर्गा के किसी ना किसी स्वरूप की पूजा की जाती है। चैत्र नवरात्रि के पांचवे दिन मां दुर्गा के पंचम स्वरूप स्कंदमाता की पूजा की जाती है। इस बार 06 अप्रैल बुधवार को स्कंदमाता की पूजा की जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां के पंचम स्वरूप की उपासना से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। ऐसा कहा जाता है कि मां का स्मरण करने से ही असंभव कार्य संभव हो जाते हैं। 

आपको बता दें कि, स्कंदमाता कमल के आसन पर विराजमान हैं, ऐसे में मां को पद्मासना देवी भी कहा जाता है। मां स्कंदमाता को पार्वती एवं उमा नाम से भी जानते हैं। मान्यता है कि स्कंदमाता की उपासना से संतान की प्राप्ति होती है। मां स्कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं। इस बार नवरात्रि के पांचवे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। आइए जानते हैं पूजा की विधि...

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शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:34 बजे से 05:20 बजे तक
जय मुहूर्त: दोपहर 02:30 बजे से 03:20 बजे तक
धूलि मुहूर्त: शाम 06:29 बजे से 06:53 बजे तक
अमृत काल: 04:06 बजे से 05:53 बजे तक
सर्वार्थ सिद्धि योग: पूरे दिन    
रवि योग- शाम 07:40 बजे से 07 अप्रैल सुबह 06:05 बजे तक 

स्वरूप
स्कंदमाता की चार भुजाएँ हैं। इनके दाहिनी तरफ की ऊपर की भुजा, जो ऊपर की ओर उठी हुई है, उसमें कमल पुष्प है। दाईं तरफ की नीचे वाली भुजा वरमुद्रा में और ऊपर वाली भुजा जो ऊपर की ओर उठी है उसमें भी कमल पुष्प लिए हुए हैं। ये कमलासन पर विराजमान रहती हैं। जिस कारण इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है और सिंह इनका वाहन है।

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स्कंदमाता पूजा की विधि  
- सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि से मुक्त हों और स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें।
- अब व्रत और पूजा का संकल्‍प लें।
- अब घर के मंदिर या पूजा स्‍थान में चौकी पर स्‍कंदमाता की तस्‍वीर या प्रतिमा स्‍थापित करें।
- घर का गंगाजल से शुद्धिकरण करें।
- अब एक कलश में पानी लेकर उसमें कुछ सिक्‍के डालें और उसे चौकी पर रखें।
- इसके बाद स्‍कंदमाता को रोली-कुमकुम लगाएं और नैवेद्य अर्पित करें।
- सप्तशती मंत्रों द्वारा स्कंदमाता सहित समस्त समस्त देवी-देवताओं की पूजा करें।
- माता की प्रतिमा या मूर्ति पर अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार और भोग अर्पित करें। 
- अब धूप-दीपक से मां की आरती उतारें।
- आरती के बाद घर के सभी लोगों को प्रसाद बांटें और आप भी ग्रहण करें।

Created On :   5 April 2022 11:45 AM GMT

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