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दैनिक भास्कर हिंदी: अगहन मास में गुरुवार को ऐसे करें लक्ष्मी जी की व्रत पूजा, पूरी होगी मन की इच्छा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पिछले वर्ष की तरह ही इस वर्ष भी अगहन में चार गुरुवारी पूजा पड़ रही है, जो क्रमशः 29 नवंबर, 6 दिसम्बर, 13 दिसम्बर और 20 दिसंबर 2018 को है। गुरुवार के दिन हर घर में मां लक्ष्मी की पूजन होगा। हर घर में मां लक्ष्मी की स्थापना कर विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाएगी। हर घर के द्वार पर दीपों से रोशनी की जाएगी। अगहन मास में गुरुवार को लक्ष्मी जी की व्रत पूजा से सुख, संपत्ति और ऐश्वर्य प्राप्ति के साथ मन की इच्छा पुरी होती है।
शाम से तैयारी शुरु
इस वर्ष अगहन (मार्गशीर्ष मास) कृष्ण पक्ष की सप्तमी को पहला गुरुवार 29 नवम्बर 2018 को पड़ रहा है। पूजा की तैयारी बुधवार की शाम से ही शुरू हो जाएगी। बुधवार शाम से लेकर गुरुवार की शाम तक गुरुवारी पूजा की धूम रहती है। हर घर के मुख्य द्वार से लेकर आंगन और पूजा स्थल तक चावल आटे के घोल से आकर्षक आकृतियां बनाई जाएंगी। इन आकृतियों में माता लक्ष्मी के पांव विशेष रूप से बनाए जाते हैं। संध्या होते ही माता लक्ष्मी के सिंहासन को आम, आंवला और धान की बालियों से सजाया जाता और कलश की स्थापना कर माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
खुद उपवास करें
पदमपुराण में यह व्रत गृहस्तजनों के लिए बताया गया है। इस पूजा को पति पत्नी मिलकर कर सकते हैं। अगर किसी कारण पूजा में बाधा आए तो औरों से पूजा करवा लेनी चाहिए पर खुद उपवास अवश्य करें। उस गुरुवार को गिनती में न लें। अगर किसी दूसरी पूजा का उपवास गुरुवार को आए तो भी यह पूजा की जा सकती है। दिन या रात में भी पूजा की जा सकती है। दिन में उपवास करें तथा रात में पूजा के बाद भोजन किया जा सकता है। इस व्रत कथा को सुनने के लिए अपने आसपड़ोस के लोगों को, रिश्तेदारो को तथा घर के लोगों को बुलाएं व्रत कथा को पढ़ते समय शान्ति तथा एकाग्रता रखें।
गुरुवार को सुबह ब्रह्म मुहूर्त से ही माता लक्ष्मी की भक्तिभाव के साथ पूजा-अर्चना की जाती है। इसके बाद उन्हें विशेष प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि अगहन महीने के गुरुवारी पूजा में माता लक्ष्मी को प्रत्येक गुरुवार को अलग-अलग व्यंजनों का भोग लगाने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
श्री महालक्ष्मी की स्थापना, विसर्जन तथा पूजा विधि
इस पूजा को करने के लिए किसी ब्राह्मण, पुरोहित की आवश्यकता नहीं है। हर कोई अपनी शक्ति और भक्ति से पूजा कर सकते हैं। एक दिन पूर्व ही घर को गोबर से लेप कर ले या फिर गीले कपड़े से पोछ लें। इसके बाद एक ऊँचे पीढे या चौकी पर या छोटे मेज पर बीच में थोड़े गेहूँ या चावल रख का एक साफ सुथरे ताँबे या पीतल के लोटे को पानी से भर कर चावल या गेहूँ पर रखें, पानी में सुपारी, कुछ पैसे और दुब (दूर्वा घास) डाले। ऊपर से लोटे में चारों तरफ पाँच तरह के पेड़ के पांच या सात पत्ते डाल कर बीचों बीच एक नारियल रखें, उस नारियल पर बाजार में उपलब्ध देवी के मुखोटे या चहरे को बांध या चिपका दें और लोटे पर हल्दी - कुमकुम लगाएं और साथ ही उस लोटे के गले मे लोटे के हिसाब से लहंगा बाँध दे और नारियल के ऊपर एक छोटी चुनरी भी चढ़ा देवें साथ ही देवी की प्रतिमा या फोटो को पूर्व दिशा में मुँह करके या उत्तर दिशा में मुँह करके स्थापना करनी चाहिए। इस व्रत कथा की पुस्तक में जो फोटो हैं उसे भी सामने रखें तथा पूजा प्रारंभ करें।
अगहन मॉस के शेष गुरुवार के दिन आठ सुहागनों या कुँवारी कन्याओं को आमंत्रित कर उन्हें सम्मान के साथ पीढा या आसान पर बिठाकर श्री महालक्ष्मी का रूप समझ कर हल्दी कुमकुम लगाएं। पूजा की समाप्ति पर फल प्रसाद वितरण किया जाता है तथा इस कथा की एक प्रति उन्हें दी जाती है। केवल स्त्री ही नहीं अपितु पुरष भी यह पूजा कर सकते हैं।
वे सुहागन या कुमारिका को आमंत्रित कर उन्हें हाथ में हल्दी कुंकुं प्रदान करें तथा व्रत कथा की एक प्रति देकर उन्हें प्रणाम करें। पुरुषों को भी इस व्रत कथा को पढ़ना चाहिए। जिस दिन व्रत हो, उपवास करे, दूध, फलाहार करें। खाली पेट न रहे, रात को भोजन से पहले देवी को भोग लगाएं एवं परिवार के साथ भोजन करें।
रात को फिर देवी की पूजा करें मिष्ठान का भोग लगाएं तथा गो माता के लिए भी अन्न रखें और दूसरे दिन सुबह गो माता को उनका भाग अर्पित करें। इसके बाद परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर भोजन करें।
दूसरे दिन सुबह स्नान कर के पेड़ के पत्तों को निकले और घर मे अलग अलग जगह रखें पानी को समुद्र, नदी, तालाब, कुँए या तुलसी की क्यारी में डाल दें। जिस जगह पूजा की हो वहाँ हल्दी कुमकुम छिड़क कर तीन बार प्रणाम करें।
इसी प्रकार महीने के हर गुरुवार को करें मार्गशीर्ष (अगहन) मास के चारों गुरुवार को इसी प्रकार पूजन करें। पद्मपुराण में कहा गया कि जो कोई जातक हर वर्ष श्री महालक्ष्मी जी का यह व्रत करेगा उसे सुख सम्पदा और धन आदि का लाभ होगा।
भोपाल: स्कोप कॉलेज में विश्वस्तरीय प्रशिक्षण वर्कशाप की स्थापना
डिजिटल डेस्क, भोपाल। स्कोप कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग ने अपने छात्र -छात्राओं के भविष्य को संवारने के लिये भारत के आटोमोबाइल क्षेत्र में अग्रणी कम्पनी हीरो मोटोकार्प के साथ एक करार किया जिसमें ऑटोमोबाइल क्षेत्र में स्किल डेवलपमेंट के लिये एक विश्वस्तरीय प्रशिक्षण वर्कशाप की स्थापना संस्था के प्रांगण में की गई है। ये अपने आप में एक अद्वतीय पहल है तथा सभी अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है। इसमें सभी नवीनतम कम्प्यूटराइज्ड मशीन के द्वारा टू-व्हीलर ऑटोमोबाइल कार्यशाला प्रशिक्षण दिया जायेगा। इस वर्कशाप में उद्घाटन के अवसर पर कम्पनी के जनरल मैनेजर सर्विसेज श्री राकेश नागपाल, श्री मनीष मिश्रा जोनल सर्विस हेड - सेंट्रल जोन, श्री देवकुमार दास गुप्ता - डी जी एम सर्विस, एरिया मैनेजर श्री राम सभी उपस्थिति थे। साथ ही संस्था के वरिष्ठ अधिकारी डॉ. अजय भूषण, डॉ. देवेंद्र सिंह, डॉ. मोनिका सिंह, अभिषेक गुप्ता आदि उपस्थित थे। संस्था के सभी शिक्षकगण तथा छात्र-छात्रायें उपस्थित थे।
कार्यक्रम की शुरूआत सरस्वती वंदना से की गई , डॉ. मोनिका सिंह ने अतिथियों का संक्षिप्त परिचय दिया। डॉ. अजय भूषण ने सभी का स्वागत किया और बताया कि आने वाला समय कौशल विकास आधारित शिक्षा का है। कर्यक्रम में आईसेक्ट ग्रुप के कौशल विकास के नेशनल हेड अभिषेक गुप्ता ने ग्रुप के बारे मे विस्तार से बताया कि किस तरह हमेशा से आईसेक्ट ग्रुप ने कौशल विकास को हमेशा प्राथमिकता से लिया है। कार्यक्रम में एएसडीसी के सीईओ श्री अरिंदम लहिरी ऑनलाइन आकर सभी को बधाई दी तथा छात्र - छात्राओं को उनके उज्जवल भविष्य के लिये शुभाषीस भी दी।
कार्यक्रम में डॉ. देवेंद्र सिंह ने बताया कि कौशल विकास आधारित शिक्षा सनातन काल से भारतवर्ष में चली आ रही है मध्यकालीन समय में कौशल विकास पर ध्यान नही दिया गया परंतु आज के तेजी से बदलते हुए परिवेश में विश्व भर में इसकी आवश्यकता महसूस की जा रही है। इसी आवश्यकता को देखते हुये स्कोप कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में कुछ ही समय में विभिन्न क्षेत्रों के सात सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना की गई है जो की विभिन्न क्षेत्रों मे छात्र- छात्राओं के कौशाल विकास मे महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे।
भोपाल: सीआरपीएफ की 93 महिला पुलिसकर्मियों की बुलेट यात्रा का रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में हुआ आगमन
डिजिटल डेस्क, भोपाल। इंडिया गेट से जगदलपुर के लिए 1848 किमी की लंबी बुलेट यात्रा पर निकलीं सीआरपीएफ की 93 महिला पुलिसकर्मियों का रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई ने विश्वविद्यालय परिसर में आगमन पर भव्य स्वागत किया। लगभग 300 स्वयंसेवकों तथा स्टाफ सदस्यों ने गुलाब की पंखुड़ियों से पुष्प वर्षा करते हुए स्वागत किया। वहीं उनके स्वागत में एन एस एस की करतल ध्वनि से पूरा विश्वविद्यालय परिसर गुंजायमान हो उठा। इस ऐतिहासिक बाइक रैली में शामिल सभी सैन्यकर्मियों का स्वागत विश्वविद्यालय के डीन ऑफ एकेडमिक डॉ संजीव गुप्ता, डिप्टी रजिस्ट्रार श्री ऋत्विक चौबे, कार्यक्रम अधिकारी श्री गब्बर सिंह व डॉ रेखा गुप्ता तथा एएनओ श्री मनोज ने विश्वविद्यालय की तरफ से उपहार व स्मृतिचिन्ह भेंट कर किया। कार्यक्रम की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए डिप्टी कमांडेंट श्री रवीन्द्र धारीवाल व यात्रा प्रभारी श्री उमाकांत ने विश्वविद्यालय परिवार का आभार किया। इस अवसर पर लगभग 200 छात्र छात्राएं, स्वयंसेवक व एनसीसी कैडेट्स समस्त स्टाफ के साथ स्वागत में रहे मौजूद।