मां लक्ष्मी की बरसेगी कृपा, इन प्रतीकों का अर्थ समझें और करें पालन

Goddess Lakshmi will shower blessings, understand the meaning of these symbols
मां लक्ष्मी की बरसेगी कृपा, इन प्रतीकों का अर्थ समझें और करें पालन
मां लक्ष्मी की बरसेगी कृपा, इन प्रतीकों का अर्थ समझें और करें पालन

डिजिटल डेस्क। दीपावली के दिन मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है। इस त्योहार के लिए करीब 10 दिन पहले से साफ- सफाई शुरु हो जाती है। ये त्योहार सफाई का संदेश तो देता ही है, साथ ही दीपावली का पर्व भारतीय दर्शन के मूल सिध्दांत ‘‘ तमसो मा ज्योर्तिगमय’’ अर्थात्  हम अंधकार से प्रकाश की ओर चलें, इस मंत्र को पूरी तरह सार्थक करता है। ये पर्व अमावस्या की सबसे अंधियारी रात्री को जगमगाते दीपो के माध्यम से सबसे उजियारी पुर्णिमा की रात्री में बदलने का ये प्रयास है।  

दीपावली से जुड़ी यों तो कई आख्यायिकाएं हैं, लेकिन लक्ष्मीजी के आर्विभाव और प्रभु श्रीराम के अयोध्या आगमन ये प्रमुख हैं। पुराणों के अनुसार लक्ष्मीजी को समुद्र मंथन कर उत्पन्न किया गया है। लक्ष्मी इस विराट जगत् की महादेवी हैं और लक्ष्मी शब्द संस्कृत के शब्द ‘लक्ष्य’ से बना है जिसका अर्थ हैं ध्यान देना।

लक्ष्मी इस जगत के लक्ष्य को प्रगट करती हैं और यह लक्ष्य केवल भौतिक न होकर आध्यात्मिक भी हैं। लक्ष्मीजी के स्वरूप पर यदि हम ध्यान दें तो वे 4 भुजाओं से युक्त हैं। यह 4 भुजाएं ब्रम्हांड की चारों दिशाओं की प्रतीक हैं। लक्ष्मी चारों दिशाओं में आकाश पाताल में विद्यमान हैं।

लाल वस्त्र 
लाल रंग क्रिया का प्रतीक है, संसार में प्रत्येक प्राणी चाहे वह मनुष्य हो या पशु-पक्षी सभी क्रियाशील रहते हैं। लक्ष्मी भी क्रियाशील पुरूष के पास ही आती हैं। साड़ी की किनारी सोने के रंग जैसी -यह स्वर्ण,उन्नति और प्रगति का परिचायक है। लक्ष्मी जगत् को प्रगति,उन्नति और वैभव प्रदान करती हैं।

हाथ नीचे की ओर  
जिस हाथ में मुद्रा,आभूषण दिखाए गए हैं वह हाथ नीचे की ओर है ,अर्थात लक्ष्मी सदैव प्रदान करने वालों की देवी हैं, जो धर्म के कार्य करता है। अनाथों तथा असहायों को दान देता है वहीं लक्ष्मी निवास करती हैं। जो केवल धन का संग्रह करता है केवल स्वयं के लिए इसका उपभोग करता है वहां से लक्ष्मी दूर भागती हैं।

वाहन उल्लू
उल्लू एक शांत और एकांतप्रिय पक्षी हैं। इसकी विशेषता होती है कि इसके शरीर का तापमान वातावरण के साथ घटता बढ़ता नहीं है। उसी प्रकार लक्ष्मीजी भी उनका ही वरण करती हैं जो स्वयं पर नियंत्रण रखकर अपने आवेश पर जो काबू पाते हैं।

कमल का आसन
लक्ष्मीजी का आसन कमल है, कमल पानी में उत्पन्न होता है, संपूर्ण तना पानी में डूबा रहने के बावजूद कमल के पत्तों पर पानी की बूंद नहीं ठहरती और कमल पुष्प सदैव जल से कुछ उपर रहता है। लक्ष्मीजी भी केवल उन भक्तों के ह्रदय में निवास करती हैं, जो संसार में रहते हुए भी माया में लिप्त नहीं होते, बल्कि लोभ, मोह, काम, क्रोध और अहंकार जैसे दुर्गुणों से कुछ ऊपर उठ चुके होते हैं।

कमल भरतीय धर्म,दर्शन एवं संस्कृति का संदेशवाहक है। यह एक सात्विक पुष्प है। कीचड़ में उत्पन्न होते हुए भी यह शुध्द है। शास्त्रों के अनुसार, कमल मनुष्य को सिखाता है कि संसार रूपी कीचड़ में रहते हुए भी इसमें डूबना नहीं चाहिए।

गजराज
गजराज हमेशा अपने मस्तिष्क को शीतल जल से उसे ठंडा करता रहता है। आमतौर पर यह देखा जाता है कि धनवान होते ही व्यक्ति धन और मान की गर्मी से पीड़ित हो ही जाते हैं। धन वैभव का मद न करें तथा विनम्रता, संतोष, शालीनता और परोपकार की भावना के शीतल जल से अपने मन-मस्तिष्क का अभिषेक करते रहें, जिससे व्यर्थ के गर्व की भावना आपके मन में न आए।

इस प्रकार इस दीपावली को जब लक्ष्मीजी का पूजन करें तब इन प्रतीक का अर्थ समझ कर और स्वयं में उन गुणों को विकसित करें तभी मां महालक्ष्मीजी की कृपा बरसेगी।

साभार: पं.सुदर्शन शर्मा शास्त्री, अकोला

 

Created On :   26 Oct 2019 9:28 AM GMT

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