श्रवणबेलगोला, ये है इस विशाल प्रतिमा की अद्भुत कहानी

डिजिटल डेस्क, कर्नाटक। श्रवण बेलगोला, एक अत्यंत ही अद्भुत स्थान जहां पहुंचने पर मनुष्य को एक अनोखी ही शांति का अनुभव होता है। यहां लगभग पूरे विश्व से लोग आते हैं। कर्नाटक के मंड्या जिले में श्रवणबेलगोला में गोम्मेटेश्वर स्थान पर प्राचीन जैन तीर्थस्थल स्थित है जहां पर भगवान बाहुबली की एक विशाल प्रतिमा स्थापित है। ये पूरी पत्थर से बनाई गई है। कन्नड़ में वेल का अर्थ होता है श्वेत, गोल का अर्थ होता है सरोवर।
12 वर्ष बाद महामस्ताकाभिषेक
कलाकार की अद्भुत कलाकारी इस मूर्ति में स्पष्ट रूप से देखने मिलती है। यह पूर्णतः एक ही पत्थर से निर्मित है। बाहुबली को गोमटेश्वर भी कहते हैं। इस मूर्ति के संबंध में बताया जाता है कि इसे बनाने में करीब 12 वर्षों का समय लगा है। गोमटेश्वर के ही बायीं ओर लेख कानड़ी भाषा में शंक संवत 1102 अंकित है। जिससे इसके निर्माण का अनुमान लगाया जाता है। यहां हर 12 वर्ष बाद महामस्ताकाभिषेक होता है।
उत्तराधिकार का युद्ध
इस स्थान के संबंध में कहा जाता है कि ऋषभदेव के दो पुत्रों बाहुबली और भरत के बीच उत्तराधिकार का युद्ध उनके जंगल चले जाने के बाद हुआ। इस युद्ध में बाहुबली विजयी हुए, किंतु तभी उन्हें भी संसार से विरक्ति हो गई। और वे सबकुछ भरत को ही सौंपकर तप करने चले गए। कहा जाता है कि इर्सी स्थान पर उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
बन गया सर्पाें का स्थान
राजा भरत ने उनके सम्मान में पोदमपुर में एक मूर्ति का निर्माण धनुष से कराया, किंतु कालांतर में वहां कुक्कुट, सर्पों का स्थान बन गया और यह जगह वनों से घिर गई। गंग वंशीय शासक के मंत्री चामुंडा राय ने इसका वृत्तांत सुनकर मूर्ति के दर्शन करने चाहे, किंतु मार्ग दुर्लभ होने की वजह से उन्होंने पोदमपुर के समान ही गोमटेश्वर में विशाल मूर्ति का निर्माण कराया। यह स्थान विंध्यगिरि और चंद्रगिरि के मध्य स्थित है।
Created On :   10 Feb 2018 11:34 AM IST