गोपाष्टमी : बछड़े के साथ ऐसे करें गौ माता की पूजा, मिलेगा पुण्य

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गोपाष्टमी : बछड़े के साथ ऐसे करें गौ माता की पूजा, मिलेगा पुण्य
गोपाष्टमी : बछड़े के साथ ऐसे करें गौ माता की पूजा, मिलेगा पुण्य

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। गोपाष्टमी, अर्थात जिस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गौचारण की लीला की। उनकी माता यशोदा ने उन्हें गाय चराने के लिए जंगल भेजा। हिंदू धर्म में गाय को माता व पूज्यनीय माना गया है, जिसकी वजह से इस दिन गाय की पूजा का विधान है। गोपाष्टमी हर साल कार्तिक शुक्ल की अष्टमी को मनाई जाती है। जो कि इस वर्ष 28 अक्टूबर शनिवार अर्थात आज मनाई जा रही है। 

इस त्योहार का ग्रामीण क्षेत्रों में अत्यधिक महत्व है। माना जाता है कि गोपाष्टमी के दिन गाय के पूजन से कन्हैया भी प्रसन्न होते हैं और गौमाता का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस त्योहार का मुख्य रूप से ग्वाल परिवारों या उनके द्वारा मनाया जाता है जिनके घर में गाय पली हुई हैं। हालांकि आज के दिन जो भी व्यक्ति गौ माता की पूजा करता है उसे इसका पुण्य फल अवश्य ही प्राप्त होता है। इस वर्ष गाेपाष्टमी का शुभ मुहूर्त 28 अक्‍टूबर को सांय 04:51बजे तक है।

ऐसे करें गौ माता की पूजा

-सबसे पहले अष्टमी के दिन सुबह पवित्र नदी में स्नान करें। उसके बाद साफ व स्वच्छ वस्त्र धारण करें। 
-गाय को भी पवित्र नदी के साफ जल से ही स्नान कराने का प्रयास करें। इसके बाद गौ माता के शरीर पर मेहंदी, हल्दीऔर सुंदर रंगों से छापे लगाकर सजाएं। उनके सींग भी रंग दें और फिर माथे पर तिलक करें। 
-इस दिन बछड़े को उसकी मां का दूध पीने दें। अष्टमी के दिन गाय का उसके बछड़े के साथ पूजन का विधान है। 
-धूप-दीप, अक्षत-रोली से पूजन के बाद गाय को गुड़ खिलाएं और उसकी आरती उतारें। 
-कई स्थानों पर इस दिन ग्वालों को उपहार देने का भी चलन है। पूजन का बाद ऐसा भी किया जा सकता है। 
-गाय को चारा खिलाने का अत्यधिक पुण्य है। उसे चारा खिलाने के बाद परिक्रमा करें और कुछ दूर तक उनके साथ चलें। गौ माता की परिक्रमा पुण्य स्थलों की परिक्रमा के समान मानी गई है। 
-उन्हें चरने के लिए छोड़ दें, जब वे शाम को वापस लौटें तो उनके चरण धोकर तिलक करें। यह विधि बड़ी ही पुण्यकारी मानी गई है।

Created On :   28 Oct 2017 3:13 AM GMT

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