108 साल बाद नाग पंचमी पर बन रहा है ये दुर्लभ योग, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि

Nag Panchami 2021: Know Worship Method, Shubh Muhurat, Mantra, Puja Vidhi and Date
108 साल बाद नाग पंचमी पर बन रहा है ये दुर्लभ योग, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि
Nag Panchami 2021 108 साल बाद नाग पंचमी पर बन रहा है ये दुर्लभ योग, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी (Nag Panchami) का त्यौहार मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 13 अगस्त, शुक्रवार को मनाया जा रहा है। यह त्योहार विशेष रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता व सर्पों का पूजन किया जाता है। मान्यता है कि नागपंचमी के दिन नाग-नागिन की पूजा करने से विषैले जीव-जंतुओं के काटने का भी डर नहीं रहता है। वहीं कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए इस दिन पूजा का विधान भी शास्त्रों में बताया गया है।

हिन्दू धर्म में नाग देवता को विशेष स्थान प्राप्त है। भगवान विष्णु शेष नाग की शय्या पर विराजमान हैं, वहीं भगवान भोलेनाथ नाग देवता को अपने गले में धारण किए हुए हैं। द्वापर युग में भगवान राम के साथ शेषनाग लक्ष्मण तथा त्रेता युग में भगवान श्री कृष्ण के साथ बलराम के अवतार में धरती पर जन्म लिऐ थे। आइए जानते हैं नाग पंचमी पर बनने वाले विशेष योग, मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में...

16 अगस्त को है सावन का चौथा सोमवार, ऐसे करें भगवान शिव को प्रसन्न

बना ये दुर्लभ योग
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, नाग पंचमी पर इस बार करीब 108 साल बाद एक दुर्लभ संयोग बन रहा है। यह योग है, उत्तरा योग और हस्त नक्षत्र संयोग इसी के साथ शिन नक्षत्र भी लग रहा है। यह शिन नक्षत्र काल सर्प दोष से मुक्ति के लिए विशिष्ट फलदायी होता है।  

पूजा मुहूर्त
तिथि आरंभ: 12 अगस्त, गुरुवार दोपहर 3 बजकर 24 मिनट से 
तिथि समापन: 13 अगस्त, शुक्रवार दोपहर 1 बजकर 42 मिनट तक
सबसे शुभ मुहूर्त: सुबह 5 बजकर 49 मिनट से 8 बजकर 28 मिनट तक 

कैसे मनाते हैं नाग पंचमी
इस दिन लोग उपवास रखते हैं और मंदिरों में सांपों को दूध, चावल का हलवा और फूल चढ़ाते हैं। भारत के कुछ हिस्सों में, महिलाएं अपने भाइयों के साथ, सांप के काटने और अन्य संबंधित चीजों से बचाने के लिए एक विश्वास के साथ प्रार्थना करती हैं। दक्षिण भारत में, लोग इस दिन चांदी की थाली में कमल का फूल रखते हैं और चंदन का लेप लगाते हैं। नाग पंचमी प्रकृति पूजा का एक रूप है जो जानवरों और मनुष्यों के सह-अस्तित्व के महत्व को दर्शाती है।

पूजा विधि

  • नाग पंचमी के दिन सूर्योदय से पूर्व उठें और दैनिकक्रिया से मुक्त होकर स्नान करें।
  • साफ वस्त्र धारण करें और सूर्यदेव को जल चढ़ाकर व्रत का संकल्प लें।
  • घर के दरवाजे पर मिट्टी, गोबर या गेरू से नाग देवता का चित्र अंकित करें। 
  • नाग देवता को दूर्वा, कुशा, फूल, अछत, जल और दूध चढ़ाएं। 
  • नाग देवता को सेवईं या खीर का भोग लगाएं। 
  • सांप की बांबी के पास दूध या खीर रखें।

अष्टनागों के इस मंत्र का जाप करें।
वासुकिः तक्षकश्चैव कालियो मणिभद्रकः।
ऐरावतो धृतराष्ट्रः कार्कोटकधनंजयौ ॥
एतेऽभयं प्रयच्छन्ति प्राणिनां प्राणजीविनाम् ॥

ध्यान रखें ये बात
नाग पंचमी के दिन कई लोग नागों को दूध पिलाते हैं, हालांकि शास्त्रों में नागों को दूध से नहलाने का विधान है न कि उन्हें दूध पिलाने का। वहीं वैज्ञानिकों के अनुसार भी दूध नाग यानी कि सर्प के लिए नुकसान दायक होता है, इसलिए ऐसा नहीं करना चाहिए। इस दिन नाग देवता का दर्शन करना शुभ माना जाता है। नाग पंचमी के दिन सांपों के संरक्षण का संकल्प लेना चाहिए। 

Created On :   10 Aug 2021 10:06 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story