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दैनिक भास्कर हिंदी: पौष मास की चतुर्थी व्रत से दूर होते हैं विघ्न

डिजिटल डेस्क । पौष मास की चतुर्थी विघ्नविनाशिनी होती है। ये बड़े-से-बड़े संकट को भी दूर करती है। इस व्रत के प्रभाव से प्रभावशाली व्यक्ति भी वशीभूत हो जाते हैं। ये सभी विघ्न, बाधाओं को दूर करता है। इस तिथि को गणेश जी के ‘लम्बोदर’ रूप की पूजा की जाती है। पौष संकष्टी चतुर्थी व्रत तिथि इस बार 25 दिसम्बर 2018 दिन मंगलवार को है। जो भी इस व्रत को श्रध्दा पूर्वक करता है उसे सफलता अवश्य प्राप्त होती हैं। पौष मास की चतुर्थी पर विघ्नेश्वर का व्रत-पूजन कर दान-दक्षिणा देने से धन का अभाव नहीं रहता है।
पूजन सामग्री
गणेश जी की प्रतिमा, धूप, दीप, नैवेद्य (मोदक तथा अन्य ऋतुफल), अक्षत, फूल, कलश, चंदन, केसरिया, रोली, कपूर, दुर्वा, पंचमेवा, गंगाजल, वस्त्र(2- कलश और गणेश जी के लिये), अक्षत, घी, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, गुड़, पंचामृत (कच्चा दूध,दही,शहद,शर्करा,घी)
हवन के लिए:-
दूध की खीर, घी
पौष संकष्टी चतुर्थी व्रत पूजा विधि:-
प्रात: काल उठकर नित्य कर्म से निवृत हो, शुद्ध हो कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। श्री गणेश जी का पूजन पंचोपचार (धूप, दीप, नैवेद्य, अक्षत, फूल) विधि से करें। इसके बाद हाथ में जल तथा दूर्वा लेकर मन-ही-मन श्री गणेश का ध्यान करते हुये व्रत का संकल्प करें। पूरे दिन श्री गणेशजी के मंत्र का स्तवन करें। संध्या को दुबारा स्नान कर शुद्ध हो जायें।
श्री गणेश जी के सामने सभी पूजन सामग्री के साथ बैठ जायें। विधि-विधान से गणेश जी का पूजन करें। वस्त्र अर्पित करें। नैवेद्य के रूप में लड्डु अर्पित करें। चंद्रमा के उदय होने पर चंद्रमा की पूजा कर अर्घ्य अर्पण करें। इसके बाद गणेश जी की आरती करें।
अंगारकी चतुर्थी पूजा विधि - विधि विधान से
पूजन सामग्री
1. गणेश जी की प्रतिमा 2. धूप 3. दीप 4. नैवेद्य(लड्डु तथा अन्य ऋतुफल) 5. अक्षत 6. फूल 7. कलश 8. चंदन केसरिया 9. रोली 10. कपूर 11. दुर्वा 11. पंचमेवा 12. गंगाजल 13. वस्त्र (2 – एक कलश के लिये- एक गणेश जी के लिये) 14. अक्षत 15. घी 16. पान 17. सुपारी . लौंग 19. इलायची 20. गुड़ 21. पंचामृत (कच्चा दूध, दही,शहद, शर्करा, घी)
ध्यानं करें – दोनो हाथ जोड़कर हाथ में पुष्प लेकर गणेश जी का ध्यान करें। उसके बाद गणेश चतुर्थी की कथा सुने अथवा सुनाये। दूध की खीर व घी से गणपति मंत्र के द्वारा हवन करें।
पौष गणेश चौथ व्रत कथा
एक समय रावण ने स्वर्ग के सभी देवताओं को जीत लिया संध्या करते हुए बाली को पीछे से जाकर पकड़ लिया . वानरराज बाली रावण को अपनी बगल (कांख) में दबाकर किष्किन्धा नगरी ले आये और अपने पुत्र अंगद को खेलने के लिए खिलौना दे दिया अंगद रावण को खिलौना समझकर रस्सी से बांधकर इधर उधर घुमाते थे।
- इससे रावण को बहुत कष्ट और दु:ख प्राप्त हुआ | रावण ने दु:खी मन से अपने पितामह पुलस्त्य जी को याद किया।
- रावण की इस दशा को देखकर पुलस्त्य ने विचारा की रावण की यह दशा क्यों हुई ?
- अभिमान हो जाने पर देव, मनुष्य, असुर, सभी की यही गति होती है।
- पुलस्त्य ऋषि ने रावण से पूछा तुमने मुझे क्यों याद किया है ?
- रावण बोला- पितामह मैं बहुत दु:खी हूं, यह नगरवासी मुझे धिक्कारते हैं अब ही आप मेरी रक्षा करें।
रावण के मुखं ऐसे वचनों को सुनकर पुलस्त्य बोले
रावण तुम डरों नहीं तुम इस बन्धन से जल्दी ही मुक्त होगे तुम विघ्नविनाशक गणेशजी का व्रत करो। पूर्वकाल में वृत्रासुर की हत्या से छुटकारा पाने के लिए इंद्र देव ने इस व्रत को किया था। इस लिए तुम भी इस व्रत को करो। रावण ने भक्तिपूर्वक इस व्रत को किया और बन्धन रहित हो अपने राज्य को प्राप्त किया, जो भी इस व्रत को श्रद्धा-पूर्वक करता हैं उसे सफलता अवश्य प्राप्त होती हैं।
गणतंत्र दिवस : स्कोप ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन में मनाया गया गणतंत्र दिवस समारोह
डिजिटल डेस्क, भोपाल। स्कोप ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस में 74वां गणतंत्र दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. डी.एस. राघव निदेशक, स्कोप ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन उपस्थित थे। गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में डॉ. सत्येंद्र खरे, सेक्ट कॉलेज ऑफ प्रोफेशनल एजुकेशन के प्रिंसिपल, डॉ. नीलम सिंह, सेक्ट कॉलेज ऑफ बीएड की प्रिंसिपल और डॉ. प्रकृति चतुर्वेदी, स्कोप पब्लिक हायर सेकेंडरी स्कूल की प्रिंसिपल विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुएl कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. डी.एस.राघव ने झन्डा फंहराया गया तथा विद्यालय के छात्र छात्राओं ने अनुशासन एवं कौशल का परिचय देते हुए आकर्षक परेड की प्रस्तुति दीl विद्यालय के बच्चों द्वारा शारीरिक व्यायाम के महत्व को प्रकट करते हुए मनमोहक पीटी प्रस्तुत की गई l
स्कोप इंजीनियरिंग कॉलेज, बी.एड कॉलेज, स्कोप प्रोफेशनल कॉलेज तथा स्कोप स्कूल के विद्यार्थियों ने राष्ट्रीय एकता अखंडता एवं देश प्रेम से ओतप्रोत प्रस्तुतियां दीl कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण उरी हमले पर आधारित नृत्य नाटिका तथा रानी लक्ष्मीबाई के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को चित्रित करता हुआ नृत्य गीत था। मुख्य अतिथि डॉ डीएस राघव ने अपने संबोधन में कहा कि हम अपने कर्तव्यों का निर्वाहन ईमानदारी एवं पूर्ण निष्ठा के साथ करते हैं तो यही आज के समय में हमारी सच्ची देश सेवा है। कार्यक्रम के अंत में विद्यालय की प्राचार्या डॉ. प्रकृति चतुर्वेदी ने सभी को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कार्यक्रम की आयोजन समिति के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हम अपने उद्देश्य के प्रति ईमानदार रहेंगे और उसके प्रति पूर्ण कर्तव्यनिष्ठा से कार्य करेंगेl
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