रक्षा बंधन के दिन बहनें प्रातः काल उठकर नए वस्त्र धारण कर राखी की थाली तैयार करती हैं। उस थाल में राखी, कुमकुम, हल्दी, अक्षत और मिष्ठान रहता है। सबसे पहले बहन भाई को तिलक लगाकर उसकी आरती करती हैं। फिर उसके ऊपर अक्षत (चावल) और पुष्प फेंकती हैं। इसके बाद भाई की दाहिनी कलाई पर राखी बांधी जाती है। वैसे तो इस पूरी प्रक्रिया तक भाई और बहन दोनों को उपवास रखना चाहिए। कई लोग कहते हैं कि केवल बहनें ही व्रत रखें ऐसा नहीं है भाई को भी व्रत करना चाहिए। तत्पश्चात बहन भाई को मिठाई खिलाती है।
इस प्रकार राखी बंधकर दोनों एक दूसरे के कल्याण एवं उन्नति की कामना करते हैं और भाई आजीवन अपनी बहन की सुरक्षा के लिए दृढ़ संकल्पित हो जाता है। भाई की कलाई पर राखी बांधने का सबसे शुभ समय क्या है। रक्षा बंधन का एक आवश्यक नियम है कि भद्रा काल में राखी नहीं बांधी जाती है। इस वर्ष में यह एक अच्छी बात है कि भद्रा काल सूर्योदय से पूर्व ही समाप्त हो जाएगा। इसलिए बहनें इस रक्षा बंधन पर सुबह 5:59 मिनट से शाम 17: 12 मिनट तक राखी बांध सकती हैं। राखी बांधते समय इस मंत्र का जाप जरूर करें।
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रक्षाबंधन विशेष: जानिए किस मुहूर्त में बहनें बांध सकती हैं भाइयों को राखी
डिजिटल डेस्क, भोपाल। सावन मास की पूर्णिमा को रक्षाबंधन का पर्व मनाया जा रहा है। आज (रविवार) को रक्षाबंधन है। इस दिन बहनें अपने भाईयों को राखी बांधती हैं। इसके साथ ही उनकी लंबी आयु अच्छे स्वास्थ की कामना करती हैं। ज्योतिष के अनुसार इस बार रक्षा सूत्र बांधने का शुभ मुहूर्त पूरे 11 घंटे 26 मिनट का है। रक्षाबंधन का शुभ पर्व हर भाई और बहन के लिए विशेष होता है। रक्षाबंधन के दिन हर बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और उससे सुरक्षा का वचन लेती है।
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
तिथि - 26 अगस्त 2018
शुभ मुहूर्त - सुबह 05:59 मिनट से शाम 05:12 मिनट तक
मुहूर्त की अवधि - 11 घंटे 26 मिनट
दोपहर का मुहूर्त - 01:39 से 04:12 तक
मुहूर्त की अवधि - 02 घंटे 33 मिनट
बहन अपने भाई को राखी बांधती है और भाई उसकी रक्षा का संकल्प लेता है। बहन भाई के माथे पर तिलक लगाकर उसके दीर्घायु होने की कामना करती है। कहा जाता है कि इस धागे का संबंध अटूट होता है। जब तक जीवन की डोर और श्वांसों का आवागमन रहता है एक भाई अपनी बहन के लिए और उसकी सुरक्षा तथा खुशी के लिए दृढ़ संकल्पित रहता है।


मंत्र
येन बद्धो बलि: राजा दानवेंद्रो महाबल:।
तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।
अर्थात
जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली राजा बलि को बांधा गया था, उसी सूत्र से मैं तुम्हें बांधता हूं।
हे रक्षे (राखी), तुम अडिग रहना। अपने रक्षा के संकल्प से कभी भी विचलित मत होना
इस प्रकार भाई बहन के इस पवित्र महापर्व को प्रेम और श्रद्धा पूर्वक मनाने से भाई बहन का संबंध आजीवन बना रहता है।