रक्षाबंधन 2020: सालों बाद बना विशेष संयोग, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

रक्षाबंधन 2020: सालों बाद बना विशेष संयोग, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। श्रावण मास की पूर्णिमा को रक्षा बंधन (Raksha Bandhan) का त्योहार मनाया जाता है, जो कि इस वर्ष कल यानी कि 3 अगस्त, सोमवार को मनाया जाएगा। यह हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसमें प्रेम और अपनत्व का भाव निहित होता है। यह त्योहार भाई-बहन के अटूट रिश्ते, बेइंतहां प्यार, त्याग और समर्पण को दिखाता है। इस दिन रक्षा सुरक्षा का अहसास लिए राखी को बहन अपने भाई की कलाई पर बांधती है और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं।

इसी दिन सावन का आखिरी सोमवार भी है। चूंकि सावन के महीने में सोमवार को भगवान शिव की पूजा अर्चना का विशेष महत्व है। इस वजह राखी के सोमवार के दिन होने पर इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। आइए जानते हैं रक्षाबंधन का मुहूर्त और महत्व...

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शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस बार रक्षाबंधन के दिन सुबह 9 बजकर 28 मिनट से रात्रि 9 बजकर 27 मिनट तक शुभ मुहूर्त रहेगा। हालांकि ध्यान रखें कि भ्रदाकाल में राखी नहीं बांधी जाती है, जो कि सुबह 9 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। वहीं इस दिन सुबह साढ़े 7 बजे से 9 बजे तक राहुकाल रहेगा। इन दोनों के होने से रक्षा बंधन सुबह 9 बजकर 28 मिनट के बाद ही मनाना शुभ है। 

भ्रदा और राहुकाल
आपको बता दें कि भद्राकाल में किसी भी तरह के शुभ कार्य करने पर उसमें सफलता नहीं मिलती है। इसके अलावा भद्राकाल में भगवान शिव तांडव नृत्य करते हैं इस कारण से भी भद्रा में शुभ कार्य नहीं किया जाता है। एक अन्य मान्यता के अनुसार भद्रा शनिदेव की बहन है। भद्रा शनिदेव की तरह उग्र स्वभाव की हैं। भद्रा को ब्रह्रााजी ने शाप दिया कि जो भी भद्राकाल में किसी भी तरह का कोई भी शुभ कार्य करेगा उसमें उसे सफलता नहीं मिलेगी। 

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प्रचलित कथा
मान्यताओं के अनुसार भद्रा में राखी न बंधवाने के पीछे एक कथा प्रचलित है। जिसके अनुसार लंका के राजा रावण ने अपनी बहन से भद्रा के समय ही राखी बंधवाई थी। भद्राकाल में राखी बाधने के कारण ही रावण का सर्वनाश हुआ था। इसी मान्यता के आधार पर जब भी भद्रा लगी रहती है उस समय बहनें अपने भाइयों की कलाई में राखी नहीं बांधती है। भद्रा के अलावा राहुकाल में भी किसी तरह का शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है। 

Created On :   2 Aug 2020 9:44 AM GMT

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