रविदास जयंती:आइए जानते हैं संत शिरोमणि रविदास जी के बारे में

Ravidas Jayanti On 19th Feb, Let us know about Saint Ravidas ji
रविदास जयंती:आइए जानते हैं संत शिरोमणि रविदास जी के बारे में
रविदास जयंती:आइए जानते हैं संत शिरोमणि रविदास जी के बारे में

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मन चंगा तो कठौती में गंगा, यह वाक्य तो आपने सुना ही होगा। इस वाक्य को संत शिरोमणि रविदास जी के द्वारा कहा गया है। हिंदू धर्म के अनुसार कोई भी जीव जात-पांत से बड़ा या छोटा नहीं होता। अपितु मन, वचन और कर्म से बड़े या छोटे होते हैं। संत शिरोमणि रविदास जात से तो मोची थे, लेकिन मन, कर्म और वचन से संत थे।  

कार्य ही ध्यान है :- 
संत कवि रविदास कबीरदास के गुरु भाई थे। गुरु भाई अर्थात् दोनों के गुरु स्वामी रामानंद जी थे। संत रविदास का जन्म लगभग 600 वर्ष पूर्व माघ पूर्णिमा के दिन काशी में हुआ था। मोची कुल में जन्म लेने के कारण जूते बनाना उनका पैतृक व्यवसाय था और इस व्यवसाय को ही उन्होंने ध्यान विधि बना डाला। कार्य कैसा भी हो, यदि आप उसे ही परमात्मा का ध्यान बना लें तो मोक्ष सरल हो जाता है। रविदासजी अपना काम पूरी निष्ठा और ध्यान से करते थे। इस कार्य में उन्हें इतना आनंद आता था कि वे मूल्य लिए बिना ही जूते लोगों को भेंट कर देते थे। 

‘’मन चंगा तो कठौती में गंगा’’ 
संत रविदास जी से जब एक बार किसी ने गंगा स्नान करने को कहा तो उन्होंने कहा- कि नहीं, मुझे आज ही किसी को जूते बनाकर देना है। यदि नहीं दे पाया तो वचन भंग हो जाएगा। रविदास के इस तरह के उच्च आदर्श और उनकी वाणी, भक्ति एवं अलौकिक शक्तियों से प्रभावित होकर अनेक राजा-रानियों, साधुओं तथा विद्वज्जनों ने उनको सम्मान दिया है। वे मीरा बाई के गुरु भी थे।

उनकी इस साधुता को देखकर संत कबीर ने कहा था- कि साधु में रविदास संत हैं, सुपात्र ऋषि सो मानियां। रविदास राम और कृष्ण भक्त परंपरा के कवि और संत माने जाते हैं। उनके प्रसिद्ध दोहे आज भी समाज में प्रचलित हैं जिन पर कई धुनों में भजन भी बनाए गए हैं। जैसे, प्रभुजी तुम चंदन हम पानी- इस प्रसिद्ध भजन को सभी जानते हैं।

Created On :   8 Feb 2019 9:20 AM GMT

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