संकष्टी चतुर्थी : जानें पूजा ​विधि और शुभ मुहूर्त

Sankashti Chaturthi: Learn Puja method and auspicious time
संकष्टी चतुर्थी : जानें पूजा ​विधि और शुभ मुहूर्त
संकष्टी चतुर्थी : जानें पूजा ​विधि और शुभ मुहूर्त

डिजिटल डेस्क। प्रथम पूज्य श्री गणेश को शुभ कार्यों का देवता माना जाता है। किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले उनकी स्तुति की जाती है। उनकी पूजा से सभी कार्य निर्विघ्न संपन्न होते हैं। वैसे तो हर पूजा के पहले गणेश जी की पूजा होती है, लेकिन इनकी पूजा का महत्व संकष्टी चतुर्थी पर और भी अधिक बढ़ जाता है। इस माह गणेश चतुर्थी का व्रत 15 नवंबर, शुक्रवार को है। 

मान्यता है कि इस दिन व्रत और भगवान गणेश की आराधना करने से सभी तरह के कष्टों से मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं संकष्टी चतुर्थी का महत्व और पूजन विधि...

संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त  
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ -  15 नवम्बर शाम 07:46 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त - 16 नवंबर शाम 07:15 बजे

पूजन विधि
सबसे पहले सुबह स्नान कर साफ और धुले हुए कपड़े पहनें। 
पूजा के लिए भगवान गणेश की प्रतिमा को ईशानकोण में चौकी पर स्थापित करें। 
चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा पहले बिछा लें।
भगवान के सामने हाथ जोड़कर पूजा और व्रत का संकल्प लें और फिर उन्हें जल, अक्षत, दूर्वा घास, लड्डू, पान, धूप आदि अर्पित करें। 
अक्षत और फूल लेकर गणपति से अपनी मनोकामना कहें, उसके बाद ओम ‘गं गणपतये नम:’ मंत्र बोलते हुए गणेश जी को प्रणाम करें।
इसके बाद एक थाली या केले का पत्ता लें, इस पर आपको एक रोली से त्रिकोण बनाना है।
त्रिकोण के अग्र भाग पर एक घी का दीपक रखें, इसी के साथ बीच में मसूर की दाल व सात लाल साबुत मिर्च को रखें।
पूजन के बाद चंद्रमा को शहद, चंदन, रोली मिश्रित दूध से अर्घ्य दें. पूजन के बाद लड्डू प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें।

व्रत विधि:
इस दिन व्रत रखा जाता है और और चंद्र दर्शन के बाद उपवास तोड़ा जाता है। व्रत रखने वाले जातक फलों का सेवन कर सकते हैं। साबूदाना की खिचड़ी, मूंगफली और आलू भी खा सकते हैं। मान्‍यता है कि संकष्टी चतुर्थी संकटों को खत्म करने वाली चतुर्थी है।

Created On :   14 Nov 2019 8:50 AM GMT

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