वट सावित्री व्रत: इस पूजा में है बरगद के पेड़ का विशेष महत्व, जानें इसके लाभ

Vat Savitri fast brings happiness in the family, learn worship method
वट सावित्री व्रत: इस पूजा में है बरगद के पेड़ का विशेष महत्व, जानें इसके लाभ
वट सावित्री व्रत: इस पूजा में है बरगद के पेड़ का विशेष महत्व, जानें इसके लाभ

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। परिवार की सुख शांति और पति की दीर्घायु के लिए महिलाएं ज्येष्ठ माह में वट सावित्री व्रत रखती हैं। यह व्रत बीते माह ज्येष्ठ अमावस्या के दिन रखा गया था। वहीं इस व्रत को कुछ जगह ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भी रखा जाता है, जो इस बार 5 जून शुक्रवार को है। वट सावित्री व्रत में ‘वट’ और ‘सावित्री’ दोनों का खास महत्व माना गया है। पीपल की तरह वट या बरगद के पेड़ का भी विशेष महत्व है। पुराणों की मानें तो वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु व महेश तीनों का वास है। 

विवाहित महिलाएं इस व्रत को पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं। माना जाता है कि इस दिन सावित्री अपने पति के प्राण यमराज से वापस लेकर आईं थीं। उत्तर भारत में इस व्रत को वट सावित्री के रुप मे मनाया जाता है।

जून माह 2020: इस माह में आने वाले ये महत्वपूर्ण व्रत और त्यौहार, जानें तिथि

महत्व
इस व्रत में महिलाएं बरगद के पेड़ के चारों ओर घूमकर रक्षा सूत्र बांधकर आशीर्वाद मांगती हैं। वे अपने पति की लंबी आयु के साथ परवार में सुख शांति की कामना करती हैं। इस दौरान सुहागिनें एक-दूसरे को सिंदूर लगाती हैं। इसके अलावा पुजारी से सत्यवान और सावित्री की कथा सुनती हैं। पुराणों के अनुसार वट वृक्ष के नीचे बैठकर ही सावित्री ने अपने पतिव्रत से पति सत्यवान को दोबारा जीवित कर लिया था। वहीं दूसरी कथा के अनुसार मार्कण्डेय ऋषि को भगवान शिव के वरदान से वट वृक्ष के पत्ते में पैर का अंगूठा चूसते हुए बाल मुकुंद के दर्शन हुए थे, तभी से वट वृक्ष की पूजा की जाती है।  

ऐसे करें व्रत और पूजा
- ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठ जाएं। 
- स्नान के बाद व्रत करने का संकल्प लें। 
- महिलाएं व्रत शुरू करने से पहले पूरा श्रृगांर कर लें। 
- इस दिन पीले वस्त्र पहनना और पीला सिंदूर लगाना शुभ माना जाता है। 
- पूजा के लिए बरगद का पेड़, सावित्री-सत्यवान और यमराज की मूर्ति रखें। 
- बरगद के पेड़ में जल डालकर उसमें पुष्प, अक्षत, फूल और मिठाई चढ़ाएं। 
- पेड़ में रक्षा सूत्र बांधकर आशीर्वाद मांगें। 

आपकी ये गलतियां लाती हैं घर में दरिद्रता, इन बातों का रखें ध्यान

- इसके बाद वृक्ष की सात बार परिक्रमा करें। 
- परिक्रमा के बाद हाथ में काला चना लेकर इस व्रत की कथा सुनें। 
- अंत में वट वृक्ष और यमराज से घर में सुख, शांति और पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करें। 
- इसके बाद पंडित को दान दक्षिणा दें। 
- चने गुड़ का प्रसाद सभी लोगों को बांटें।
- इस पूरे दिन उपवास रखें और शाम में समय फलाहार करें। 
- इस व्रत को अगले दिन खोला जाता है।  

Created On :   2 Jun 2020 11:39 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story