विनायकी चतुर्थी, भगवान शिव ने स्वयं सुनी थी गणपति की ये कथा

Vinayaki Chaturthi Vrat Katha Dates puja Vidhi And Muhurt 2018
विनायकी चतुर्थी, भगवान शिव ने स्वयं सुनी थी गणपति की ये कथा
विनायकी चतुर्थी, भगवान शिव ने स्वयं सुनी थी गणपति की ये कथा

 

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। विनायकी चतुर्थी व्रत इस बार सोमवार 19  फरवरी 2018 को है। इस व्रत को लेकर तरह-तरह की मान्यताएं हैं, किंतु ऐसा कहा जाता है कि गणपति को प्रसन्न करना है तो इससे अच्छा और शुभ दिन व्रत के लिए दूसरा नही हो सकता। यहां हम आपको श्री गणेश विनायकी चतुर्थी व्रत की पौराणिक कथा के बारे में बताने जा रहे हैं। 


इस व्रत की कथा के संबंध में कहा जाता है कि एक बार माता पार्वती और भगवान शिव के मन में चैपड़ खेलने की इच्छा हुई, किंतु हार जीत का फैसला कौन करे तो भगवान शंकर ने कुछ तिनके एकत्रित कर पुतला बनाया और उससे हार जीत का फैसला करने कहा। संयोग से तीन बार माता पार्वती ही इस खेल में जीत गईं, किंतु जब अंतिम फैसले में हार जीत के निर्णय का समय आया तो उस बालक ने भगवान शंकर को विजयी बता दिया।

 

इससे क्रोधित होकर माता पार्वती ने बालक को लंगड़ा होने एवं कीचड़ में पड़े होने का श्राप दे दिया। इस पर बालक के क्षमा मांगने पर माता पार्वती ने कहा यहां नाग कन्याएं आएंगी, उनसे तुम गणेश चतुर्थी के व्रत की विधि पूछना और उसे धारण करना। इससे तुम्हारे सभी दोष नष्ट होंगे। एक वर्ष बाद वहां नाग कन्याएं आईं उनसे व्रत की विधि पूछकर बालक ने व्रत धारण किया और 21 चतुर्थी तक व्रत रखने के उपरांत भगवान गणेश ने उसे दर्शन दिए और उसे श्राप से मुक्त किया। 

 

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इस कथा के अनुसार श्राप मुक्त होने के बाद बाद बालक कैलाश भगवान शिव से भेंट करने गया और उन्हें पूरी कथा सुनाई। इस पर चैपड़ खेलने के उपरांत से ही माता पार्वती शिव से विमुख हो गईं थीं अतः उन्होंने इस व्रत के नियमों का पालन किया जिससे माता पार्वती ने पुनः उनसे भेंट की। कहा जाता है कि जो भी इस व्रत को विधि अनुसार धारण करता है उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

Created On :   16 Feb 2018 4:28 AM GMT

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