आज प्रदोष के संग मासिक शिवरात्रि का बना संयोग, इस विधि से करें पूजा

आज प्रदोष के संग मासिक शिवरात्रि का बना संयोग, इस विधि से करें पूजा

डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिन्दू धर्म में भगवान शिव को देवों का देव कहा गया है यानी महादेव। वैसे तो इनकी आराधना के लिए सोमवार का दिन खास माना जाता है। लेकिन हर माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत पर विशेष तौर पर भोलेनाथ की पूजा की जाती है। वहीं मासिक शिवरात्रि पर भी भक्त व्रत रखने के साथ ही भगवान शिव की आराधना करते हैं। आज यानी कि 17 मई, बुधवार को प्रदोष व्रत के साथ मासिक शिवरात्रि का संयोग बना है।

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जो व्यक्ति मासिक शिवरात्रि का व्रत रखता है और विधि विधान से भगवान शिव की पूजा करता है उसकी हर इच्छा पूरी हो जाती है। साथ ही उसके जीवन में आने वाली हर तरह की समस्या खत्म हो जाती है। इस दिन भगवान शिव की आराधना से सौभाग्य प्राप्त होता है। विवाहित जोड़ों के दाम्पत्य जीवन में सुख-शान्ति रहती है। आइए जानते हैं पूजा की विधि और मुहूर्त...

मुहूर्त

मासिक शिवरात्रि तिथि आरंभ: 17 मई 2023, बुधवार रात 10:28 बजे से
मासिक शिवरात्रि तिथि समापन: 18 मई 2023, गुरुवार रात 9:43 बजे तक
त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: 16 मई 2023 मंगलवार, रात 11 बजकर 36 मिनट से
त्रयोदशी तिथि समापन: 17 मई 2023 बुधवार, रात 10 बजकर 28 मिनट तक

प्रदोष व्रत सामग्री

प्रदोष व्रत पर भगवान की पूजा के लिए सफेद पुष्प, सफेद मिठाइयां, सफेद चंदन, सफेद वस्त्र, जनेउ, जल से भरा हुआ कलश, धूप, दीप, घी,कपूर, बेल-पत्र, अक्षत, गुलाल, मदार के फूल, धतुरा, भांग, हवन सामग्री आदि, आम की लकड़ी की आवश्यकता होती है।

व्रत विधि

बुध प्रदोष व्रत के दिन व्रती को प्रात:काल उठकर नित्य क्रम से निवृत हो स्नान कर शिव जी का पूजन करना चाहिए। पूरे दिन मन ही मन “ॐ नम: शिवाय ” का जप करें। पूरे दिन निराहार रहें। त्रयोदशी के दिन प्रदोष काल में यानी सुर्यास्त से तीन घड़ी पूर्व, शिव जी का पूजन करना चाहिए। प्रदोष व्रत की पूजा संध्या काल 4:30 बजे से लेकर संध्या 7:00 बजे के बीच की जाती है।

संध्या काल में पुन: स्नान कर स्वच्छ श्वेत वस्त्र धारण कर लें। पूजा स्थल अथवा पूजा गृह को शुद्ध कर लें। यदि व्रती चाहे तो शिव मंदिर में भी जा कर पूजा कर सकते हैं। पांच रंगों से रंगोली बनाकर मंडप तैयार करें। पूजन की सभी सामग्री एकत्रित कर लें। कलश अथवा लोटे में शुद्ध जल भर लें। कुश के आसन पर बैठ कर शिव जी की पूजा विधि-विधान से करें। “ऊँ नम: शिवाय ” कहते हुए शिव जी को जल अर्पित करें।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

Created On :   17 May 2023 10:00 AM GMT

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