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- A campus with a special glorious history on the 58th Foundation Day (August 17) of IIMC - Prof. Sanjay Dwivedi
IIMC के प्रगति और विकास का सफर : आईआईएमसी के 58 वें स्थापना दिवस (17 अगस्त) पर विशेष गौरवशाली इतिहास को समेटे एक परिसर -प्रो.संजय द्विवेदी

डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। भारतीय जनसंचार संस्थान(आईआईएमसी) ने अपने गौरवशाली इतिहास के 58 वर्ष पूरे कर लिए हैं। किसी भी संस्था के लिए यह गर्व का क्षण भी है और विहंगावलोकन का भी। ऐसे में अपने अतीत को देखना और भविष्य के लिए लक्ष्य तय करना बहुत महत्वपूर्ण है। 17 अगस्त,1965 को देश की तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने इस संस्थान का शुभारंभ किया और तब से लेकर आजतक इस परिसर ने प्रगति और विकास के अनेक चरण देखे हैं।
प्रारंभ में आईआईएमसी का आकार बहुत छोटा था, उन दिनों यूनेस्को के दो सलाहकारों के साथ मुख्यतः केंद्रीय सूचना सेवा के अधिकारियों के लिए पाठ्यक्रम आयोजित किए गए। साथ ही छोटे स्तर पर कुछ शोध कार्यों की शुरुआत भी हुई। यह एक आगाज था, किंतु यह यात्रा यहीं नहीं रुकी। 1969 में अफ्रीकी-एशियाई देशों के मध्यम स्तर के पत्रकारों लिए विकासशील देशों के लिए पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम का एक अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारंभ किया गया, जिसे अपार सफलता मिली और संस्थान को अपनी वैश्विक उपस्थिति जताने का मौका भी मिला। इसके साथ ही आईआईएमसी की एक खास उपलब्धि केंद्र और राज्य सरकारों तथा सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों के जनसंपर्क, संचार कर्मियों के प्रशिक्षण की व्यवस्था भी रही। इन पाठ्यक्रमों के माध्यम से देश के तमाम संगठनों के संचार प्रोफेशनल्स की प्रशिक्षण संबंधी जरुरतों का पूर्ति भी हुई और कुशल मानवसंसाधन के विकास में योगदान रहा।
बाद के दिनों में आईआईएमसी ने स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रमों की शुरुआत की। जिसमें आज दिल्ली परिसर सहित उसके अन्य पांच परिसरों कई पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं। दिल्ली परिसर में जहां रेडियो और टीवी पत्रकारिता,अंग्रेजी पत्रकारिता, हिंदी पत्रकारिता, उर्दू पत्रकारिता, विज्ञापन और जनसंपर्क के पांच पाठ्यक्रम चलाए जाते हैं। वहीं उड़ीसा स्थित ढेंकानाल परिसर में उड़िया पत्रकारिता और अंग्रेजी पत्रकारिता के दो पाठ्यक्रम हैं। आइजोल(मिजोरम) परिसर अंग्रेजी पत्रकारिता में एक डिप्लोमा पाठ्यक्रम का संचालन करता है। अमरावती(महाराष्ट्र) परिसर में अंग्रेजी और मराठी पत्रकारिता में पाठ्यक्रम चलते हैं। जम्मू (जम्मू एवं कश्मीर)परिसर में अंग्रेजी पत्रकारिता और कोयट्टम(केरल) परिसर में अंग्रेजी और मलयालम पत्रकारिता के पाठ्यक्रम संचालित किए जाते हैं। इस तरह देश के विविध हिस्सों में अपनी उपस्थिति से आईआईएमसी भाषाई पत्रकारिता के विकास में एक खास योगदान दिया है। हिंदी, मलयालम, उर्दू, उड़िया और मराठी पत्रकारिता के पाठ्यक्रम इसके उदाहरण हैं। भविष्य में अन्य भारतीय भाषाओं में पाठ्यक्रमों के साथ उस भाषा में पाठ्य सामग्री की उपलब्धता भी महत्वपूर्ण होगी। इस वर्ष हम तीन परिसरों ( दिल्ली, आइजोल और जम्मू) में डिजीटल मीडिया का पाठ्यक्रम प्रारंभ कर रहे हैं। साथ ही जम्मू और अमरावती में हिंदी पत्रकारिता का पाठ्यक्रम शुरू कर रहे हैं।
विजन है खासः
भारतीय जनसंचार संस्थान के विजन(दृष्टि) को देखें तो वह बहुत महत्वाकांक्षी है। ज्ञान आधारित सूचना समाज के निर्माण, मानव विकास , सशक्तिकरण एवं सहभागिता आधारित जनतंत्र में योगदान देने की बातें कही गयी हैं। इसमें साफ कहा गया है कि इन आदर्शों में अनेकत्व, सार्वभौमिक मूल्य और नैतिकता होगी। इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए प्रौद्योगिकी का प्रयोग करते हुए मीडिया शिक्षा शोध, विस्तार एवं प्रशिक्षण के कार्यक्रम चलाए जाएंगें। इस दृष्टि को अपने पाठ्यक्रमों, प्रशिक्षण, शोध और संविमर्शों में शामिल करते हुए आईआईएमसी ने एक लंबी यात्रा तय की है। अपने प्रकाशनों के माध्यम से जनसंचार की विविध विधाओं पर विशेषज्ञतापूर्ण सामग्री तैयार की है।
प्रकाशनों की दुनिया-
कम्युनिकेटर(अंग्रेजी) और संचार माध्यम(हिंदी) दो शोध पत्रिकाओं के माध्यम से शोध और अनुसंधान का वातावरण बनाने का काम भी संस्थान ने किया है। इसके साथ ही ‘संचार सृजन’ नामक त्रैमासिक पत्रिका का प्रकाशन भी प्रारंभ किया गया है, जिसमें विद्वतजनों के आलेख प्रकाशित होते हैं। राजभाषा को समर्पित पत्रिका ‘राजभाषा विमर्श’ का प्रकाशन भी दो साल पहले आरंभ किया गया है। इसके साथ ही ‘आईआईएमसी न्यूज’ नामक न्यूज लेटर का मासिक प्रकाशन भी प्रारंभ हुआ है। इसके साथ ही हिंदी में पाठ्यपुस्तकों के प्रकाशन की योजना पर काम हो रहा है। जिसमें पहले चरण में 23 पाठ्यपुस्तकों के प्रकाशन की योजना है।
आज जबकि सूचना एक शक्ति के रुप में उभर रही है। ज्ञान आधारित समाज बनाने में ऐसे उपक्रम और संविमर्श सहायक हो सकते हैं। जनसंचार को एक ज्ञान-विज्ञान के अनुशासन के रूप में स्थापित करने और उसमें बेहतर मानवसंसाधन के विकास के लिए तमाम यत्न किए जाने की जरुरत है।इन चुनौतियों के बीच भारतीय जनसंचार संस्थान शिक्षण, प्रशिक्षण और शोध के क्षेत्र में एक बड़ी जगह बनाई है। संस्थान की विशेषता है कि इसका संचालन और प्रबंध एक स्वशासी निकाय भारतीय जनसंचार संस्थान समिति करती है। इसके अध्यक्ष सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सचिव श्री अपूर्व चंद्र हैं। इस सोसायटी में देश भर के सूचना,संचार वृत्तिज्ञों(प्रोफेशनल्स) के अलावा देश के शिक्षा, संस्कृति और कला क्षेत्र के गणमान्य लोग भी शामिल होते हैं। मीडिया क्षेत्र की जरुरतों के मद्देनजर पाठ्यक्रमों को निरंतर अपडेट किया जाता है और संचार विशेषज्ञों के सुझाव इसमें शामिल किए जाते हैं। इसके अलावा कार्यकारी परिषद प्रबंध के कार्य देखती है।
नेतृत्वकारी भूमिका में हैं पूर्व छात्र-
आईआईएमसी के पूर्व छात्र आज देश के ही नहीं, विदेशों के भी तमाम मीडिया, सूचना और संचार संगठनों में नेतृत्वकारी भूमिका में हैं। उनकी उपलब्धियां असाधारण हैं और हमें गौरवान्वित करती हैं। आईआईएमसी के पूर्व छात्रों का संगठन इतना प्रभावशाली और सरोकारी है, वह सबको जोड़कर सौजन्य व सहभाग के तमाम कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। पूर्व विद्यार्थियों का सामाजिक सरोकार और आयोजनों के माध्यम से उनकी सक्रियता रेखांकित करने योग्य है। कोई भी संस्थान अपने ऐसे प्रतिभावान,संवेदनशील पूर्व छात्रों पर गर्व का अनुभव करेगा।
आईआईएमसी का परिसर अपने प्राकृतिक सौंदर्य और स्वच्छता के लिए भी जाना जाता है। इस मनोरम परिसर में प्रकृति के साथ हमारा साहचर्य और संवाद संभव है। परिसर में विद्यार्थियों के लिए छात्रावास, समृद्ध पुस्तकालय, अपना रेडियो नाम से एक सामुदायिक रेडियो भी संचालित है। इसके अलावा भारतीय सूचना सेवा के अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए विशेष सुविधाएं और उनके लिए आफीसर्स हास्टल भी संचालित है। अपने दूरदर्शी पूर्व अध्यक्षों, महानिदेशकों, निदेशकों, अधिकारियों, सम्मानित प्राध्यापकों और विद्यार्थियों के कारण यह परिसर स्वयं अपने इतिहास पर गौरवान्वित अनुभव करता है। आने वाले समय की चुनौतियों के मद्देनजर अभी और आगे जाना है। अपने सपनों में रंग भरना है। उम्मीद की जानी चाहिए कि संस्थान अपने अतीत से प्रेरणा लेकर बेहतर भविष्य के लिए कुछ बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करेगा, साथ ही जनसंचार शिक्षा में वैश्विक स्तर पर स्वयं को स्थापित करने में सफल रहेगा।
(लेखक भारतीय जनसंचार संस्थान,नई दिल्ली के महानिदेशक हैं।)
स्वास्थ्य योजना: आरोग्य संजीवनी पॉलिसी खरीदने के 6 फ़ायदे
डिजिटल डेस्क, भोपाल। आरोग्य संजीवनी नीति का उपयोग निस्संदेह कोई भी व्यक्ति कर सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह बिल्कुल सस्ती है और फिर भी आवेदकों के लिए कई गुण प्रदान करती है। यह रुपये से लेकर चिकित्सा व्यय को कवर करने में सक्षम है। 5 लाख से 10 लाख। साथ ही, आप लचीले तंत्र के साथ अपनी सुविधा के आधार पर प्रीमियम का भुगतान कर सकते हैं। आप ऑफ़लाइन संस्थानों की यात्रा किए बिना पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन कर सकते हैं। आरोग्य संजीवनी नीति सामान्य के साथ-साथ नए जमाने की उपचार सेवाओं को भी कवर करने के लिए लागू है। इसलिए, यह निस्संदेह आज की सबसे अच्छी स्वास्थ्य योजनाओं में से एक है।
• लचीला
लचीलापन एक बहुत ही बेहतर पहलू है जिसकी किसी भी प्रकार की बाजार संरचना में मांग की जाती है। आरोग्य संजीवनी पॉलिसी ग्राहक को अत्यधिक लचीलापन प्रदान करती है। व्यक्ति अपने लचीलेपन के आधार पर प्रीमियम का भुगतान कर सकता है। इसके अलावा, ग्राहक पॉलिसी के कवरेज को विभिन्न पारिवारिक संबंधों तक बढ़ा सकता है।
• नो-क्लेम बोनस
यदि आप पॉलिसी अवधि के दौरान कोई दावा नहीं करते हैं तो आरोग्य संजीवनी पॉलिसी नो-क्लेम बोनस की सुविधा देती है। उस स्थिति में यह बोनस आपके लिए 5% तक बढ़ा दिया जाता है। आपके द्वारा बनाया गया पॉलिसी प्रीमियम यहां आधार के रूप में कार्य करता है और इसके ऊपर यह बोनस छूट के रूप में उपलब्ध है।
• सादगी
ग्राहक के लिए आरोग्य संजीवनी पॉलिसी को संभालना बहुत आसान है। इसमें समान कवरेज शामिल है और इसमें ग्राहक के अनुकूल विशेषताएं हैं। इस पॉलिसी के नियम और शर्तों को समझने में आपको ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। इससे पॉलिसी खरीदना आसान काम हो जाता है।
• अक्षय
आरोग्य संजीवनी स्वास्थ्य नीति की वैधता अवधि 1 वर्ष है। इसलिए, यह आपके लिए अपनी पसंद का निर्णय लेने के लिए विभिन्न विकल्प खोलता है। आप या तो प्रीमियम का भुगतान कर सकते हैं या योजना को नवीनीकृत कर सकते हैं। अंत में, आप चाहें तो योजना को बंद भी कर सकते हैं।
• व्यापक कवरेज
यदि कोई व्यक्ति आरोग्य संजीवनी पॉलिसी के साथ खुद को पंजीकृत करता है तो वह लंबा कवरेज प्राप्त कर सकता है। यह वास्तव में स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों से संबंधित बहुत सारे खर्चों को कवर करता है। इसमें दंत चिकित्सा उपचार, अस्पताल में भर्ती होने के खर्च आदि शामिल हैं। अस्पताल में भर्ती होने से पहले से लेकर अस्पताल में भर्ती होने के बाद तक के सभी खर्च इस पॉलिसी द्वारा कवर किए जाते हैं। इसलिए, यह नीति कई प्रकार के चिकित्सा व्ययों के खिलाफ वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में एक समग्र दृष्टिकोण है।
• बजट के अनुकूल
आरोग्य संजीवनी स्वास्थ्य योजना एक व्यक्ति के लिए बिल्कुल सस्ती है। यदि आप सीमित कवरेज के लिए आवेदन करते हैं तो कीमत बिल्कुल वाजिब है। इसलिए, जरूरत पड़ने पर आप अपने लिए एक अच्छी गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य देखभाल का विकल्प प्राप्त कर सकते हैं।
निष्कर्ष
आरोग्य संजीवनी नीति समझने में बहुत ही सरल नीति है और उपरोक्त लाभों के अलावा अन्य लाभ भी प्रदान करती है। सभी सामान्य बीमा कंपनियां ग्राहकों को यह पॉलिसी सुविधा प्रदान करने के लिए बाध्य हैं। हालांकि, यह सरकार द्वारा प्रायोजित नहीं है और ग्राहक को इस पॉलिसी की सेवाएं प्राप्त करने के लिए भुगतान करना होगा। इसके अलावा, अगर वह स्वस्थ जीवन शैली का पालन करता है और उसे पहले से कोई मेडिकल समस्या नहीं है, तो उसे इस पॉलिसी को खरीदने से पहले मेडिकल टेस्ट कराने की जरूरत नहीं है। हालाँकि, इस नीति के लिए आवेदन करते समय केवल नीति निर्माताओं को ही सच्चाई का उत्तर देने का प्रयास करें।
SSC MTS Cut Off 2023: जानें SSC MTS Tier -1 कटऑफ और पिछले वर्ष का कटऑफ
डिजिटल डेस्क, भोपाल। कर्मचारी चयन आयोग (SSC) भारत में केंद्रीय सरकारी नौकरियों की मुख्य भर्तियों हेतु अधिसूचना तथा भर्तियों हेतु परीक्षा का आयोजन करता रहा है। हाल ही में एसएससी ने SSC MTS और हवलदार के लिए अधिसूचना जारी किया है तथा इस भर्ती हेतु ऑनलाइन आवेदन भी 18 जनवरी 2023 से शुरू हो चुके हैं और यह ऑनलाइन आवेदन 17 फरवरी 2023 तक जारी रहने वाला है। आवेदन के बाद परीक्षा होगी तथा उसके बाद सरकारी रिजल्ट जारी कर दिया जाएगा।
एसएससी एमटीएस भर्ती हेतु परीक्षा दो चरणों (टियर-1 और टियर-2) में आयोग के द्वारा आयोजित की जाती है। इस वर्ष आयोग ने Sarkari Job एसएससी एमटीएस भर्ती के तहत कुल 12523 पदों (हवलदार हेतु 529 पद) पर अधिसूचना जारी किया है लेकिन आयोग के द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार भर्ती संख्या अभी अनिश्चित मानी जा सकती है। आयोग के द्वारा एसएससी एमटीएस भर्ती टियर -1 परीक्षा अप्रैल 2023 में आयोजित की जा सकती है और इस भर्ती परीक्षा हेतु SSC MTS Syllabus भी जारी कर दिया गया है।
SSC MTS Tier 1 Cut Off 2023 क्या रह सकता है?
एसएससी एमटीएस कटऑफ को पदों की संख्या तथा आवेदन करने वाले उम्मीदवारों की संख्या प्रभवित करती रही है। पिछले वर्षों की अपेक्षा इस वर्ष भर्ती पदों में वृद्धि की गई है और संभवतः इस वर्ष आवेदन करने वाले उम्मीदवारों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो सकती है तथा इन कारणों से SSC MTS Cut Off 2023 बढ़ सकता है लेकिन यह उम्मीदवार के वर्ग तथा प्रदेश के ऊपर निर्भर करता है। हालांकि आयोग के द्वारा भर्ती पदों की संख्या अभी तक सुनिश्चित नहीं कि गई है।
SSC MTS Tier 1 Expected Cut Off 2023
हम आपको नीचे दिए गए टेबल के माध्यम से वर्ग के अनुसार SSC MTS Expected Cut Off 2023 के बारे में जानकारी देने जा रहें हैं-
• वर्ग कटऑफ
• अनारक्षित 100-110
• ओबीसी 95 -100
• एससी 90-100
• एससी 80-87
• पुर्व सैनिक 40-50
• विकलांग 91-95
• श्रवण विकलांग 45-50
• नेत्रहीन 75-80
SSC MTS Cut Off 2023 – वर्ग के अनुसार पिछले वर्ष का कटऑफ
उम्मीदवार एसएससी एमटीएस भर्ती हेतु पिछले वर्षों के कटऑफ को देखकर SSC MTS Cut Off 2023 का अनुमान लगा सकते हैं। इसलिए हम आपको उम्मीदवार के वर्गों के अनुसार SSC MTS Previous Year cutoff के बारे में निम्नलिखित टेबल के माध्यम से बताने जा रहे हैं-
• वर्ग कटऑफ
• अनारक्षित 110.50
• ओबीसी 101
• एससी 100.50
• एससी 87
• पुर्व सैनिक 49.50
• विकलांग 93
• श्रवण विकलांग 49
• नेत्रहीन 76
SSC MTS के पदों का विवरण
इस भर्ती अभियान के तहत कुल 11994 मल्टीटास्किंग और 529 हवलदार के पदों को भरा जाएगा। योग्यता की बात करें तो MTS के लिए उम्मीदवार को भारत के किसी भी मान्यता प्राप्त बोर्ड से कक्षा 10वीं उत्तीर्ण होना चाहिए। इसके अलावा हवलदार के पद के लिए शैक्षणिक योग्यता यही है।
ऐसे में परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए यह बेहद ही जरूरी है, कि परीक्षा की तैयारी बेहतर ढंग से करें और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करें।
रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय: वेस्ट जोन इंटर यूनिवर्सिटी क्रिकेट टूर्नामेंट का पहला मैच रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय ने 4 रनों से जीत लिया
डिजिटल डेस्क, भोपाल। रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के स्पोर्ट ऑफिसर श्री सतीश अहिरवार ने बताया कि राजस्थान के सीकर में वेस्ट जोन इंटर यूनिवर्सिटी क्रिकेट टूर्नामेंट का आज पहला मैच आरएनटीयू ने 4 रनों से जीत लिया। आज आरएनटीयू विरुद्ध जीवाजी यूनिवर्सिटी ग्वालियर के मध्य मुकाबला हुआ। आरएनटीयू ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। आरएनटीयू के बल्लेबाज अनुज ने 24 बॉल पर 20 रन, सागर ने 12 गेंद पर 17 रन और नवीन ने 17 गेंद पर 23 रन की मदद से 17 ओवर में 95 रन का लक्ष्य रखा। लक्ष्य का पीछा करने उतरी जीवाजी यूनिवर्सिटी की टीम निर्धारित 20 ओवर में 91 रन ही बना सकी। आरएनटीयू के गेंदबाज दीपक चौहान ने 4 ओवर में 14 रन देकर 3 विकेट, संजय मानिक ने 4 ओवर में 15 रन देकर 2 विकेट और विशाल ने 3 ओवर में 27 रन देकर 2 विकेट झटके। मैन ऑफ द मैच आरएनटीयू के दीपक चौहान को दिया गया। आरएनटीयू के टीम के कोच नितिन धवन और मैनेजर राहुल शिंदे की अगुवाई में टीम अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन कर रही है।
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. ब्रह्म प्रकाश पेठिया, कुलसचिव डॉ. विजय सिंह ने खिलाड़ियों को जीत की बधाई और अगले मैच की शुभकामनाएं दीं।
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