चीनी उत्पादों के बहिष्कार को तैयार है दिल्ली विश्वविद्यालय

Delhi University is ready to boycott Chinese products
चीनी उत्पादों के बहिष्कार को तैयार है दिल्ली विश्वविद्यालय
चीनी उत्पादों के बहिष्कार को तैयार है दिल्ली विश्वविद्यालय

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट यानी एनडीटीएफ ने सीमा पर चीनी हिमाकत के विरोध स्वरूप देशभर के विश्वविद्यालयों के शिक्षकों से चीनी उत्पादों के बहिष्कार की अपील की है। दिल्ली विश्वविद्यालय का बिजनेस इकोनॉमिक्स डिपार्टमेंट भी इस मुहिम में शामिल हुआ है। अपनी इस मुहिम के जरिए अध्यापक, छात्रों एवं शिक्षण संस्थानों में चीन की नीतियों के प्रति जागरूकता से लाएंगे। चीनी उत्पादों के बहिष्कार के प्रति जनता को जागरूक करने, स्वदेशी और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए एनडीटीएफ ने चीनी आक्रामकता के प्रति भारत का विकल्प बहिष्कार से आत्मनिर्भर भारत तक विषय पर एक परिचर्चा का आयोजन किया।

दिल्ली विश्वविद्यालय के बिजनेस इकोनॉमिक्स डिपार्टमेंट के विभागाध्यक्ष प्रो वीके कौल ने कहा चीन ने भूमंडलीकरण को अपनी आर्थिक और सैनिक ताकत बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया अब वह इस ताकत का इस्तेमाल वित्तीय संकट और कोविड-19 की महामारी से ग्रस्त विश्व में खासकर पड़ोसी देशों के साथ अपनी आक्रामकता बढ़ाकर दुरुपयोग कर रहा है। भारत को भी अपनी नीति बदलनी होगी भारत को भी अब प्रौद्योगिकी क्रांति और उससे वाले बनने वाले अवसरों पर ज्यादा ध्यान देकर काम करने की जरूरत है।

प्रो कौल ने कहा, भारत को चीन की मानसिकता , कार्य संस्कृति और मूल्य व्यवस्था कुछ समझ कर अपनी रणनीति बनानी होगी ताकि स्वदेशी के निर्माण और आर्थिक आत्मनिर्भरता के लिए यथावश्यक इंफ्रास्ट्रक्च र और व्यवस्था बनाई जा सके। कोविड-19 महामारी में चीन की भूमिका को देखते हुए कई सारी कंपनियां चीन से बाहर निकलना चाहती हैं और यह भारत के लिए एक अच्छा अवसर है कि वह इन कंपनियों को भारत में आकर्षित कर सकता है। प्रो कौल ने बताया कि बतौर नागरिक भारतीयों को अपनी उपभोक्ता आदतों को भी बदलने की जरूरत है। नीतिगत स्तर पर भी अब हमें ज्यादा सजग होकर राष्ट्रहित के साथ विकास की अवधारणा को अपनाना होगा।

एनटीटीएफ अध्यक्ष डॉ. एके भागी ने कहा , स्वदेशी और आत्मनिर्भरता आज बहुत ही प्रासंगिक विषय है। चीनी सामानों के बहिष्कार की बात तो करना आसान है लेकिन इस चुनौती से निपटना बहुत ही मुश्किल तो है लेकिन असम्भव नहीं है। पिछले कई वर्षों में विदेशी उत्पादों पर भारत की निर्भरता बढ़ी है और चीन उन देशों में से है जहां बड़ी मात्रा में भारत उत्पादों का आयात करता है लेकिन उसकी आक्रामकता और सीमा पर की गई धृष्टता को देखते हुए आज जरूरी हो गया है कि भारत स्वदेशी और आत्मनिर्भरता के सवाल पर गंभीरता से विचार करें। प्रत्येक नागरिक के साथ-साथ समाज और देश के स्तर पर भी मंथन करने की आवश्यकता है ताकि सभी मिलकर इस चुनौती का बखूबी मुकाबला कर सकें।

 

Created On :   28 Jun 2020 10:00 AM GMT

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