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बागबान: स्ट्रिक्टनेस और स्वीटनेस से ही परिवार में रहती हैै एकता, विश्वास और अपनापन जरूरी

- रिश्ते तो विश्वास और अपनापन मांगते हैं
- पत्नी घर की गरिमा और परंपराओं को निभाने वाली संस्कारी गृहिणी
- शिक्षित और सुसंस्कृत बेटी, बेटा और बहू समझदार और जिम्मेदार दंपति
Nagpur News. बागों के हर फूल को अपना समझे बागबान, हर घड़ी करे रखवाली, पत्ती पत्ती डाली-डाली सींचे बागबान
रब है बागबान, रब है बागबान.... कुछ इसी तरह, डॉ. उदय बोधनकर एक ऐसे बागबान हैं, जिन्होंने अपने परिवार को बेहद संगीदगी से जीया है, हर पल खुशियां बांटी और परिवार के लिए ही डॉक्टर बनें और अब अपनी सेवाएं परिवार के मुखिया की तरह उन जरूरतमंद लोगों को भी दे रहे हैं, जो उनसे दिल से जुड़े हैं, परिवार के अलावा अपने जानने पहचानने वालों के लिए भी डॉ. उदय बोधनकर किसी बागबान से कम नहीं है। वैसे तो डॉक्टर को भगवान का रूप कहा जाता है, लेकिन डॉ बोधनकर के जीवन को करीब से देखा जाए, तो कहा जा सकता है...रब है बागबान....
डॉ. उदय बोधनकर उपराजधानी के प्रतिष्ठित बालरोग विशेषज्ञ (Pediatrician & Neonatologist) हैं, जिनका करीब 50 वर्षों का अनुभव है और उन्होंने बच्चे और माताओं की भलाई के लिए अत्यधिक योगदान दिया है। डॉ. बोधनकर का परिवार एक आदर्श और सभ्य परिवार माना जाता है। उनके परिवार में उनकी पत्नी है, जो घर की गरिमा और परंपराओं को निभाने वाली एक संस्कारी गृहिणी हैं। उनकी एक बेटी है, जो शिक्षित और सुसंस्कृत है। उनका बेटा और बहू भी एक समझदार और जिम्मेदार दंपति हैं, जो परिवार के मूल्यों को सहेजकर चलते हैं। पोता-पोती इस परिवार की खुशियों का केंद्र हैं, जिनमें संस्कारों की छाप साफ दिखाई देती है। यह परिवार आपसी प्रेम, सम्मान और संस्कारों का प्रतीक है, जो समाज के लिए एक प्रेरणा है।

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बचपन की यादें ताजा करते हुए डॉ. उदय बोधनकर बताते हैं कि उनके दादाजी काफी सख्त थे, जबकि दादी बहुत स्नेही थी। त्योहार हो या गर्मियों की छुट्टियां, पूरा परिवार साथ रहता था। इसी से संयुक्त परिवार की अहमियत समझ में आई। शादी के बाद पत्नी सुनीति को भी घर के अनुशासन और शिष्टाचार का गहरा अनुभव था। उनके पिताजी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ काम कर चुके थे। यही वजह रही कि अपने बच्चों को भी हमने अनुशासन और आदर्शों की सीख दी। आज बेटा अमेरिका में इंजीनियर है और बेटी पेशे से वकील है, फिर भी संस्कारों की जड़ें उतनी ही मजबूत हैं। डॉ. बोधनकर खुद एक डॉक्टर हैं। वे बताते हैं कि गरीब मरीजों का मुफ्त इलाज करना उन्होंने हमेशा अपना कर्तव्य समझा। यही भावना उनकी बेटी ने भी सीखी, जो आज एक संवेदनशील और समाजसेवी वकील के रूप में कार्यरत हैं।
डॉ. उदय बोधनकर धंतोली में रहते हैं। 71 वर्षीय डॉ. उदय बोधनकर का मानना है कि स्ट्रिक्टनेस और स्वीटनेस से ही परिवार साथ में रहता है। इसका उचित बैलेंस जीवन में बहुत जरूरी है।
बोधनकर का परिवार
उदय बोधनकर (प्रधान), सुनीति बोधनकर (पत्नी), निखिल बोधनकर (बेटा), केतकी बोधनकर (बहू), प्रियंका बोधनकर (बेटी), अयान बोधनकर (पोता), अन्या बोधनकर (पोती)।

उदय बोधनकर ने बताया कि कई साल पहले उनका एक्सीडेंट हुआ था और वे कोमा में चले गए थे। फ्रैक्चर के बाद हार्ट अटैक भी आया। डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था, लेकिन पत्नी सुनीति ने हार नहीं मानी। उन्होंने डॉक्टरों से कहा कि ‘मेरे पति शेर हैं, आप वेंटिलेटर मत हटाइए।' 12 दिनों के कोमा के बाद मैं फिर जिंदा लौटा। यह समय मेरे लिए अनमोल था। "वे भावुक होकर बताते हैं कि अगर मेरी पत्नी और बच्चों का विश्वास न होता, तो शायद मैं आज जीवित नहीं होता।
आपने जो विरासत संजोई है, वह भविष्य के लिए कैसे बेहतर है?
मैंने अपने बच्चों को सिखाया है कि अनुशासन में रहना, बड़ों का सम्मान करना, संवेदनशीलता और परोपकार जीवन में बहुत जरूरी है। हम जब भी बाहर जाते हैं और कोई भिखारी आता है, तो पैसे देने की बजाय हम बिस्किट्स या चिक्की देते हैं। यह परोपकार का छोटा सा रूप है, लेकिन बड़ा संदेश देता है। मेरे बच्चे भी यही करते हैं।
शहर, समाज और देश के लिए युवाओं को क्या करना चाहिए?
आज के युवाओं में पारिवारिक और मानवीय मूल्य कमजोर हो रहे हैं। उन्हें मोबाइल, ड्रग्स और फास्ट फूड से दूरी रखनी चाहिए। अपने लक्ष्य पर फोकस करें और हर धर्म की इज्जत करें। यही आगे बढ़ने का सही रास्ता है।

इसी डॉ. बोधनकर की किताब तिमिर से उदय की ओर में एक संघर्ष की दासतान हैं। जो अपने आप में सब कुछ कह देती है। इस किताब से कई लोग प्रेरणा ले सकते हैं। डॉ. उदय ने बाल रोग विशेषज्ञ बनने के बारे में ही क्यों सोचा, इस बारे में भी जानकारी इस किताब में है। यह बहुत ही दिलचस्प किताब है। डॉ. बोधनकर ने अपनी बहन का निधन देखा और दो बच्चों को खोया भी है, लेकिन मुश्किल की उन घड़ियों में भी पूरे परिवार को बांधे रखा।

शैक्षणिक योग्यता और पेशेवर अनुभव
MBBS – Government Medical College & Hospital, Nagpur (1976)
MCPS – College of Physicians & Surgeons, Mumbai (1977)
DCH – Diploma in Child Health, CPS Mumbai (1980)
MD (Pediatrics) – GMC Nagpur (1983)
Fellowships: FIAP, FNNF, FICMCH, FRCPCH (UK) सहित कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय सहयोगी मान्यताएं प्राप्त हैं

राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय योगदान
Commonwealth Association for Health & Disability (UK) में Executive Director के रूप में कार्यरत
International Council Member ASPR (Japan), IAP, NNF सहित अनेक संगठनों से जुड़े हुए हैं
WHO, UNICEF, Govt. of India के सहयोग से भारत और विदेशों में न्यूबॉर्न स्वास्थ्य कार्यशालाओं का आयोजन
University of Chicago और University of Sydney जैसी संस्थाओं के साथ सहयोग & ट्रेनिंग कार्यक्रमों में भागीदारी

सम्मान व मान्यता
Queen Elizabeth, UK द्वारा Buckingham Palace में आमंत्रित और सम्मानित – पहला एशियाई सचिव–महासचिव रॉयल पुरस्कारकर्ता
Outstanding Pediatrician of Asia Award (चीन, 2009) – 23 एशियाई देशों में से चयनित प्रथम भारतीय बाल चिकित्सक
भारत की राष्ट्रपति Pratibha Devisingh Patil द्वारा बाल स्वास्थ्य कार्यों हेतु प्रशंसा
JCI India के "Outstanding Young Person of India" पुरस्कार सहित अनेक राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार
Created On :   13 July 2025 6:32 PM IST