Nagpur News: भारत का पहला नेशनल पीडियाट्रिक एपिलेप्सी कॉन्क्लेव, बच्चों में मिर्गी से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं पर व्याख्यान

भारत का पहला नेशनल पीडियाट्रिक एपिलेप्सी कॉन्क्लेव, बच्चों में मिर्गी से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं पर व्याख्यान
  • विषय पर शैक्षणिक सत्र का आयोजन, डॉ बोधनकर का हुआ सम्मान
  • बच्चों में मिर्गी के प्रकार, लक्षण, कारण और निदान (Diagnosis) पर व्याख्यान
  • सम्मेलन का उद्घाटन केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने किया

Nagpur News : भारत का पहला नेशनल पीडियाट्रिक एपिलेप्सी कॉन्क्लेव (NPEC) उपराजधानी में हुआ है। इस कार्यक्रम को इंडियन एपिलेप्सी सोसाइटी (IES) की मान्यता मिली है। एशियन एपिलेप्सी अकादमी (ASEPA) का सफल कार्यक्रम रहा। इस दौरान बच्चों में मिर्गी से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं पर केंद्रित विचार विमर्श हुआ। अनुभवी डॉक्टरों ने एक दूसरे के साथ अपने अनुभव सांझा किए। इस सम्मेलन का उद्घाटन केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने किया गया, उनके साथ डॉ. वसंत खलातकर (IAP अध्यक्ष), डॉ. लोकेन्द्र सिंह एवं डॉ. प्रमोद गिरी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।


कार्यक्रम में वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ एवं पूर्व IAP अध्यक्ष डॉ. उदय बोधनकर ने ऐसे बच्चों की देखभाल को बेहतर बनाने के लिए इस तरह आयोजित होने वाले सम्मेलनों की आवश्यकता पर जोर दिया। जिससे इलाज में नवीन शोध और तकनीक की जानकारी एक दूसरे से सांझा की जा सके। इस मौके पर डॉ बोधनकर का सम्मान किया गया।

नेशनल पीडियाट्रिक एपिलेप्सी कॉन्क्लेव (National Pediatric Epilepsy Conclave) में बाल-तंत्रिका विशेषज्ञ (Pediatric Neurologists), मनोचिकित्सक, न्यूरोसर्जन, शोधकर्ता, चिकित्सक, फिजियोथेरेपिस्ट एक साथ एकत्र हुए, ताकि बाल मिर्गी (Pediatric Epilepsy) से जुड़ी समस्याओं पर चर्चा की जा सके और नए शोध व उपचार पद्धतियों को साझा किया जा सके। सम्मेलन में देश-विदेश के प्रख्यात विशेषज्ञ शामिल हुए, जिनमें डॉ. उदानी, डॉ. विनयन, डॉ. डेरिक चान (सिंगापुर), डॉ. केट राइनी (ऑस्ट्रेलिया), डॉ. सिंधु (मलेशिया) और अन्य नामचीन विशेषज्ञों ने भाग लिया।

तीन दिवसीय इस कार्यक्रम का समापन हुआ, जिसमें आयोजन समिति के सभी वरिष्ठों, पदाधिकारियों एवं समर्थकों और डॉ. विंकी रुघवानी का आभार प्रकट किया गया।

विशेष तौर से अध्यक्ष डॉ. विनीत वानखेडे, आयोजन सचिव डॉ. अमरजीत वाघ तथा डॉ. विलास जाधव के नेतृत्व वाली टीम का आभार जताया गया, जिनकी अथक मेहनत से आयोजन सफल हुआ।



(क्यों जरूरी होते हैं कॉन्क्लेव खास बिन्दुओं से जानिए)

  • EEG पढ़ने की तकनीक, मिर्गी डायग्नोसिस, इमेजिंग (MRI/CT Scan) की व्याख्या।
  • मरीजों के प्रबंधन में व्यावहारिक प्रशिक्षण।

केस स्टडीज़ और प्रस्तुतियां

  • असामान्य और जटिल मामलों की प्रस्तुतियां जिनमें चिकित्सक अपने अनुभव साझा करते हैं।

रिसर्च पेपर और पोस्टर प्रस्तुतियां

  • नवाचारों और रिसर्च प्रोजेक्ट्स की जानकारी देना।
  • मेडिकल छात्रों व युवाओं को अवसर देना।

नई गाइडलाइंस की घोषणा

  • बाल मिर्गी के उपचार हेतु राष्ट्रीय या संस्थागत स्तर पर नई दिशा-निर्देश (Guidelines) जारी की जा सकती हैं।
  • अभिभावकों और देखभालकर्ताओं के लिए सत्र (कभी-कभी):
  • यदि कार्यक्रम सार्वजनिक भागीदारी वाला हो, तो अभिभावकों के लिए जागरूकता सत्र और परामर्श भी शामिल हो सकते हैं।

Created On :   6 July 2025 4:56 PM IST

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