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Nagpur News: मच्छरों की भरमार , तापमान, नमी, आर्द्रता सब अनुकूल नागपुर शहर में बढ़ रहा मलेरिया का खतरा

- मच्छरों के विकास-चक्र से रिपोर्ट को जोड़ा
- प्रशासनिक स्तर पर सतर्क रहने की जरूरत
Nagpur News तापमान में उतार-चढ़ाव और मौसम में बदलाव के कारण मलेरिया जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। एक ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, तापमान, बारिश और हवा में नमी का मलेरिया के फैलने पर सीधा असर पड़ता है। 20 से 33 डिग्री सेल्सियस के बीच का तापमान मच्छरों और परजीवियों के विकास के लिए सबसे उपयुक्त होता है। वहीं, बारिश से जगह-जगह पानी जमा हो जाता है, जो मच्छरों के प्रजनन के लिए आदर्श स्थान बन जाता है। और, अधिक नमी मच्छरों के लिए अधिक समय तक जीवित रहने के लिए अनुकूल होती है, जिससे परजीवियों को अपने विकास चक्र को पूरा करने के लिए अधिक समय मिलता है। इससे मलेरिया का संचरण बढ़ सकता है। बीते महीने हुई बारिश और तापमान नागपुर सहित विदर्भ में मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों के प्रजनन और वृद्धि के लिए अनुकूल माना जा रहा है। इससे मलेरिया के प्रकोप की आशंका गहरा रही है।
आंकड़े सावधान करते हैं
बिहार के आंकड़ों पर एक अध्ययन किया गया था। नागपुर में वर्तमान मौसम के आकड़े इस रिपोर्ट से सीधा मेल खाते हैं-
रिसर्च में बताया गया है कि अगर जुलाई में नमी (आरएच) 60 % से अधिक और तापमान 20 से 30 डिग्री सेल्सियस हो, तो मच्छरों के लिए सबसे अच्छी हालत बनती है और मलेरिया तेजी से फैलता है।
नागपुर में जुलाई 2025 में लगभग 475 मिमी तक बारिश हुई, जो सामान्य से लगभग 50 % अधिक रही, साथ ही आरएच औसतन 70 - 80% रहा और औसत तापमान 28° सेल्सियस के आसपास था।
यानी नागपुर का मौसम भी वही हालात दिखा रहा है, जो रिसर्च में मलेरिया के लिए खतरनाक बताए गए हैं। इसलिए स्वास्थ्य विभाग को अगस्त–सितंबर में मलेरिया के बढ़ते मामलों को लेकर पहले से अलर्ट रहना चाहिए।
सक्रिय हो जाते हैं मच्छर : बारिश के दौरान जगह-जगह पानी जमा हो जाता है। मौसम गर्म-नम रहता है, जिससे मच्छर तेजी से बढ़ते हैं। खासकर ‘एनोफिलीज़ कुलीसीफेसीज़’ प्रजाति के मच्छर, जो मलेरिया फैलाते हैं, इस दौरान बहुत सक्रिय हो जाते हैं। इनकी संख्या बढ़ने से मलेरिया का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
15 साल से ऊपर वाले ज्यादा संक्रमित : रिपोर्ट के मुताबिक, मलेरिया के केस पुरुषों में महिलाओं से ज़्यादा देखे गए हैं। 15 साल से ऊपर के लोग सबसे ज़्यादा शिकार बनते हैं। जुलाई से नवंबर के बीच सबसे ज़्यादा मामले सामने आते हैं।
परिस्थितियां प्रजनन के लिए अनुकूल : कुछ दिन पहले विदर्भ सहित महाराष्ट्र में मानसून की स्थिति कमजोर थी। लगभग ‘ब्रेक कंडीशन'। इसके बाद फिर बारिश, यह मलेरिया के प्रसार के लिए अनुकूल वातावरण पैदा कर रही है। ऐसे मच्छरों में मलेरिया परजीवी (पैरासाइट) के वहन से मलेरिया के मामलों में वृद्धि की आशंका बनी हुई है।
Created On :   19 Aug 2025 5:51 PM IST