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Nagpur News: सिकलसेल-थैलेसीमिया पीड़ितों के लिए डागा में पीड़ित बच्चों की नि:शुल्क जांच

- जीवनदायी पहल का लाभ
- डागा में पीड़ित बच्चों की एचएलए टाइपिंग जांच नि:शुल्क
- महंगी जांच गरीबों के लिए संभव नहीं
Nagpur News. शासकीय डागा स्मृति महिला अस्पताल में सिकलसेल व थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों के लिए जीवनदायी पहल की गई है। पीड़ित बच्चों के लिए नि:शुल्क एचएलए टाइपिंग जांच शिविर का आयोजन किया गया। निजी अस्पतालों में इस जांच के लिए 20 से 25 हजार रुपए खर्च करने पड़ते हैं। डागा के हिमेटोलॉजी डे केयर सेंटर में शिविर आयोजित किया गया। शिविर में 30 से अधिक बच्चों की जांच की गई। सभी के सैंपल लिये गए है। आगे की प्रक्रिया के लिए बंेगलुरु भेजे गए है। सैंपल पॉजिटिव आने पर उपचार किया जाएगा। संकल्प फाउंडेशन के सह्योग से यह जांच की गई।
महंगी जांच गरीबों के लिए संभव नहीं
हेमेटोलॉजी डे केयर सेंटर सेंटर के प्रभारी डॉ. संजय देशमुख ने बताया कि एचएलए टाइपिंग अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण (बीएमटी) से पूर्व का अनिवार्य परीक्षण है। जो सिकल सेल व थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों के लिए जीवन रक्षक उपचार सिद्ध हो सकता है। सामान्यतः इस जांच की लागत लगभग 20 से 25 हजार रुपये होती है, जिसके कारण गरीब व जरूरतमंद परिवार इसे वहन नहीं कर पाते। सिविल सर्जन डॉ. निवृत्ति राठौड़ ने कहा कि इस शिविर का उद्देश्य नागपुर और आसपास के सिकल सेल व थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को यह जांच निःशुल्क उपलब्ध कराना है। ताकि बीएमटी की संभावना तलाश कर उनके जीवन की गुणवत्ता बेहतर की जा सके। चिकित्सा अधिकारी डॉ. काजी ने जानकारी दी कि शिविर में 60 से अधिक बच्चों का एचएलए टाइपिंग किया गया। सभी सैंपल आगे की प्रक्रिया हेतु बैंगलुरु भेजे गए हैं।
बच्चों की समग्र देखभाल का लक्ष्य
चिकित्सा अधीक्षक डॉ. दिलीप मडावी ने बताया कि डागा अस्पताल और संकल्प फाउंडेशन मिलकर सिकल सेल व थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों की समग्र देखभाल उपलब्ध कराने की दिशा में काम कर रहे हैं। फाउंडेशन के संतोष हेज ने कहा कि यह पहल स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक सुलभ व किफायती बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। शिविर को सफल बनाने में अनिरुद्ध धर, हेमलता वाघमारे, राजेश्री सोमकुवर, मोनिका शेंद्रे, स्मिता पुलके, संदीप पोरातकर, रोहित जायसवाल, संजीवनी सातपुते, लीना बोरकर और प्रचिति मोटघरे ने सह्योग किया। यह पहल नागपुर क्षेत्र में सिकल सेल व थैलेसीमिया जैसे गंभीर रोगों से जूझ रहे बच्चों के लिए आशा की नई किरण साबित हुई है।
Created On :   18 Aug 2025 5:54 PM IST