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Nagpur News: संतरानगरी में अवतरित हुई श्री विट्ठल नगरी पंढरपुर ,भक्तिरस में डूबे श्रोता
- "पाऊले चालती पंढरीची वाट’ ने किया मंत्रमुग्ध
- आषाढ़ी एकादशी के पर्व पर भक्तिमय प्रस्तुति
Nagpur News रविवार 6 जुलाई को देवशयनी आषाढ़ी एकादशी है। यह पर्व महाराष्ट्र के आद्य दैवत श्री विट्ठल भगवान को समर्पित है। इस पर्व को देखते हुए राज्यभर में विविध धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। नागपुर में भी इस पर्व की धूम होती है। शुक्रवार का दिन नागपुरवासियों के लिए यादगार दिन था। इस दिन नागपुरवासियों ने श्री हरि विट्ठल भक्तिरस धारा का आनंद उठाया। मौका था सांस्कृतिक कार्य विभाग अंतर्गत सांस्कृतिक कार्य संचालनालय द्वारा आयोजित कार्यक्रम "पाऊले चालती पंढरीची वाट’ का। कार्यक्रम का आयोजन रेशमबाग स्थित सुरेश भट सभागृह में किया गया। विधायक प्रवीण दटके की पहल पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। सुर, लय व ताल के साथ भजनों -वादन की सुंदर प्रस्तुति से ऐसा प्रतीत हुआ मानो खुद पंढरपुर की वारी नागपुर पहुंच गई है।
नागपुर में अवतरित हुई पंढरपुर नगरी : कार्यक्रम की शुरुआत महाराष्ट्र गीत से हुई। इसके बाद डॉ. सुभाष राऊत के हाथों दीप प्रज्वलन किया गया। इस अवसर पर अनिल मानापुरे, प्रदीप पाटील, वसंत खडसे, अबोली बोरहणकर, श्याम चांदेकर, संदीप शेंडे, कुणाल गडेकर विशेष रूप से उपस्थित रहे। दिलीप देवरणकर और मंजुश्री डोंगरे ने अतिथियों को स्मृतिचिन्ह देकर उनका स्वागत किया। भजन संध्या की शुरुआत गायिका निकेता जोशी द्वारा ‘मोगरा फुलला' गीत से हुई। इसके बाद भूषण जाधव ने ‘इंद्रायणी काठी देवाची आळंदी' और ‘देव माझा विठू सावळा' जैसे विठ्ठल भजन प्रस्तुत किए। अनिरुद्ध जोशी ने ‘सावळे सुंदर रूप मनोहर' और शमिका भिडे ने ‘बोलावा विठ्ठल, पाहावा विठ्ठल' जैसे भावपूर्ण गीतों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। मंच सज्जा भी अत्यंत मनोहारी थी, जिससे सारे प्रसंग और गीतों को जीवंत बना दिया। गायकों और वादकों के सुरों का तालमेल ऐसा था कि पूरा सभागृह जैसे पंढरपुर नगरी अवतरित हो गई हो। पहलीबार कार्यक्रम की लोकप्रियता और भीड़ ऐसी थी कि श्रोताओं के लिए सुरेश भट सभागृह की बालकनी भी खोलनी पड़ी।
गायक प्रल्हाद शिंदे की याद ताजा : कार्यक्रम की खास बात यह थी कि प्रसिद्ध भक्ति गायक प्रल्हाद शिंदे की यादें ताजा हुई। उनके पुत्र चंद्रकांत शिंदे ने ‘विठ्ठलाच्या पायी विट झाली भाग्यवंत' और ‘चल गं सखे पंढरीला' जैसे सुप्रसिद्ध गीतों को उसी पारंपरिक शैली में गाकर श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। उनकी प्रस्तुति से श्रोताओं को जैसे प्रल्हाद शिंदे की भक्ति सुरों की जीवंत झलक मिली। पंढरपुर न जा पाने वाले भक्तों के लिए यह कार्यक्रम किसी वारी से कम नहीं था।
Created On :   5 July 2025 4:25 PM IST