Nagpur News: न्यायमूर्ति गवई के शपथ ग्रहण समारोह के गवाह बने डॉ बोधनकर ने कहा - महाराष्ट्र का बढ़ा गौरव

न्यायमूर्ति गवई के शपथ ग्रहण समारोह के गवाह बने डॉ बोधनकर ने कहा - महाराष्ट्र का बढ़ा गौरव
  • न्यायमूर्ति भूषण गवई का नागपुर और अमरावती से खास नाता
  • नागपुर नगर निगम, अमरावती नगर निगम और अमरावती विश्वविद्यालय के स्थायी वकील रहे
  • 1992-93 तक बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में सहायक सरकारी वकील और अतिरिक्त लोक अभियोजक रहे

Nagpur News. अमरावती में जन्में और नागपुर नगर निगम के स्थायी वकील रहे न्यायमूर्ति भूषण गवई अब भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) हैं। उन्होंने 14 मई, 2025 को राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह के दौरान सीजेआई के रूप में शपथ ली। इस खास मौके पर उपराजधानी के जाने माने डॉक्टर उदय बोधनकर मौजूद रहे। डॉक्टर बोधनकर ने उन पलों का जिक्र करते कहा कि न्यायमूर्ति भूषण गवई का शपथ लेना महाराष्ट्र के लिए गौरव की बात है। इससे भारत के न्यायिक इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया है। जस्टिस गवई के नेतृत्व में न्यायपालिका से न्याय, निष्पक्षता और पारदर्शिता की नई उम्मीदें जुड़ी हैं।


जस्टिस भूषण गवई को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में पद की शपथ दिलाई। इस ऐतिहासिक मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और कई अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे। इस अवसर पर बोधनकर को भी कार्यक्रम में शिरकत करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

जस्टिस गवई ने न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की जगह ली है। उनका चयन सर्वोच्च न्यायालय की परंपरा के अनुसार वरिष्ठता के आधार पर हुआ। न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई का जन्म 24 नवम्बर 1960 को अमरावती में हुआ था। वे 2003 से 2019 के बीच बॉम्बे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश भी रहे चुके हैं। 8 मई 2019 को हुई बैठक में सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई का नाम जज के लिए प्रस्तावित किया था। जस्टिस के॰ जी॰ बालकृष्णन के बाद गवई ऐसे दूसरे ऐसे जज हैं, जो बौद्ध धर्म का अनुसरण करते हैं। उनके पिता दिवंगत आर.एस. गवई, प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और बिहार-केरल के पूर्व राज्यपाल रह चुके हैं।

गवई का न्यायिक सफर

16 मार्च 1985 से वकालत की शुरूआत की।

नागपुर नगर निगम, अमरावती नगर निगम और अमरावती विश्वविद्यालय के स्थायी वकील रहे।

1992-93 तक बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में सहायक सरकारी वकील और अतिरिक्त लोक अभियोजक रहे।

2000 में सरकारी वकील और लोक अभियोजक नियुक्त हुए।


न्यायिक पदों का सफर

14 नवंबर 2003 में बॉम्बे हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश बने।

12 नवंबर 2005 में स्थायी न्यायाधीश नियुक्त।

24 मई 2019 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने।

इन ऐतिहासिक फैसलों से देश को नई दिशा मिली

अनुच्छेद 370 (2023): पांच जजों की संविधान पीठ का हिस्सा रहे। साथ ही उन्होंने सर्वसम्मति से जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद को हटाने का समर्थन किया।

राजीव गांधी हत्याकांड मामले में 30 साल से अधिक जेल में बंद दोषियों की रिहाई को मंजूरी दी।

वणियार आरक्षण मामला (2022) तमिलनाडु सरकार द्वारा वणियार समुदाय को दिया गया विशेष आरक्षण रद्द किया।

नोटबंदी (2023) को लेकर 4:1 बहुमत से 2016 की नोटबंदी को वैध ठहराया।

बुलडोजर कार्रवाई (2024) मामले में बिना कानूनी प्रक्रिया के संपत्ति ध्वस्तीकरण को असंवैधानिक बताया।



Created On :   16 May 2025 5:25 PM IST

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