बिहार: पटना विश्वविद्यालय के पाँच प्रतिष्टित कालेजों में लाटरी से प्रिन्सिपलों की नियुक्ति, विशिष्ट क्षेत्र में मनमानी वाला विकृत प्रयोग ना हो- मायावती

- बसपा ने नीतीश सरकार पर साधा निशाना
- विफलताओं को छिपाने के लिए किए जा रहे है ऐसे घातक प्रयोग
- केन्द्र सरकार उचित व समुचित संज्ञान लेकर जल्द करें कार्रवाई
डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार में साल के अंतिम महीनों में विधानसभा चुनाव है, उससे पहले राज्य की नीतीश सरकार पारदर्शिता व तटस्था के नाम पर तरह तरह के प्रयोग कर रही है। हाल ही में बिहार के प्रसिद्ध पटना विश्वविद्यालय के पाँच प्रतिष्टित कालेजों में लाटरी से चुने गए प्रिन्सिपलों की नियुक्ति पर सियासी सवाल खड़ हो रहे है। लॉटरी के तहत कॉलेज को प्राचार्य तो मिल गया, लेकिन विशेषज्ञता नहीं। इसे लेकर बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने बिहार सरकार पर निशाना साधते हुए केंद्र सरकार से हस्तक्षेप करने की मांग की है।
मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि बिहार के प्रसिद्ध पटना विश्वविद्यालय के पाँच प्रतिष्टित कालेजों में ’लाटरी’ की नई व्यवस्था के तहत् प्रिन्सिपलों की नियुक्ति का मामला दिलचस्प होने के कारण देश भर में ख़ासकर मीडिया व शिक्षा जगत में काफी चर्चाओं में है। स्थापित परम्परा से हटकर, ’लाटरी’ के ज़रिए नियुक्ति की एक प्रकार से विचित्र व्यवस्था लागू करने के कारण केवल कला (आर्ट्स) विषयों की पढ़ाई वाले 1863 में स्थापित पटना कालेज में कैमिस्ट्री के प्राध्यापक प्रो. अनिल कुमार प्राचार्य बन गये हैं, जबकि बिहार विश्वविद्यालय में गृह विज्ञान की प्राचार्य प्रो. अल्का यादव विज्ञान की उच्च शिक्षा के लिए प्रख्यात पटना साइन्स कालेज की नयी प्रिन्सिपल नियुक्त हुयी हैं। इतना ही नहीं बल्कि इसी प्रकार की नियुक्ति वाणिज्य महाविद्यालय में भी हुई है। यहाँ पहली बार कला संकाय की महिला प्राध्यापक डा सुहेली मेहता प्राचार्य बनी हैं, हालाँकि उनके विषय की पढ़ाई यहाँ इस कालेज में नहीं होती है। साथ ही, महिला शिक्षा जगत में प्रसिद्ध मगध महिला कालेज को लम्बे इतिहास में दूसरी बार पुरुष प्रिन्सिपल मिले हैं। प्रो. एन. पी. वर्मा यहाँ के नये प्राचार्य होंगे जबकि प्रो. योगेन्द्र कुमार वर्मा की लाटरी पटना लॉ कालेज के प्रिन्सिपल के रूप में निकली है।
मायावती ने ये भी लिखा है कि इसको लेकर लोगों में उत्सुकता है कि पारदर्शिता व तटस्थता के नाम पर बिहार सरकार व वहाँ के चांसलर द्वारा इस प्रकार लाटरी के माध्यम से की गयी प्रिन्सिपल की नियुक्तियों को सही ठहरा कर क्या इस व्यवस्था को भाजपा-शासित अन्य राज्यों में भी लागू किया जाएगा?
बीएसपी चीफ ने ये बिहार सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि वास्तव में कालेजों के प्रिन्सिपल जैसे महत्वपूर्ण पद पर भी पूरी पारदर्शिता, तटस्था व ईमानदारी के साथ नियुक्ति नहीं कर पाने की अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए ही ऐसा घातक प्रयोग करना लोगों की नज़र में उच्च शिक्षा व्यवस्था को सुधार का कम तथा खराब करने वाला ज़्यादा प्रतीत होता है। इसी प्रकार, इसी परम्परा को अपना कर आगे चलकर मेडिकल कालेजों, आईआईटी व अंतरिक्ष विज्ञान आदि जैसी सांइस की उच्च व विशिष्ठ संस्थाओं में भी गै़र-एक्सपर्ट नियुक्त किये जायें तो यह ताज्जुब की बात नहीं होनी चाहिए।
मायावती ने इसे लेकर कहा है कि हमारी पार्टी का यह मानना है कि किसी भी ना किया जाये तो उचित। और इससे पहले कि यह रोग गंभीर होकर और ज़्यादा फैले केन्द्र की सरकार को इसका उचित व समुचित संज्ञान लेकर जन व देशहित में जितनी जल्द कार्रवाई करे उतना बेहतर, ऐसी सभी को उम्मीद।
Created On :   4 July 2025 3:55 PM IST