फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम: स्व-नियमन और उत्तरदायित्व से ही संभव है विश्वसनीय विज्ञापन

स्व-नियमन और उत्तरदायित्व से ही संभव है विश्वसनीय विज्ञापन
  • IIMC और ASCI ने किया फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का आयोजन
  • कंटेंट क्रिएटर्स के लिये रचनात्मकता के साथ नियमों की समझ भी जरूरी: सी. सेंथिल राजन
  • विद्यार्थि‍यों को नैतिक विज्ञापन की शिक्षा देना समय की मांग: डॉ. अनुपमा भटनागर

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) द्वारा शुक्रवार को भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) के साथ मिलकर आईआईएमसी के नई दिल्ली परिसर में एक मेगा फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम (एफडीपी) का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य मीडिया, विज्ञापन, विपणन, कानून और प्रबंधन में विशेषज्ञता रखने वाले विभिन्न संस्थानों के संकाय सदस्यों को जिम्मेदार विज्ञापन, स्व-नियमन और उभरते मीडिया परिदृश्य के सिद्धांतों के प्रति संवेदनशील बनाना था।

कार्यक्रम के शुभारंभ सत्र में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री सी. सेंथिल राजन, आईआईएमसी की कुलपति डॉ. अनुपमा भटनागर, एएससीआई की सीईओ और महासचिव सुश्री मनीषा कपूर और नेस्ले के निदेशक एवं वरिष्ठ उपाध्यक्ष (रणनीति, विपणन एवं संचार) श्री चंदन मुखर्जी ने उपस्थित प्रतिभागियों को संबोधित किया। इस अवसर पर आईआईएमसी के कुलसचिव डॉ. निमिष रुस्तगी भी उपस्थित रहे।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री सी. सेंथिल राजन ने कंटेंट क्रिएटर्स को विज्ञापन संहिताओं और नैतिक नियमों के आवश्यक ज्ञान से लैस करने के लिए नियमित रूप से ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया । उन्होंने कहा, "प्रत्येक कंटेंट क्रिएटर को विज्ञापन को नियंत्रित करने वाले नियमों और विनियमों को समझना चाहिए। आईआईएमसी भारत के सर्वश्रेष्‍ठ संस्‍थानों में से हैं, जो विज्ञापन एवं संचार के क्षेत्र में ग्‍लोबल लीडर्स तैयार कर रहा है, और इस तरह की कार्यशाला ऐसे क्रिएटिव माइंड्स के कौशल को निखारती है और उनकी जागरूकता बढ़ाती है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय इस तरह की और अधिक कार्यशालाओं और कार्यक्रमों का समर्थन करते हुए प्रसन्नता अनुभव करेगा, ताकि छात्रों और प्राध्यापकों को विज्ञापन उद्योग की नैतिकता से अवगत कराया जा सके।" राजन ने प्रतिभागियों को रचनात्मक क्षेत्रों में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा मुंबई में Indian Institute of Creative Technology की स्थापना के बारे में भी जानकारी दी।

आईआईएमसी की कुलपति डॉ. अनुपमा भटनागर ने अपने संबोधन में नैतिक विज्ञापन की शिक्षा पर बल देते हुए प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे इन सीखों को अपनी शिक्षण पद्धति में शामिल करें। उन्होंने कहा, “हम अपने विद्यार्थि‍यों की रचनात्मक क्षमताओं को निखारने के साथ-साथ उनमें नैतिक मूल्यों की समझ भी विकसित करना चाहते हैं। विद्यार्थि‍यों को यह समझना चाहिए कि अच्छा विज्ञापन क्या होता है और भ्रामक प्रचार से कैसे बचा जाए।”

एएससीआई की सीईओ और महासचिव सुश्री मनीषा कपूर ने स्व-नियमन की भूमिका और डिजिटल युग में इसके महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “यह संयुक्त एफडीपी विज्ञापन में उपभोक्ता विश्वास सुनिश्चित करने की दिशा में एएससीआई की प्रतिबद्धता का परिचायक है। प्रशिक्षित प्राध्यापक इन शिक्षाओं को विद्यार्थि‍यों तक पहुँचाएंगे, जो भविष्य के विज्ञापन पेशेवर बनेंगे। हम आईआईएमसी और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के साथ साझेदारी कर गौरवान्वित हैं।”

नेस्ले के निदेशक श्री चंदन मुखर्जी ने जिम्मेदार विज्ञापन और ब्रांड की विश्वसनीयता बनाए रखने में नैतिकता की भूमिका पर बल दिया। उन्होंने कहा, "विज्ञापन केवल उत्पाद बेचने का माध्यम नहीं है, यह समाज के साथ विश्वास का रिश्ता बनाने का माध्यम है।"

आईआईएमसी के कुलसचिव और उपभोक्ता व्यवहार के शोधकर्ता डॉ. निमिष रुस्तगी ने कहा, "डिजिटल युग में विज्ञापन में नैतिकता की भूमिका पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। उपभोक्ता व्यवहार के आंकड़ों का विश्लेषण कर विज्ञापनदाता जो शक्ति प्राप्त करते हैं, वह उन्हें और अधिक जवाबदेह बनाती है। नैतिकता ही एकमात्र मूल्य है, जो उपभोक्ता कल्याण को बनाए रख सकती है और उनकी स्वायत्तता का सम्मान कर सकती है।"

दिन भर चले इस कार्यक्रम में “जिम्मेदार विज्ञापन की आवश्यकता”, “एएससीआई कोड”, “उत्तरदायी से जिम्मेदार विज्ञापन की ओर” और “एएससीआई की उभरती भूमिका” जैसे विषयों पर ज्ञानवर्धक सत्र आयोजित किये गये, जिससे प्रतिभागियों को विज्ञापन उद्योग में नैतिक मानकों और स्व-नियमन की व्यापक समझ मिली। इन ज्ञानवर्धक सत्रों का संचालन भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) में निदेशक (ऑपरेशंस) डॉ. सहेली सिन्हा ने किया, जिन्होंने प्रतिभागियों को विज्ञापन में स्व-नियमन के सिद्धांतों और प्रथाओं की गहरी समझ प्रदान की।

कार्यक्रम के संबंध में एएससीआई अकादमी की निदेशक सुश्री नम्रता बचानी ने कहा, “यह संयुक्त मेगा एफडीपी विज्ञापन में विश्वास बनाए रखने के प्रति एएससीआई की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। कार्यशाला में प्रशिक्षित प्राध्यापक इस ज्ञान को विद्यार्थि‍यों तक पहुँचाएंगे, जो भविष्य के विज्ञापन पेशेवर बनेंगे। हमें इस पहल के लिए आईआईएमसी और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के साथ साझेदारी कर प्रसन्नता हो रही है।”

कार्यक्रम के शुभारंभ सत्र का संचालन आईआईएमसी की सह प्राध्‍यापक डॉ. मीता उज्जैन ने किया और धन्यवाद ज्ञापन एफडीपी के संयोजक प्रो. (डॉ.) प्रमोद कुमार ने दिया। इस कार्यक्रम में भारत के विभिन्न संस्थानों का प्रतिनिधित्व करने वाले 98 संकाय सदस्यों ने भाग लिया।

Created On :   5 July 2025 5:12 PM IST

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