पुण्यतिथि विशेष: कला फिल्मों से स्मिता पाटिल ने बनाई खास पहचान, जानिए रोचक सीक्रेट्स

Smita Patil made his special identity by art films know her life secrets
पुण्यतिथि विशेष: कला फिल्मों से स्मिता पाटिल ने बनाई खास पहचान, जानिए रोचक सीक्रेट्स
पुण्यतिथि विशेष: कला फिल्मों से स्मिता पाटिल ने बनाई खास पहचान, जानिए रोचक सीक्रेट्स

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉलीवुड की दिग्गज अभिनेत्री स्मिता पाटिल की आज पुण्यतिथि है। सांवली, सलोनी सूरत वाली इस एक्ट्रेस ने अपने सशक्त अभिनय से इंडस्ट्री में एक पहचान बनाई। ऐसी पहचान जो सिनेमा प्रेमियों के जेहन से शायद ही कभी मिट पाएगी। स्मिता पाटिल को दुनिया से अलविदा कहे आज 31 साल हो चुके हैं। अपने फिल्मी करियर में स्मिता पाटिल ने महज 10 साल में ही अपनी एक खास पहचान बना ली थी। 13 दिसंबर, 1986 को इस अभिनेत्री ने दुनिया को अलविदा कह दिया था। 

 

स्मिता पाटिल का जन्म 17 अक्टूबर, 1956 को एक मराठी राजनीतिज्ञ परिवार में हुआ था। भारतीय फिल्मों के इतिहास में उनकी कई फिल्में मील का पत्थर साबित हुई। "भूमिका", "मंथन", "मिर्च मसाला", "अर्थ", "मंडी" और "निशांत" जैसी कला फिल्मों में उन्होंने अपने अभिनय से साबित कर दिया कि वह अपने दौर की किसी बड़ी अभिनेत्री से कम नहीं हैं। स्मिता ने व्यवसायिक सिनेमा में भी अपनी पहचान बनाई। अमिताभ बच्चन के साथ "नमक हलाल" और अन्य फिल्म "शक्ति" शामिल हैं। 

 

 

"गलियों का बादशाह" आखिरी फ़िल्म 


महाराष्ट्र के पुणे शहर में 17 अकटूबर 1955 को जन्मीं स्मिता के पिता शिवाजी राय पाटिल राज्य सरकार में मंत्री थे, जबकि उनकी मां एक समाज सेविका थी। महज 16 साल की उम्र में ही स्मिता डीडी 1 में न्यूज़रीडर की नौकरी करने लगी थीं। स्मिता दूरदर्शन में जींस पहन कर जाया करती थीं, लेकिन, जब न्यूज़ पढ़ना के पहले वे जींस के ऊपर से ही साड़ी लपेट लेती थीं। उन्हीं दिनों स्मिता की मुलाकात निर्देशक श्याम बेनेगल से हुई जिन्होंने स्मिता के टैलैंट की परख कर उन्हें अपनी फ़िल्म "चरण दास चोर" में एक छोटी सी भूमिका निभाने के लिए कहा। यहीं से स्मिता का फ़िल्मी सफ़र शुरू हो गया।

 

स्मिता ने समानांतर सिनेमा से शुरुआत करते हुए व्यावसायिक सिनेमा की ओर अपना रूख कर लिया। इस दौरान उन्हें सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के साथ दो फिल्में मिलीं और दोनों ही सुपरहिट रहीं। "गलियों का बादशाह" स्मिता पाटिल की आखिरी फ़िल्म थी।

 


फ़िल्म "मिर्च-मसाला" से मिली अंतर्राष्ट्रीय ख्याति


स्मिता पाटिल ने केतन मेहता की फ़िल्म "मिर्च-मसाला" में व्यवस्था के बीच पिसती एक औरत के संघर्ष वाला किरदार निभाया था। इस फिल्म ने उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाई। फ़िल्म "भूमिका" और "चक्र" में भी श्रेष्ठ अभिनय के लिए दो बार वो नेशनल अवार्ड्स मिला। स्मिता ने कुल चार फिल्मफेयर अवार्ड भी हासिल किए। साल 1985 में भारतीय सिनेमा में उनके अमूल्य योगदान को देखते हुए उन्हें "पदमश्री" से सम्मानित किया गया।

 

राजबब्बर से ऐसे बढ़ी नजदीकियां

स्मिता पाटिल की पर्सनल लाइफ भी बहुत ज्यादा चर्चा में रही। राज बब्बर के साथ उनकी नजदीकियां जैसे जैसे बढ़ रहीं थीं। मीडिया ने उनकी आलोचना करनी शुरू कर दी क्योंकि राज बब्बर पहले ही शादीशुदा थे। लेखिका मैथिली राव अपनी किताब में कहती हैं, कि "स्मिता पाटिल की मां स्मिता और राज बब्बर के रिश्ते के ख़िलाफ़ थीं। वो कहती थीं कि महिलाओं के अधिकार के लिए लड़ने वाली स्मिता किसी और का घर कैसे तोड़ सकती है? इसके बाद भी उन्होंने राज बब्बर से अपने रिश्ते को मां की एक न सुनी और शादी कर ली।

 

 

 

1986 में राज बब्बर और स्मिता एक हो गए। प्रतीक बब्बर के जन्म के कुछ घंटों बाद ही 13 दिसंबर 1986 को स्मिता का निधन हो गया। कहा जाता है कि राज बब्बर के साथ स्मिता का रिश्ता भी कुछ अच्छा नहीं रह गया था। स्मिता अपने आखिरी दिनों में खुद को बहुत अकेला महसूस करती थीं।

 

 


 

 

मेकअप आर्टिस्ट से जताई थी ये इच्छा


स्मिता पाटिल अपने मेकअप आर्टिस्ट दीपक सावंत से कहती थी कि "जब मैं मर जाउंगी तो मुझे सुहागन की तरह तैयार करना।" जब स्मिता का देहांत हुआ तो उनकी अंतिम इच्छा के मुताबिक़, उनके शव का सुहागन की तरह मेकअप किया गया। स्मिता के पिता पिता कम्युनिस्ट थे इसलिए उनका जनवाद और एक्टिविजम से पुराना परिचय था। स्मिता को कॉलेज में उनके साथी ‘काली’ कहकर बुलाते थे। स्मिता और शबाना 80 के दशक में एक दूसरे की घोर प्रतिद्वंद्वी मानी जाती थीं। एक तरफ अर्थ के लिए शबाना ने अवॉर्ड जीता तो स्मिता पाटिल ने डस्की ब्यूटी के तौर पर दिलों में अपनी जगह बनाईं।

 

Created On :   13 Dec 2017 8:08 AM GMT

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