शहबाज शरीफ के लिए 2023 कठिन होने वाला है, सामने हैं कई चुनौतियां

2023 is going to be difficult for Shahbaz Sharif, many challenges are ahead
शहबाज शरीफ के लिए 2023 कठिन होने वाला है, सामने हैं कई चुनौतियां
पाकिस्तान शहबाज शरीफ के लिए 2023 कठिन होने वाला है, सामने हैं कई चुनौतियां
हाईलाइट
  • इमरान खान शासन के खिलाफ विपक्षी बेंच के नेता बने

डिजिटल डेस्क, इस्लामाबाद। पाकिस्तान के वर्तमान प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को मुख्यमंत्री के रूप में अपने कई कार्यकालों के दौरान देश के सबसे बड़े प्रांत पंजाब में अपने असाधारण विकास कार्यों के लिए शहबाज स्पीड के रूप में जाना जाता है। लेकिन साल 2022 शहबाज शरीफ के लिए राजनीति में आगे बढ़ने का वर्ष बन गया, जो 2018 के आम चुनावों के दौरान नेशनल असेंबली (एमएनए) के सदस्य के रूप में चुने जाने के बाद, इमरान खान शासन के खिलाफ विपक्षी बेंच के नेता बने।

शहबाज शरीफ राजनीतिक परिवार से आते हैं। इनके बड़े भाई और पाक के पूर्व पीएम नवाज शरीफ ने अपनी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग- नवाज को कई आम चुनावों में ऐतिहासिक जीत दिलाई और देश के प्रधानमंत्री बने। नवाज शरीफ के बाद वह सेकंड इन कमांड के रूप में उभरे। कई लोगों का कहना है कि शरीफ राजनीति के पीछे की पावर थे। नवाज शरीफ को भ्रष्टाचार के मामले में जेल की सजा सुनाए जाने के बाद उन्हें पीएमएल-एन के प्रमुख पद से हटा दिया गया, इसके बाद शहबाज शरीफ ने पार्टी के अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाला।

विपक्ष के नेता के रूप में संघीय ढांचे में शहबाज शरीफ की एंट्री, संसद में अविश्वास मत के माध्यम से इमरान खान को बाहर करने के बाद सत्ताधारी प्रधानमंत्री पद के मार्ग की दिशा में पहला कदम था। जिसका नेतृत्व फिर से शहबाज शरीफ ने किया और अन्य गठबंधन राजनीतिक दलों के साथ शहबाज शरीफ को पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनाया गया।

कई लोगों के लिए, शहबाज शरीफ का प्रधानमंत्री बनना, पाकिस्तान डेमोक्रेटिक अलायंस (पीडीएम) के एक घटक के रूप में छोटा कार्यकाल माना जाता था। इमरान खान विरोधी 13 पार्टी गठबंधन ने देश में जल्द चुनाव कराने के एजेंडे के साथ सत्ता संभाली थी। इमरान खान की सत्ता से बेदखली के खिलाफ जनता के बीच हुए हंगामे ने शहबाज शरीफ के कार्यकाल को अपना संवैधानिक कार्यकाल पूरा करने के लिए रास्ता दिया। शहबाज शरीफ का साल 2022 वित्तीय चुनौतियों, जलवायु परिवर्तन तबाही और इमरान खान की एक चुनौतीपूर्ण राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का मिला-जुला अनुभव रहा है।

पाकिस्तान को रुकी हुई अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएनएफ) की विस्तारित अनुदान सुविधा (ईएफएफ) को पुनर्जीवित करने, जलवायु परिवर्तन आपदा का सामना करने, आकस्मिक बाढ़-विनाश, देश का एक तिहाई हिस्सा डूब जाना, सैकड़ों-हजारों एकड़ कृषि भूमि नष्ट होना और 35 मिलियन से अधिक लोगों को प्रभावित करना जैसी चुनौतियों का प्रभावी ढंग से शहबाज शरीफ को प्रबंधन करना पड़ा है।

साल 2022 प्रधानमंत्री के लिए कोई सफलता की स्टोरी नहीं है। क्योंकि इमरान खान की सरकार द्वारा अनदेखी की गई वित्तीय बाधाओं का बोझ और जिम्मेदारी शहबाज शरीफ के कंधों पर आ गई। राजनीतिक आधार पर शाहबाज शरीफ को इमरान खान से भारी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। इमरान खान द्वारा देश में जल्द चुनाव की मांग की जा रही है। इसके अलावा वे शाहबाज शरीफ गठबंधन सरकार को चोरों की बैंक होने का आरोप लगा रहे हैं।

शहबाज शरीफ को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से वित्तीय सहायता मांगने के लिए भी कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि सहायता के लिए उनकी अपील को भीख और सिफारिश कहा जा रहा है। जबकि पाकिस्तान की राजनीति में शहबाज शरीफ का वर्ष 2022 देश की अर्थव्यवस्था, विनाशकारी बाढ़ और उनके कट्टर प्रतिद्वंद्वी इमरान खान के स्ट्रीट पावर शो के संदर्भ में व्यापक रूप से कठिन वित्तीय चुनौतियों से भरा रहा है। शरीफ और उनकी सरकार ने निश्चित रूप से अमेरिका, यूरोप, चीन और यूएई जैसी वैश्विक शक्तियों के साथ संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में काम किया है।

पाकिस्तान में आई आपदा ने कम से कम 40 बिलियन डॉलर की संपत्ति को बहा दिया है। इसके साथ देश की अर्थव्यवस्था को अंतरराष्ट्रीय उधारदाताओं और वैश्विक समर्थन की मदद के बिना पुनर्जीवित नहीं किया जा सकता है। 2022 अब खत्म होने जा रहा हैं और साल 2023 में शहबाज शरीफ को वित्तीय, राजनीतिक अस्थिरता, शांति और सुरक्षा आधारित टकरावों जैसी चुनौतियों से निपटना होगा ताकि सत्ता में वापस आएं। साल 2022 और 2023 निश्चित रूप से राजनेता के लिए चुनौतीपूर्ण कार्य लेकर आए हैं।

(आईएएनएस)

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Created On :   25 Dec 2022 11:30 AM GMT

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