श्रीलंका में चार महीने बाद सरकार विरोधी प्रदर्शनों में कमी

Anti-government demonstrations decrease in Sri Lanka after four months
श्रीलंका में चार महीने बाद सरकार विरोधी प्रदर्शनों में कमी
श्रीलंका श्रीलंका में चार महीने बाद सरकार विरोधी प्रदर्शनों में कमी
हाईलाइट
  • आपातकाल की स्थिति

डिजिटल डेस्क, कोल्बो। श्रीलंकाई विपक्षी दलों और ट्रेड यूनियनों द्वारा नियोजित प्रदर्शनों में कमी आई है। चल रहे आर्थिक संकट के मद्देनजर शुरू किए गए सरकार विरोधी विरोध अभियान के चौथे महीने प्रदर्शनों में कम भीड़ जुट रही है।

पुलिस ने कहा कि पिछले विरोध प्रदर्शनों के लिए आए हजारों लोगों के विपरीत, 2,000 से कम मंगलवार को कोलंबो में मुख्य रैली स्थलों में से एक पर थे। समाचार एजेंसी डीपीए की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति कार्यालय के पास एक प्रदर्शन में जहां लोग पिछले चार महीनों से डेरा डाले हुए हैं, केवल 150 लोग ही पहुंचे। प्रदर्शनकारियों में से एक ने कहा, सरकार द्वारा की गई कार्रवाई और सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी ने लोगों को अपना विरोध दिखाने के लिए बाहर आने से रोका होगा।

राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने भी गैस और ईंधन की कमी को दूर करके और राजनीतिक स्थिरता की भावना को बहाल करके प्रदर्शनकारियों की पाल से हवा निकाल ली है, हालांकि श्रीलंका आपातकाल की स्थिति में है। पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के देश छोड़कर भाग जाने के बाद 20 जुलाई को संसदीय वोट से विक्रमसिंघे को इस पद के लिए चुना गया था। श्रीलंका के शीर्ष नेताओं के आवासों और कार्यालयों पर धावा बोलने वालों समेत 100 से अधिक प्रदर्शनकारियों को अब तक गिरफ्तार किया जा चुका है।

एक अभूतपूर्व आर्थिक संकट, 1948 में देश को आजादी मिलने के बाद से सबसे खराब हालात हैं। ईंधन, गैस और भोजन की कमी के बीच अशांति का कारण बना। 9 अप्रैल को प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति कार्यालय के बाहर डेरा डालना शुरू कर दिया था। 9 मई को पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने पद छोड़ दिया और 9 जून को वित्तमंत्री तुलसी राजपक्षे ने इस्तीफा दे दिया। 9 जुलाई को प्रदर्शनकारियों ने पूर्व राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास पर धावा बोल दिया, जिससे उन्हें पद छोड़ना पड़ा।

 

आईएएनएस

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Created On :   10 Aug 2022 4:30 AM GMT

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