संयुक्त राष्ट्र महासभा: महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा, सुरक्षा परिषद में सुधार प्रक्रिया में कुछ प्रोगेस हुई है

- परिषद की वैधता और दक्षता इसके वर्तमान ढांचे से प्रभावित होती है-गुटेरेस
- महासभा की चर्चाओं के केंद्र में परिषद सुधार-महासचिव
- पांच स्थायी सदस्यों ने अफ्रीका के स्थायी सदस्य होने को स्वीकार किया
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र महासभा के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा सुरक्षा परिषद में सुधार प्रक्रिया में कुछ प्रोगेस हुई है। गुटेरेस ने अंतर-सरकारी वार्ता (आईजीएन) का जिक्र करते हुए मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए कहा पहले एक समिति थी, जो दस्तावेज जारी नहीं कर पाती थी और दस्तावेज एक साल से दूसरे साल तक आगे नहीं बढ़ पाते थे। अब एक समिति गंभीरता से कार्य कर रही है। गुटेरेस ने कहा परिषद की वैधता और दक्षता इसके वर्तमान ढांचे से प्रभावित होती है।
सुधार की बात करते हुए गुटेरेस ने एक उदाहरण देते हुए कहा अफ्रीका को एक स्थायी सदस्य होने का अधिकार होना चाहिए , ये पांच स्थायी सदस्यों ने स्वीकार किया है। गुटेरेस ने वीटो शक्तियों पर अंकुश लगाने की बात को भी एक अन्य समस्या सुधार के तौर पर पेश किया। फ्रांस और ब्रिटेन की ओर से वीटो पॉवर को सीमित करने के प्रस्ताव आए थे, खासकर ऐसे हालात में जब मानवाधिकारों का बड़े पैमाने पर उल्लंघन हो रहा हो या इस तरह के मामले सामने आ रहे हों। मैं इस प्रस्ताव को सहानुभूति के साथ देखता हूं। गुटेरेस ने कहा सच्चाई यह है कि परिषद विषय सुधार जो पहले पूरी तरह से वर्जित था,अब महासभा की चर्चाओं के केंद्र में है।
संयुक्त राष्ट्र एक सुरक्षा परिषद है, सुरक्षा परिषद की प्राथमिक जिम्मेदारी है दुनिया में शांति और सुरक्षा बनाए रखने की, लेकिन भू-राजनीतिक विभाजन ने सुरक्षा परिषद को पंगु बना दिया है। गुटेरेस ने कहा संघर्षों में शामिल पक्षों को शांति स्थापित करने के लिए हमारे पास न तो कोई प्रलोभन है और न ही कोई दंड। संयुक्त राज्य अमेरिका के पास प्रलोभन और दंड दोनों हैं और इसे संयुक्त राष्ट्र की विशेषज्ञता के साथ मिलाकर कुछ स्थितियों में शांति लाने में प्रभावी हो सकता है। सुरक्षा परिषद की निष्क्रियता दंड से मुक्ति का एक सोर्स है, जो यूएन के काम को कमजोर करती है। यह स्पष्ट करने की जरूरत है कि यह क्या है। यह संयुक्त राष्ट्र नहीं है। यह सदस्य देश हैं, जो विभाजित होकर संयुक्त राष्ट्र को ठीक से काम नहीं करने देते।
गुटेरेस ने कहा आईजीएन उस 'निगोशिएटिंग टेक्स्ट' को अपनाने में विफल रहा है, जिसे भारत ने चर्चा का आधार बनाने की मांग की थी, फिर भी इसके सह-अध्यक्षों ने 'एलिमेंट पेपर्स' तैयार किए हैं, जिनमें सुधारों पर विभिन्न देशों की स्थिति, मतभेद और कन्वर्जेंस के बिंदुओं को व्यापक रूप से पेश किया गया है और एक रिकॉर्ड बनाया गया है।
गुटेरेस ने परिषद सुधारों में बढ़ती रुचि का कुछ श्रेय लिया और कहा यह अतीत में पूरी तरह से वर्जित था। गुटेरेस ने कहा मेरा मानना है कि मैं पहला महासचिव हूं, जो हर समय सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता के बारे में बात करता हूं। गुटेरेस ने ये भी कहा सुरक्षा परिषद की संरचना आज की दुनिया नहीं, बल्कि 1945 की दुनिया के अनुरूप है। इससे वैधता और दक्षता दोनों में ही समस्या पैदा होती है और सवाल उठता है।
Created On :   17 Sept 2025 12:21 PM IST