भारत ने रोकी पाम तेल की खरीदी, मलेशिया की बेचैनी बढ़ी 

India stopped palm oil purchase, Malaysias restlessness increased
भारत ने रोकी पाम तेल की खरीदी, मलेशिया की बेचैनी बढ़ी 
भारत ने रोकी पाम तेल की खरीदी, मलेशिया की बेचैनी बढ़ी 

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राष्ट्रीयता की भावना से प्रेरित भारतीय आयातकों द्वारा मलेशिया से पाम तेल की खरीद रोकने और इंडोनेशिया का रुख करने से मलेशिया की बेचैनी बढ़ गई है और वह भारतीय खरीदारों को रोकने की कोशिश में जुट गया है। मलेशियन पाम ऑयल एसोसिएशन (एमपीओए) ने वहां की एक मीडिया से कहा कि भारत द्वारा मलेशिया से पाम तेल सहित अन्य उत्पादों का आयात रोकने पर विचार करने को लेकर आई खबरों के बावजूद दोनों देशों के बीच व्यापार सामान्य रह सकता है, क्योंकि मलेशिया का भारत के साथ मजबूत द्विपक्षीय संबंध है।

फ्री मलेशियन टुडे डॉट कॉम की रविवार को एक रिपोर्ट में एमपीओए के प्रमुख नजीब वहाब के हवाले से कहा है कि अगर भारत ऐसा कठोर फैसला लेगा तो इससे उस पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। हालांकि भारतीय खाद्य तेल उद्योग का कहना है कि इससे भारत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि भारतीय आयातकों ने पहले ही इंडोनेशिया से पाम तेल सौदे करना शुरू कर दिया है।

साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) ऑफ इंडिया के प्रेसीडेंट अतुल चतुर्वेदी ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि भारत से पाम तेल की खरीद के सौदे रुकने से मलेशिया में बेचैनी बढ़ गई है, क्योंकि भारत मलेशिया के पाम तेल का सबसे बड़ा आयातक है, इसलिए इस तरह की बात की जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार वहाब ने कहा कि अगर भारत मलेशिया से पाम नहीं खरीदता है तो उसे अपनी जरूरतों की पूर्ति इंडोनेशिया से करनी होगी और इंडोनेशिया जो भी दाम मांगेगा उसे भारत को स्वीकार करना पड़ेगा। इस पर चतुर्वेदी ने कहा, हमें किस दर पर इंडोनेशिया से पाम तेल खरीदना है यह हमारा मसला है। हमारे लिए देश का सवाल पहले है उसके बाद कारोबारी रिश्ते। 

गौरतलब है कि कश्मीर मसले को लेकर मलेशिया के प्रधानमंत्री महाथिर मोहम्मद ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत की आलोचना की थी। उन्होंने कश्मीर का मसला उठाते हुए कहा था कि जम्मू-कश्मीर मसले पर संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव लाए जाने के बावजूद भारत ने उस पर आक्रमण कर उसे अपने कब्जे में कर लिया। इसके बाद भारतीय आयातक इस महीने मलेशिया से पाम तेल के आयात के नए सौदे नहीं कर रहे हैं।

चतुर्वेदी ने कहा कि भारत सरकार अगर मलेशिया से आयात पर प्रतिबंध लगाने के लिए कोई कदम उठाती है तो आयातकों को नुकसान होगा। इसलिए भी नए सौदे नहीं हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह एक अच्छा मौका भी है कि सरकार देश में तिलहनों का उत्पादन बढ़ाने की दिशा में कोई कदम उठा सकती है, जिससे भारत तेल और तिलहनों के मामले में आत्मनिर्भर बनेगा।

मलेशिया पाम ऑयल बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, मलेशिया ने इस साल जनवरी से सितंबर के दौरान सिर्फ 9 महीने में 39,08,212 टन पाम तेल भारत को निर्यात किया है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में उसने भारत को 18,88,216 टन पाम तेल बेचा था। मतलब इस साल भारत ने पिछले साल से दोगुना से भी अधिक पाम तेल मलेशिया से खरीदा है।

पिछले ही महीने भारत ने मलेशिया के रिफाइंड पाम तेल को एमआईसीईए (मलेशिया-भारत आर्थिक सहयोग समझौता) के तहत तरजीही शुल्क के उत्पादों की सूची से हटा दिया था। इसके बाद मलेशिया से रिफाइंड पाम तेल पर आयात शुल्क 45 फीसदी से बढ़कर 50 फीसदी हो गया। इंडोनेशिया से रिफाइंड पाम तेल के आयात पर 50 फीसदी ही शुल्क लगता है। इस घटनाक्रम के बीच कुछ दिन पहले मीडिया से बातचीत में मलेशिया के मंत्री टेरेसा कोक ने कहा था कि मलेशिया और भारत के बीच छह दशक से ज्यादा समय से मजबूत संबंध है और अगले साल मलेशिया भारत से कच्ची चीनी का आयात कर सकता है।

Created On :   21 Oct 2019 1:45 PM GMT

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