कड़ी सुरक्षा के बीच 6 साल बाद लंदन से पाकिस्तान लौंटी मलाला यूसुफजई
डिजिटल डेस्क, इस्लामाबाद। बच्चों के अधिकार के लिए लड़ने वाली नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई एक बार फिर से पाकिस्तान लौट आई हैं। मलाला गुरुवार को दुबई के रास्ते पाकिस्तान लौटीं हैं। मलाला 2012 में उन पर हुए तालिबानी आतंकियों द्वारा जानलेवा हमले के बाद से इंग्लैंड जाकर बस गई थीं। जिसके बाद अब 6 साल बाद वापस पाकिस्तान लौटीं हैं। पाकिस्तान के बेनजीर भुट्टो इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर वे विमान अमिरात EK-614 से उतरीं। चूंकी मलाला अब एक इंटरनेशनल चेहरा बन गईं हैं। जिसे देखते हुए पाकिस्तान में मलाला की सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किए गए हैं।
सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं
एयरपोर्ट से मलाला को कड़ी सुरक्षा के बीच एक होटल में ठहराया गया है। बता दें कि इसी साल जनवरी में दावोस में आयोजित विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक में मलाला ने कहा था कि "मुझे विश्वास है, मैं एक दिन पाकिस्तान जरूर जाऊंगी और अपने देश को देखूंगी।" जिसके बाद अब वे वतन लौट आईं हैं। बता दें कि 15 साल की उम्र में मलाला यूसुफजई को तालिबानी आतंकियों ने उस वक़्त गोली मारी थीं जब वे पश्चिमोत्तर पाकिस्तान में सभी बच्चों को शिक्षा के अधिकार लिए अभियान चला रही थीं।
यूएस ने घोषित किया मलाला दिवस
मलाला के इस अभियान से नाराज़ तालिबानी आतंकियों ने उन पर गोलियां बरसाईं थीं। इसके बाद उन्हें पेशावर के मिलिट्री अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन हालात बिगड़ने पर उन्हें और इलाज के लिए लंदन भेजा दिया गया था। जिसके बाद से मलाला लंदन में ही रहती हैं। बहुत मुश्किल से उनकी जान बचाई जा सकी थी। 1997 में जन्मी मलाला को अंतरराष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार, पाकिस्तान का राष्ट्रीय युवा शांति पुरस्कार (2011) के अलावा कई बड़े सम्मानों से नवाज़ा जा चुका है। 2012 में सबसे अधिक प्रचलित शख्सियतों में मलाला युसूफजई के नाम शामिल हुआ था। लड़कियों की शिक्षा के अधिकार की लड़ाई लड़ने वाली साहसी मलाला की बहादुरी के लिए यूएस द्वारा उनके 16वें जन्मदिन पर 12 जुलाई को ""मलाला दिवस"" घोषित किया गया।
पाक पीएम से करेंगी मुलाकात
सुरक्षा के मद्देनजर उनकी यात्रा का विवरण गुप्त रखा गया था। मलाला पाकिस्तान में पीएम शाहिद खाकन अब्बासी मलाला से मिलेंगीं। मलाला के साथ उनकी मां और पिता भी एयरपोर्ट पर थे। बता दें कि मलाला अपने परिवार और मलाला फंड के सीईओ के साथ "मीट द मलाला" कार्यक्रम में भी शामिल होंगी। मलाला चार दिनों तक पाकिस्तान में रहेंगी। उन्होंने दुनिया भर में लड़कियों की शिक्षा के लिए मलाला फंड की स्थापना की है।
मलाला ने कायम की मिसाल
मलाल के संघर्ष की शुरुआत तब हुई थी जब वे आठवीं की छात्रा थीं, तालिबानी आतंकियों ने 2007 से मई 2009 तक स्वात घाटी पर कब्जा कर रखा था। इसी बीच भय से लड़कियों ने स्कूल जाना बंद कर दिया था। तालिबानी आतंकियों उन पर किए गए हमले का अंतरराष्ट्रीय स्तर निंदा हुई और मलाला को दुनिया भर से लोगों का साथ मिला। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और तालिबानी हमले के बाद मौत को मात देकर मलाला ने दुनिया के सामने एक मिसाल कायम की और महिलाओं की आवाज को बुलंद करने वाली महिला बनकर उभरीं हैं।
Created On :   29 March 2018 8:13 AM IST