दोपहर 12 से 2 बजे तक निकलना साबित हो सकता खतरनाक
डिजिटल डेस्क। मार्च महीना चल रहा है, लेकिन कई राज्यों में गर्मी इस कदर पड़ रही है कि लोग अभी घरों से बाहर निकने के लिए दिन ढलने का इंतजार करने लगे हैं। मध्य भारत में धूप इतनी तेज है कि 2 मिनट भी अगर कोई घर से बाहर खड़ा हो जाए। पूरा शरीर बुरी तरह तपने लगता है। धूप का कहर दोपहर 12 बजे के बाद और भी बढ़ जाता है। इस तेज धूप निकलने से हर कोई बच रहा है। अगर आप हाल में हुई एम्स की स्टडी के बारे में जान जाएंगे तो शायद इस साल पूरी गर्मी के सीजन में दोपर बाद घर से बाहर ही नहीं निकलेंगे। आईए आपको बताते हैं कि धूप को लेकर एम्स की स्टडी में क्या कहा गया है।
दिन में 12 से 2 बजे की धूप सबसे खतरनाक होती है। सूरज की रोशनी में सबसे ज्यादा UV किरण (अल्ट्रावायलट) इसी समय एक्टिव होती हैं। एम्स के आर पी सेंटर की डॉ राधिका टंडन का कहना है कि सूरज की किरणों का सबसे ज्यादा एक्सपोजर इसी समय होता है। इससे भले बॉडी को विटामिन डी का डोज मिलता हो, लेकिन आंखों में ड्राईनेस और एलर्जी होने का खतरा भी सबसे ज्यादा रहता है। उन्होंने कहा कि पलूशन की वजह से भी आंखों में एलर्जी और ड्राइनेस हो रही है। एक स्टडी से इसका खुलासा हुआ है।
11 हजार मरीजों पर की गई स्टडी
ICMR के फंड से साल 2010 से लेकर 2015 के बीच 11 हजार मरीजों पर ये स्टडी की गई थी। इसमें दिल्ली-NCR में गुड़गांव के एक रूरल एरिया को शामिल किया गया था, जबकि एक नॉर्थ ईस्ट का पहाड़ी इलाका था और तीसरा आंध्र प्रदेश का कोस्टल एरिया। कोस्टल एरिया में सबसे ज्यादा यूवी किरणें पायीं गईं, लेकिन दिल्ली में सबसे ज्यादा पलूशन लेवल पाया गया।
कम्पेयरटिव स्टडी में पाया गया कि दिल्ली के लोगों की आंखों में ड्राइनेस (22.7 पर्सेंट) और ऐलर्जी बाकी दोनों इलाकों की तुलना में बहुत ज्यादा है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि सबसे ज्यादा कैटरैक्ट की बीमारी उम्र की वजह से होती है। ज्यों-ज्यों उम्र बढ़ती है, त्यों-त्यों इसका खतरा बढ़ता है, लेकिन यह यूवी किरणों की वजह से भी होता है और इसमें पलूशन भी शामिल है।
Created On :   13 March 2018 1:27 PM IST