आखिर क्यों मनाया जाता है वेलेंटाइन-डे, यहां जाने इस दिन की हैरान करने वाली कहानी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। फरवरी का महीना अपने आप में बेहद खास है लेकिन इसे खास इसलिए भी माना जाता है क्योंकि इस महीने में ज़्यादातर प्रेमी अपने प्यार का इजहार करते है। अपने जज़्बातों को शब्दों में बयां करने के लिए इस महीने का हर धड़कते हुए दिल को बेसब्री से इंतज़ार रहता है। जी हां हम बात कर रहे हैं प्यार के परवानों के दिन वेलेंटाइन की। प्यार भरा यह दिन हर प्यार करने वाले शख्स के लिए अलग ही अहमियत रखता है। 14 फरवरी को मनाया जाने वाला यह दिन विभिन्न देशों में अलग-अलग तरह से और अलग-अलग विश्वास के साथ मनाया जाता है। भारत में भी लोग इसे बड़े चाव से मनाते है।
लेकिन क्या आप जानते है कि वेलेंटाइन डे मनाने की शुरुआत और इसके पीछे का इतिहास क्या है? माना जाता है कि वेलेंटाइन डे मूल रुप से संत वेलेंटाइन के नाम पर रखा गया है परंतु संत वेलेंटाइन के विषय में एतिहासिक तौर पर कोई सटीक जानकारी नहीं हैं। वर्ष 1969 में कैथोलिक चर्च ने कुल 11 संत वेलेंटाइन के होने की बात कहीं और 14 फरवरी को उनके सम्मान में पर्व मनाने की घोषणा की। जिसमे सबसे महत्वपूर्ण वेलेंटाइन रोम के संत वेलेंटाइन को माना जाता है।
वर्ष 1260 में संकलित की गई "ऑरिया ऑफ जैकोबस डी वॉराजिन" नामक पुस्तक में संत वेलेंटाइन का ज़िक्र मिलता है। जिसके अनुसार रोम में तीसरी शताब्दी के दौरान सम्राट क्लॉडियस का शासन था। क्लॉडियस के अनुसार विवाह करने से पुरुषों की शक्ति और बुद्धि कम हो जाती है। उन्हें ऐसा लगता था कि रोम के लोग अपनी पत्नी और परिवारों से मज़बूत लगाव रखते है जिसकी वजह से वे सेना में भर्ती नहीं हो रहे हैं। उन्होंने यह फ़रमान जारी किया कि उनका कोई भी सैनिक या अधिकारी विवाह नहीं कर सकता। संत वेलेंटाइन ने इस क्रूर आदेश का विरोध किया।
उन्हीं के कहने पर क्लॉडियस के सैनिकों और अधिकारियों ने विवाह किया। आखिर सम्राट क्लॉडियस ने 14 फरवरी 1269 में संत वेलेंटाइन को फांसी पर चढ़वा दिया। तब से उनकी याद में प्रेम दिवस मनाया जाता है।
कहा जाता है कि संत वेलेंटाइन ने अपनी मृत्यु के समय जेलर की नेत्रहीन बेटी जैकोबस को नेत्रदान किया व जेकोबस को एक पत्र लिखा था, जिसमें अंत में उन्होंने लिखा था "तुम्हारा वेलेंटाइन"। यह दिन था 14 फरवरी, जिसे बाद में संत वेलेंटाइन के नाम से मनाया जाने लगा और वेलेंटाइन-डे के बहाने पूरे विश्व में निःस्वार्थ प्रेम का संदेश फैलाया जाता है।
Created On :   5 Feb 2022 11:18 AM GMT