बाघ के हमलों को रोकने के लिए पीटीआर सीमा पर रोंपेगा सुगंधित पौधे
डब्ल्यूडब्ल्यूएफ परियोजना के वरिष्ठ निदेशक नरेश कुमार के अनुसार, हिरण, जंगली सुअर और नीलगाय जैसे शाकाहारी जानवर सुगंधित पौधे नहीं खाते हैं और न ही वे सुगंधित पौधे वाले क्षेत्र में जाते हैं। ऐसे में बाघ भी शाकाहारी जानवरों का पीछा करते हुए वहां नहीं जाएंगे। इससे मनुष्य और बाघ के बीच होने वाले संघर्ष रुकेंगे।
पीटीआर के आसपास ढाका, चंट, खिरकिया, बरगदिया और धुरिया पलिया के गांवों में किसानों ने पहले से ही नींबू घास, खसखस, ताड़ के गुलाब और गेरियम की खेती शुरू कर दी है।
ये सभी नगदी फसलें हैं, जिससे किसानों को फायदा मिलेगा।
वन अधिकारी किसानों के बीच जागरूकता पैदा करने और सुगंधित पौधों की खेती के बारे में बीज और अन्य जानकारी प्रदान करने के लिए नेशनल बैंक ऑफ एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट(नाबार्ड) और कृषि विज्ञान केंद्रों की मदद ले रहे हैं।
एक कृषि वैज्ञानिक ने कहा कि सुगंधित पौधों की सबसे अच्छी बात यह है कि इन्हें एक साल में तीन बार रोपा जा सकता है, जिससे किसानों को अधिक लाभ मिलता है। इन फसलों की कटाई मार्च, जून और अक्टूबर में होती है।
फिलहाल इस क्षेत्र का प्रमुख फसल गन्ना है, जिसे खाने के लिए जंगली सुअर और नीलगाय खेतों में आते हैं और फसलों को नष्ट कर देते हैं। इसके साथ ही उनका शिकार करने के लिए बाघ भी उनके पीछे-पीछे आ जाते हैं।
बीते एक सालों में बाघ के हमलों में आठ किसानों की जान जा चुकी है। वहीं हाल ही में एक बाघ को स्थानीय लोगों द्वारा पीट-पीट कर मार डालने की जानकारी सामने आई थी।
--आईएएनएस
Created On :   8 Aug 2019 2:30 PM IST