कहीं सर्दी में हाइपोथर्मिया का शिकार न हो जाएं आप
डिजिटल डेस्क। सर्दियों का मौसम चल रहा है। उत्तर भारत में पारा रिकॉर्डतोड़ तरीके से नीचे गिर रहा है। ठंड ने मध्य भारत में अपने पैर पूरी तरह से जमा लिए हैं। बढ़ती ठंड के साथ-साथ बीमारियों का भी खतरा बढ़ गया है। जुकाम, खांसी, बुखार के साथ ही हाइपोथर्मिया जैसी स्थिति का भी खतरा बना रहता है। हाइपोथर्मिया एक स्थिति होती है जब तेज ठंड की वजह से हमारा शरीर और दिमाग जमने लगता है। आम भाषा में हम इसे ठंड लगना कहते हैं। इसे आसान शब्दों में कुछ ऐसे समझें कि इस बीमारी में रोगी के हाथ-पांव ठंडे पड़ने लगते हैं, काम करना बंद कर देते हैं, पेट में असहनीय पीड़ा होने लगती है।
दरअसल मानव शरीर में ज्यादा या कम तापमान में खुद को संतुलित कर लेने की क्षमता होती है लेकिन किन्हीं कारणों से जब ये क्षमता घट जाती है या बाहर का तापमान बहुत कम हो जाता है, तो शरीर तापमान के मुताबिक संतुलन नहीं बना पाता। इसमें शरीर का तापमान 34-35 डिग्री तक नीचे चला आता है। इसकी वजह से सर्दियों में हाइपोथर्मिया होने का खतरा बढ़ जाता है। हाइपोथर्मिया का खतरा सबसे ज्यादा छोटे बच्चों और बुजुर्गों को होता है। इसमें उनका शरीर नीला पड़ने लगता है। कई बार हाइपोथर्मिया जानलेवा भी हो सकता है। खाली पेट हाइपोथर्मिया का खतरा ज्यादा होता है।
ऐसे पहचानें लक्षण- शरीर का तापमान अगर 95 डिग्री से कम हो जाए या शरीर पर्याप्त गर्मी न पैदा कर पाए, तो हाइपोथर्मिया की स्थिति पैदा हो जाती है। इस बीमारी में रोगी की आवाज धीमी हो जाती है या उसे नींद आने लगती है। पूरा शरीर कांपने लगता है। हाथ-पैर जकड़ने लगते हैं। दिमाग शरीर का नियंत्रण खोने लगता है। वहीं ठंड के मौसम में शराब पीने से अचानक से गर्मी लगने लगती है तो ये हाइपोथर्मिया की चेतावनी हो सकती है। ठंड लगने पर हृदय की गति सामान्य से तेज हो जाती है। ऐसी स्थिति में मांसपेशियां तापमान का लेवल बनाए रखने के लिए एनर्जी रिलीज करती हैं। शराब पीने से हाथ-पैर की नसें फैलती हैं लेकिन ऐसे में खून का प्रवाह कम हो जाता है। इससे हाथ-पांव ठंडे होने लगते हैं मगर इस बात का भ्रम होता है कि ये गर्म हैं।
क्या है उपचार ?
- हाइपोथर्मिया के रोगी को सबसे पहले गर्म कपड़ों से ढककर किसी गर्म कमरे या गर्म जगह पर लिटा दें। ध्यान रहे ऐसी स्थिति में सीधे गर्मी देना खतरनाक हो सकता है इसलिए आग के पास या हीटर के पास मरीज को सीधे न ले जाएं। हाइपोथर्मिया के मरीज को बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा न दें।
- कान के पास से सेवेंथ क्रेनियल नस गुजरती है, जो तेज ठंड होने पर सिकुड़ जाती है। इसकी वजह से फेशल पैरालिसिस हो सकता है। इसमें मुंह टेढ़ा हो जाता है, मुंह से झाग निकलने लगता है, बोलने में जबान लड़खड़ाने लगती है। खासकर रात के वक्त बिना सिर ढके ड्राइव करने वालों इसका खतरा बढ़ जाता है।
अन्य बीमारियों का भी रहता है खतरा
सर्दियों में अपना ख्याल न रखने पर खांसी, जुकाम, गले में खराश और सिर दर्द होना सामान्य बात है। इनसे बचने के लिए ठंडी चीजें खाने से परहेज करें। खराश के लिए नमक के गरारे करना अच्छा विकल्प है। ठंडी हवाओं में सिर न ढकने से सिर दर्द बना रहता है।
सांस की समस्या- ठंड में सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। अस्थमा के रोगियों को इन दिनों बहुत दिक्कत होती है।
सीने और जोड़ों में दर्द- सर्दी के बढ़ने पर कफ या अन्य कारणों से सीने में दर्द की समस्या हो सकती है। जोड़ों में दर्द से बचने के लिए हर दिन मालिश और व्यायाम करना चाहिए। साथ ही तले-भुने पकवान की जगह घर में बना भोजन करना चाहिए।
ब्लडप्रेशर- सर्दी के दिनों में रक्तचाप अधिक होने से हृदय संबंधी तकलीफें भी हो सकती है। इसके लिए भी आपको व्यायाम और सही उपचार पर ध्यान देने की जरूरत होती है।
Created On :   5 Jan 2018 10:29 AM IST