देश में इन जगहों पर अलग-अलग दिन मनाई जाती है दिवाली, जानिए क्या है कारण 

Diwali is celebrated on different days in the country, know why
देश में इन जगहों पर अलग-अलग दिन मनाई जाती है दिवाली, जानिए क्या है कारण 
देश में इन जगहों पर अलग-अलग दिन मनाई जाती है दिवाली, जानिए क्या है कारण 

डिजिटल डेस्क । दिवाली दशहरा के 20 दिनों के बाद आता है। भारतीय त्यौहारों में दिवाली का काफी महत्व है। लोग इस त्यौहार को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाते हैं। दिवाली पर लोग अपने घरों को अच्छे से सजाते हैं और दियों और लाइट से रोशनी भी करते हैं। मान्यता है कि इस दिन रावण पर भगवान राम विजय हासिल कर अयोध्या वापस लौटे थे। जिसके बाद लोगों ने भगवान राम के आने की खुशी में दीप जलाकर स्वागत किया गया। कार्तिक अमावस्या की रात काफी अंधेरी होती है। वहीं दीप जलाकर चारों तरफ रोशनी कर इस अंधकार में भी खुशहाली ला दी जाती है।आइए जानते हैं कि देश के अलग-अलग भागों में दिवाली कैसे और कब मनाई जाती है ।


उत्तर भारत में दिवाली

14 सालों के वनवास के बाद भगवान राम माता सीता के साथ अयोध्या लौटे थे। इसी खुशी में दिवाली मनाई जाती है। उत्तर प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, बिहार और इनके पड़ोसी राज्यों में दियों के साथ पटाखे फोड़ कर दिवाली मनाई जाती है।  


आंध्र प्रदेश

यहां ये मान्यता है कि भगवान कृष्ण की पत्नी सत्यभामा ने वाकई में राक्षाम नारकसुर को मार गिराया था। इसलिए यहां सत्यभामा की मूर्ति की पूजा होती है। दिवाली के दो दिन पहले धनतेरस मनाया जाता है। रौशनी का त्योहार दिवाली बुराई पर अच्छाई का दिन है।  


 

महाराष्ट्र

महाराष्ट्र में 4 दिनों तक दिवाली मनाई जाती है। पहले दिन गायों और बछड़ों की आऱती की जाती है। इससे मां और बच्चे के बीच स्नेह और प्रेम दर्शाया जाता है। उसी दिन धनतेरस या धनत्रयोदशी मनाई जाती है। तीसरे दिन नारकचतुर्दशी में लोग सुगंधित तेल से स्नान करते हैं और मंदिर जाकर पूजा करते हैं। चकली, लड्डू और करंजी मुख्य प्रसाद है। चौथे दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है इनके साथ घर के नए सामान, धन, और सोने चांदी के आभूषणों की भी पूजा होती है। 


 

पश्चिमी भारत गुजरात

गुजरात में दिवाली के दौरान रंगोली का बड़ा महत्व है। यहां दिवाली के पहली रात घरों के बाहर और अंदर रंगबिरंगी रंगोली और दियों से घर सजाए जाते हैं। घरों के दरवाजों पर देवी लक्ष्मी के पदचिन्ह बनाए जाते हैं। गुजरात में दिवाली को नया साल भी माना जाता है। गुजरात में घी के दिए को पूरी रात के लिए जलाया जाता है। इसके बाद अगली सुबह इसके राख को इकट्ठा करके महिलाएं काजल की तरह इस्तेमास करत हैं जिसकी मान्यता ये है कि इससे पूरे साल समृद्धि आती है। 


 

दक्षिण भारत

यहां नारकचतुर्दशी का दिन दिवाली का मुख्य त्योहार मनाया जाता है। उत्तर भारत की तरह ही यहां भी रंगोली से घरों को सजाया जाता है। कुछ भागों में दिवाली को थलाई दीपावली भी कहा जाता है।  

 

पश्चिम बंगाल और असम

पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा के छह दिनों के बाद दिवाली मनाई जाती है। यहां काली पूजा को दिवाली पूजा की तरह मनाया जाता है। इसके अलावा सारी प्रथाएं बाकी राज्यों जैसी ही होती हैं। यहां ये भी मान्यता है कि अपने अपने पुरखों की आत्मा को स्वर्ग का रास्ता दिखाने के लिए घर के चारों ओर दिए जलाए जाते हैं।  


कर्नाटक

यहां मान्यता है कि कृष्ण भगवान ने नारकसुर को मारा था तो अपने शरीर पर लगे उसके खून को मिटाने के लिए सुगंधित तेल से स्नान किया था। कर्नाटक में दो दिनों की दिवाली मनाई जाती है।  

 

तमिलनाडु

तमिल लोग अपनी दिवाली मुख्य दिवाली से एक दिन पहले मनाते हैं। छोटी दिवाली या रूप चौदस के दिन ही तमिल दिवाली मनाई जाती है। तमिलनाडु में इस बार 6 नवंबर को दिवाली मनाई जाएगी। दरअसल, प्रदोष के महीने में अमावस्या तिथि प्रचलित होती है तो पूरे भारत में दीपावली मनाई जाती है यानी सूर्यास्त के ठीक बाद। हालांकि तमिलनाडु में दीपावली चतुर्दशी तिथि ब्रह्म मुहूर्त के दौरान प्रचलित होती है। जिसके कारण तमिलनाडु में सूर्योदय से ठीक पहले दिवाली मनाई जाती है। वो भी मुख्य दिवाली से एक दिन पहले यानी चौदस के दिन दिवाली मनाई जाती है।
 

Created On :   5 Nov 2018 11:52 AM IST

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story