जानिए भारत में एक महीने पहले क्यों मनाया जाता है टीचर्स डे?
डिजिटल डेस्क। कहते हैं कि एक गुरु के बिना किसी भी लक्ष्य तक पहुंच पाना संभव नहीं है। जैसे दिया जलकर अंधेरे को दूर करता है, ठीक वैसे ही गुरु भी खुद जलकर छात्रों की जिंदगी को रोशन करता है। गुरु ही आपको जिंदगी जीने का तरीका और उसमें आने वाली मुश्किलों से लड़ने के बारे में बताता है। यही वजह है कि सैकड़ों साल पहले की कई कहानियां ऐसी हैं, जिसमें गुरु और शिष्य के रिश्ते को बड़ी ही खूबसूरती के साथ बताया गया है। इसमें सबसे बड़ा उदारहरण एकलव्य का है, जिसने गुरु दक्षिणा के तौर पर द्रोणाचार्य को अपना अंगूठा दे दिया था। यही वजह है कि भगवान से पहले गुरु का नाम लिया जाता है। हर साल 5 सितंबर को भारत में टीचर्स डे सेलिब्रेट किया जाता है। जबकि इंटरनेशनल टीचर्स डे ठीक एक महीने बाद यानी कि 5 अक्टूबर को मनाया जाता है। भारत में इसे एक महीने पहले मनाने की वजह देश के द्वितीय राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन हैं। दरअसल, डॉ. सर्वपल्ली का जन्म 5 सितम्बर को हुआ था। उनके सम्मान में ही 5 सितंबर को भारत में टीचर्स डे मनाया जाता है। वे राष्ट्रपति होने के साथ-साथ एक शिक्षक भी थे।
आज जब हर चीज सोशल मीडिया पर आ चुकी है, तो शिक्षक दिवस कैसे अछूता रह सकता है। स्कूल जाने से पहले या अपने शिक्षक से मिलने से पहले उन्हें सोशल मीडिया पर मैसेज लिखकर टैग कर दिया जाता है। कई छात्र गूगल का सहारा लेकर किसी इमेज या फिर इलस्ट्रेशन के जरिए टीचर्स डे विश करते हैं। टीचर्स डे के कुछ दिन पहले से ये माहौल सोशल मीडिया पर दिखना शुरू हो जाता है। इसका एक फायदा उन छात्रों को भी होता है जो स्कूल या कॉलेज से पासआउट हो चुके हैं। वो अपने शिक्षकों को सोशल मीडिया के जरिए इस खास दिन की बधाई देते हैं और खुद के जीवन में उनके योगदान को भी बयां करते हैं।
पहले गुरु हुआ करते थे, आज उनकी जगह शिक्षक होते हैं, जो स्कूल से लेकर कॉलेज तक अपने छात्रों को हर तरह की शिक्षा देते हैं, जो उन्हें समाज और करियर में बुलंदियों तक पहुंचाने के काम आती हैं। वैसे तो शिक्षक ही छात्रों को ज्ञान, जानकारियां और अनुभव देता है, लेकिन एक दिन ऐसा भी है जब छात्र अपने गुरु यानी शिक्षक को तोहफा देते हैं। शिक्षकों के इस खास दिन को सेलिब्रेट करने में छात्र भी पीछे नहीं रहते हैं। कई स्कूलों में इसके लिए दो तीन दिन पहले से तैयारियां शुरू हो जाती हैं। छात्र अपने पसंदीदा टीचर को फीलगुड कराने के लिए नए-नए तरीके अपनाते हैं। ग्रीटिंग कार्ड पर शिक्षक के सम्मान में कुछ लाइनें लिखकर भी दी जाती हैं। इसके अलावा कई स्कूलों में इस दिन नाटकों का भी आयोजन होता है। जिसमें छात्र शिक्षकों की भूमिका में नजर आते हैं। वैसे ज्यादातर छात्र इस दिन शिक्षकों को पेन या फिर उनकी कोई पसंदीदा किताब गिफ्ट करते हैं। पूरे दिन शिक्षक और छात्र खूब मस्ती करते हैं और इस खास दिन को सेलिब्रेट करते हैं।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कहा था कि पूरी दुनिया ही एक स्कूल है। उनका कहना था कि कहीं से भी कुछ सीखने को मिले तो उसे अपने जीवन में उतार लेना चाहिए। वो पढ़ाने से ज्यादा छात्रों के बौद्धिक विकास पर जोर देने की बात करते थे। वो पढ़ाई के दौरान काफी खुशनुमा माहौल बनाकर रखते थे। 1954 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
Created On :   4 Sept 2018 1:08 PM IST