कहीं आप भी तो नहीं हैं सीजोफ्रेनिया के शिकार, जानिए क्या है ये बला

डिजिटल डेस्क, भोपाल। सीजोफ्रेनिया जैसी मानसिक बीमारी में रोगी हकीकत की लोगों से दूर होकर अपनी ही अलग दुनिया में खोया रहता है। सीजोफ्रेनिया के रोगी को तरह-तरह की आवाजें सुनाई देती हैं। जबकि असल में ऐसा कुछ नहीं हो रहा होता है। यह बीमारी ठीक फोबिया की तरह ही है जिसमें रोगी को हर चीज से खतरा महसूस होता रहता है। वह रस्सी को सांप भी समझ सकता है, किसी के दरवाजा खटखटाने पर उसे ऐसा भी लग सकता है कि कोई उसे मारने आ रहा है आदि लक्षण ऐसे रोगियों में पाए जाते हैं। सिजोफ्रेनिया में दिमाग कमजोर हो जाता है। सिज़ोफ्रनिया को मनोविदलता भी कहते हैं। इस मानसिक विकार से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए रोजमर्रा के कार्यों को पूरा करने और खुद को या दूसरों की देखभाल करना मुश्किल हो जाता है। इतना ही नहीं पीड़ित को रिश्तों को बनाए रखने में भी मुश्किल होती है। इसमे रोगी सच और कल्पना के बीच का अंतर नही समझ पाता। वह लोगों से मिलना जुलना भी अच्छा नही लगता, हर व्यक्ति को वह शक की निगाह से ही देखता है। डरावनी आवाजें सुनाई देती है जिससे रोगी हिंसा और आत्महत्या जैसे कदम उठा लेता है। भारतीय और अमेरिकी लोगों में यह बहुत ही आम बीमारी है जिसने लगभग एक प्रतिशत लोगों को प्रभावित किया है। यह बीमारी किसी भी उम्र के लोगों में कभी भी हो सकती है।
सीजोफ्रेनिया का कारण
सीजोफ्रेनिया एक मानसिक बीमारी यानी कि मेंटल डिसऑर्डर है। यह किसी को भी और किसी भी आयु में हो सकती है। ऐसी बीमारी से पीड़ित इंसान अधिकतर भ्रम में जीता है। इसका मुख्य कारण आनुवांशिक तथा पारिवारिक तनाव भी हो सकते हैं। हालांकि सीजोफ्रेनिया होने का अभी तक कोई सही कारण नहीं पता चल सका है। बचपन में क्षतिपूर्ण विकास या कोई बुरी यादें, गर्भावस्था और प्रसूति के दौरान तकलीफ आदि इसके प्रमुख कारण माने जाते हैं।
सीजोफ्रेनिया का इलाज
चिकित्सकों के अनुसार, इस रोग का अगर सही समय पर पूरा इलाज किया जाए तो इससे छुटकारा मिल सकता है। ऐसे रोगियों को भावनात्मक सहारे की जरूरत होती है। बिना वजह ऐसे रोगियों पर दबाव नहीं बनना चाहिए। हम आपको इस बीमारी को कम करने के कुछ उपाय बताते हैं।
ऐसे रोगियों को मानसिक रोगी होने का अहसास कराकर तनाव नहीं दिया जाना चाहिए।
इन रोगियों को सही चिकित्सक व परामर्श के साथ ही निश्चित समय पर दवा देते रहना चहिए।
इस रोग को एंटीसाईकोटिक दवाओं, इंजेक्शन और ईसीटी से दूर किया जा सकता है।
योग के जरिए भी सीजोफ्रेनिया के लक्षणों में कमी लाई जा सकती है।
शोधकर्ताओं के अनुसार, सीजोफ्रेनिया के रोगियों पर योग का सकारात्म प्रभाव देखने को मिलता है।
इन रोगियों की बात ठीक से सुननी चहिए और उसी के अनुसार बातचीत कर उसे संतुष्ट करना चाहिए।
इसका शिकार अगर स्त्री है तो उसे गर्भधारण से पहले मनोचिकित्सक की सलाह लेना चाहिए।
सीजोफ्रेनिया दूर करने के घरेलू उपाय
कैमोमाइल सुखदायक और शांत गुणों से भरपूर होता है। यह आरामदायक नींद को बढ़ावा देकर से सीजोफ्रेनिया से पीड़ित लोगों के लिए उपयोगी होता है। गर्म पानी के एक कप में एक चम्मच कैमोमाइल फूल मिलाएं। फिर इसे कवर करके पांच मिनट के लिए ऐसे ही छोड़ दें। मिश्रण के थोड़ा सा ठंडा होने पर इसे नियमित रूप से शाम को पीएं।
पैनेक्स जिनसेंग स्मृति, सोच और एकाग्रता में सुधार करने के लिए अच्छा माना जाता है। 2008 के एक अध्ययन के अनुसार, कनाडा के शोधकर्ताओं ने पाया कि सीजोफ्रेनिया के नकारात्मक लक्षणों को कम करने में मदद करता है। यह माना जाता है कि यह ब्रेन रिसेप्टर्स की तरह मनोविकार के प्रति प्रभावकारी माना जाता है। आप डॉक्टर से परामर्श करने के बाद कई हफ्तों तक नियमित रूप से पैनेक्स जिनसेंग की 200 मिलीग्राम ले सकते हैं।
विटामिन सी को भी एंटी-स्ट्रेस विटामिन माना जाता है। रिसर्च बताते हैं कि मस्तिष्क विकार के विकास में ऑक्सीडेटिव तनाव की एक संभावित भूमिका हो सकती है। एंटीऑक्सीडेंट विटामिन जैसे विटामिन ए, सी और विटामिन ई भीरता को कम करने में सहायक माने जाता है। इसलिए अपने आहार में ब्लूबेरी, स्ट्रॉबेरी, नींबू, संतरा, आंवला, पालक और गाजर जैसे एंटीऑक्सीडेंट युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करें।
ब्राह्मी को संज्ञानात्मक क्षमता को बढ़ाने वाली लोकप्रिय आयुर्वेदिक चिकित्सा में प्रयोग किया जाता है। यह न्यूरोप्रोटेक्टिव गुणों को भी दर्शाता है। ब्राहृमी का सत्व कम से कम 1 महीने के लिए 500 मिलीग्राम की मात्रा में लें।
Created On :   31 Oct 2017 3:13 PM IST