सितंबर से नवंबर तक का ड्राई मौसम बीमारियों के लिए जिम्मेदार, बरतें सावधानी
डिजिटल डेस्क, नागपुर। मौसम बदलता है, लेकिन हमारा शरीर इन बदलावों के लिए तैयार नहीं होता। नतीजनत मौसमी बदलाव अपने साथ कई तरह की बीमारियां लाता है। जिसका असर सर्दी, जुकाम और वायरल बुखार के रूप में दिखता है। अब मौसम फिर बदलने लगा है। इस समय काफी लोग वायरल बुखार की चपेट में हैं। वायरल इंफेक्शन के लिए सितंबर से नवंबर तक का ड्राई मौसम जिम्मेदार होता है। इस दौरान नाक, कान, गले की एलर्जी, सांस लेते समय छाती में परेशानी, आंखों पर स्ट्रेन, कमजोरी, बुखार, आवाज बैठना, जुकाम और खांसी की शिकायत ज्यादा होती है।
ऐसे फैलती बीमारियां
ज्यादातर बीमारियां शुष्क मौसम, सड़कों पर उड़ती धूल से होती हैं। तापमान के उतार-चढ़ाव के कारण शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने लगती है, जिससे शरीर वायरस से जल्दी संक्रमित होता है। वैसे तो वायरल फीवर के लक्षण अन्य आम फीवर के तरह ही होते हैं, मगर इसको नजर अंदाज करने पर स्थिति गंभीर हो सकती है। फीवर होने के प्रथम अवस्था में गले में दर्द, थकान, खांसी आदि परेशानी होता है। इसे नजर अंदाज करने से वायरस को पनपने में आसानी होती है।
डॉ. लक्ष्मी श्रीखंडे के मुताबिक वायरल बुखार के वायरस गले में सुप्तावस्था में निष्क्रिय रहते हैं। ठंडे वातावरण के संपर्क में आने, फ्रिज का ठंडा पानी, शीतल पेय पीने आदि से ये वायरस सक्रिय होकर हमारे प्रतिरक्षा तंत्र को प्रभावित कर देते हैं। यह बीमारी एक से दूसरे में तेजी से फैलती है। इसके विषाणु सांस द्वारा एक से दूसरे में पहुंचते हैं। फैलने के बाद फ्लू एक-दो दिन तथा कभी-कभी कुछ घंटों में सक्रिय हो जाता है। ऐसे में थोड़ी बहुत सावधानियों से खुद को तंदुरुस्त रखा जा सकता है।
जरा सी सावधानी बरतें
- भीड़भाड़ वाली जगह में जाने से बचें
- सर्दी खांसी होने पर मुंह पर कपड़ा रखें
- हैंडवॉश करें
- संतुलित आहार लें
- रोगी के साथ खाना, पानी और कपड़े शेयर न करें
- मच्छरों से बचाने वाली दवा, क्रीम और स्प्रे का इस्तेमाल करें
Created On :   7 Sept 2017 7:38 PM IST