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झारखंड : तीखी मिर्ची की खेती से महिलाएं जिंदगी में घोल रही मिठास

हाईलाइट
- झारखंड : तीखी मिर्ची की खेती से महिलाएं जिंदगी में घोल रही मिठास
रांची, 1 जून (आईएएनएस)। एक ओर जहां कोरोना संक्रमण काल में सबुकछ लॉकडाउन था, वहीं झारखंड राज्य की सखी मंडल से जुड़ी महिलाएं पूरी मेहनत कर हर रोज परिश्रम से समृद्धि एवं सफलता की नई मिसाल कायम कर रही हैं। यहां की महिलाएं जैविक तरीके से मिर्ची की खेती कर अपनी और परिवार के सदस्यों की जिंदगी में मिठास घोल रही हैं।
देवघर के पालाजोरी प्रखंड के सगरभंगा गांव की महिला विकास सखी मंडल से जुड़ी सलिता देवी फरवरी महीने में सखी मंडल से 3000 की आर्थिक मदद लेकर मिर्च की खेती करने की ठानी। मिर्च की खेती शुरू भी की, लेकिन पौधे सूखने की नौबत आ गई। ऐसे में सलिता ने अपने गांव की आजीविका कृषक मित्र आशा देवी से बात की एवं जानकारी साझा की।
सलिता की मेहनत एवं आशा जैसी आजीविका कृषक मित्र की सूझ बूझ से सलिता विगत दो महीनों में लगभग एक क्विंटल मिर्च का उत्पादन कर, करीब 30,000 रुपये की आमदनी कर चुकी हैं।
सगरभंगा गांव देवघर जिला के पालोजोरी प्रखंड के अंतर्गत आता है जिसमें सलिता जैसी दर्जनों महिलाएं खेती का कार्य वृहद स्तर पर कर रही हैं और अच्छी कमाई भी कर रही हैं।
झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाईटी के तहत सखी मंडल की महिलाएं अपने संगठन से ऋण लेकर अपनी आजीविका को सुदृढ़ करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है।
साल 2018 में आशा देवी की पहल पर उनके गांव में कनवर्जेस की मदद से अच्छे बीज के पौधों हेतु पॉली हाउस का निर्माण कराया गया। इसके माध्यम से आज इन के गांव के करीब 10 से 15 किसानों की पैदावार में काफी बढ़ोत्तरी हुई है। आजीविका कृषक मित्र आशा देवी दर्जनों महिला किसानों को उनके गांव में तकनीक से खेती की प्रशिक्षण देती हैं।
आशा देवी जैसी करीब 10 हजार से ज्यादा आजीविका कृषक मित्र झारखंड के विभिन्न गांवों में छोटे एवं सीमांत किसानों को तकनीक एवं उन्नत विधियों पर प्रशिक्षित करते हैं, जिससे ज्यादा से ज्यादा खेती कर अच्छी कमाई सुनिश्चित कर सके।
ये कृषक मित्र किसानों को जैविक खाद एवं समुदाय आधारित सतत कृषि के लिए प्रोत्साहित करते हैं। ये सभी कृषक मित्र दीनदयाल अंत्योदय योजना राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत प्रशिक्षित किए गए हैं एवं लोगों को बहुफसली खेती, धान की उन्नत खेती, सब्जी की खेती एवं अन्य जरूरी बातों से प्रशिक्षित एवं अवगत कराते हैं, ताकि आम किसानों की आमदनी बढ़े।
सलिता अपना अनुभव साझा करते हुए बताती हैं, खेती तो सभी करते हैं परंतु अच्छी उत्पाद किसी-किसी को मिलती है। आज अच्छी उत्पाद के लिए हर तरह की जानकारी हमें मिल पाती है और अच्छे किस्म के बीज के चुनाव से लेकर जैविक खाद बनाना, पॉलीहाउस में बीज के पौधे तैयार करना इस सबकी विस्तृत जानकारी मिल पाने से हम भी अच्छा उत्पादन कर पाने में सफल हुए हैं।
सलिता देवी कहती हैं कि इसी कारण मात्र 10 डिसमिल जमीन में मिर्च की खेती कर, वह इतना अच्छा आमदनी कर पाने में सफल हुई हैं। साथ ही इन विधियों का उपयोग कर धान के उत्पादन में करीब ढाई गुना की बढ़ोतरी कर पाई हैं।
सलिता बताती हैं कि प्रत्येक दुकानदार करीब 10 से 30 किलो मिर्च आसानी से खरीद रहा है।
अरतोपा गांव की पुतुल देवी सब्जियों की खेती कर लॉकडाउन के दौरान भी प्रतिदिन करीब 500 रुपये की आमदनी कर पा रही हैं। इनकी फसलों में मुख्य रूप से लौकी, कद्दू, भिंडी तथा अन्य लत्तेदार सब्जियां शामिल हैं।
पूरे झारखंड में सखी मंडल की 5 लाख से ज्यादा महिलाओं को खेती की विभिन्न गतिविधियों में जोड़ा गया है।
ग्रामीण विकास विभाग के विशेष सचिव और झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाईटी के सीईओ राजीव कुमार ने आईएएनएस से कहा, हमलोग सखी मंडल की महिलाओं को कृषि आधारित आजीविका से लगातार जोड़ रहे हैं। विभिन्न योजनाओं के कनवर्जेस से हम सखी मंडल की बहनों को सिंचाई की सुविधाएं एवं टपक सिंचाई से भी जोड़ रहे हैं, जिससे इनको सिंचाई के साधनों की दिक्कत न हो।
उन्हांेने आगे कहा, सुदूर गांव के आखिरी परिवार को भी अच्छी तकनीक एवं उन्नत खेती के तौर तरीके पता हो इसके लिए आजीविका मिशन के तहत आजीविका कृषक मित्र प्रशिक्षित किए गए हैं। ये कैडर्स गांव में खेती से जुड़े किसानों को प्रशिक्षित करते हैं एवं हर तरह से मदद भी करते हैं।
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Real Estate: खरीदना चाहते हैं अपने सपनों का घर तो रखे इन बातों का ध्यान, भास्कर प्रॉपर्टी करेगा मदद

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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।