जानिए कौन सी सामग्री चढ़ाने से भगवान शिव को आता है क्रोध
डिजिटल डेस्क । भगवान शिव को प्रसन्न करने, उनकी आराधना कैसे करनी है इस बारे में, शस्त्रों में कई प्रकार के उपयोग वर्णन हैं। कुछ ऐसी सामग्रियां और विधियां होती हैं जो आराध्य देव शिव को बहुत पसंद होती हैं, उनकी पूजा में उन सामग्रियों की उपलब्धता मनवांछित फल प्रदान करती है। किन्तु कुछ ऐसी सामग्रियां भी होती हैं जिनका प्रयोग करना उल्टा परिणाम प्रदान कर सकता है। जहां कुछ सामग्री आराध्य देवी-देवताओं को पसंद आती हैं वहीं कुछ सामग्री उन्हें बिलकुल पसंद नहीं होती हैं, ऐसे में यदि उन्हें अर्पित की जाए या उनकी पूजा में उन सामग्रियों का उपयोग किया जाए तो ये समस्या का कारण बन सकता है।
सिंदूर, विवाहित स्त्रियों का गहना माना गया है। स्त्रियां अपने पति की लंबे और स्वस्थ जीवन की कामना हेतु सिंदूर लगाती हैं। किन्तु शिव तो विनाशक हैं, सिंदूर से उनकी सेवा करना अशुभ माना जाता है।
हल्दी का उपयोग स्त्रियों की सुंदरता बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसलिए शिवलिंग पर कभी हल्दी नहीं चढ़ाई जाती, क्योंकि वो स्वयं शिव का रूप है।
शिवपुराण के अनुसार असुर जालंधर की पत्नी तुलसी के पक्के पतिधर्म के कारण उसे कोई भी देव या असुर हरा नहीं सकता था। इसलिए भगवान विष्णु ने तुलसी के पतिव्रत को ही खंडित करने का सोचा। वो जालंधर का वेष धारण कर तुलसी के पास पहुंच गए, जिस कारण से तुलसी का पतिधर्म टूट गया और भगवान शिव ने असुर जालंधर का वध कर उसे भस्म कर दिया। इस पूरी घटना ने तुलसी को अवसादित कर दिया उन्होंने स्वयं भगवान शिव को अपने अलौकिक और दैवीय गुणों वाले पत्तों से वंचित कर दिया।
एक दिन भगवान विष्णु और ब्रह्म देव, खुद को सबसे अधिक ताकतवर साबित करने के लिए आपस में युद्ध कर रहे थे। जैसे ही वो दोनों एक दूसरे पर घातक अस्त्र-शास्त्र का प्रयोग करने लगे तभी वहां ज्योतिर्लिंग के रूप में भगवान शिव प्रकट हुए। भगवान शिव ने उन दोनों से इस ज्योतिर्लिंग का आदि और अंत का पता लगाने को कहा, भगवान शिव ने कहा कि दोनों में से जो भी इस प्रश्न का उत्तर देगा वही सबसे श्रेष्ठ होगा। भगवान विष्णु उस ज्योतिर्लिंग के अंत की ओर बढ़े किन्तु उस छोर (अंत) का पता लगाने में असफल रहे। भगवान विष्णु ने अपनी हार स्वीकार कर ली थी।
ब्रह्म देव भी ऊपर की ओर बढ़े और अपने साथ केतकी के फूल को भी साक्षी बना कर ले गए। वापस आकर ब्रह्मा जी ने भगवान शिव से मिथ्य वाक्य (झूठे शब्द) कहे कि उन्होंने ज्योतिर्लिंग के अंत का पता लगा लिया है और केतकी के फूल ने भी उनके इस मिथ्या (झूठ) को सत्य कह दिया। ब्रम्हा जी के इस झूठ ने भगवान शिव को अत्यंत क्रोधित कर दिया, क्रोध में आकर महादेव ने ब्रह्मा जी का एक सिर काट दिया और साथ ही उन्हें श्राप दे दिया कि उनकी कभी कोई पूजा नहीं होगी। ब्रह्माजी का वो कटा सिर केतकी के फूल में बदल गया। भगवान शिव ने केतकी के फूल को भी श्राप देकर कहा कि उनके शिवलिंग पर कभी केतकी के फूल को अर्पित नहीं किया जाएगा। तबसे शिव को केतकी के फूल अर्पित किया जाना अशुभ माना जाता है।
भगवान शिव जिन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है और विनाशक भी। जहां वो अपने भक्तों से बहुत ही जल्दी प्रसन्न भी होते हैं तो क्रोध के कारण बहुत जल्दी रौद्र रूप भी धारण कर लेते हैं। हम ये बात तो जानते ही हैं भगवान शिव को भांग-धतूरे का चढ़ावा बहुत पसंद है, आज हम आपको कुछ ऐसी सामग्रियां बताएंगे जिनका उपयोग शिव आराधना के समय बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
Created On :   13 July 2018 1:02 PM IST