क्यों क्रिसमस पर क्रिसमस ट्री होता है खास?
डिजिटल डेस्क । हर साल 25 दिसंबर को क्रिसमस का त्यौहार मनाया जाता है। अब क्रिसमस आने में कुछ ही दिन बचे हैं और इसको लेकर तैयारियां जोरो-शोरों से चल रही है। इस फेस्टिवल पर क्रिसमस ट्री को रंग-बिरंगी लाइट्स से सजाया जाता है, लेकिन क्या आपको इससे जुड़ी कुछ खास बातें पता हैं। क्रिसमस को लेकर अब केवल बच्चों में ही क्रेज नहीं रहा बल्कि अब बड़े भी इस त्योहार के लिए उत्साहित नजर आते हैं। इसका असर घरों की साज-सज्जा में भी देखने को मिल रहा है। लोग अब घरों को क्रिसमस ट्री से सजा रहे हैं। महीने भर के लिए किए जा रहे हॉलीडे डेकोरेशन में इस विशेष ट्री को खासा महत्व दिया जा रहा है। दरसअल इस दिन क्रिसमस ट्री को सजाना एक प्रथा रही है और अब प्रथा इंटीरियर डेकोरेशन का हिस्सा बन गई है। कभी आपने सोचा है कि क्रिसमस पर क्रिसमस ट्री सजाने का महत्व क्या है और इसे क्यों बिल्कुल भी मिस नहीं किया जा सकता है। आइए जानते हैं क्रिसमस ट्री से जुड़ी खास बातें।
- क्रिसमस ट्री पर छोटी-छोटी मोमबत्तियां लगाने का प्रचलन 17वीं शताब्दी से शुरू हो गया था।
- प्राचीन काल में क्रिसमस ट्री को जीवन की निरंतरता का प्रतीक माना जाता था। मान्यता थी कि इसे सजाने से घर के बच्चों की आयु लम्बी होती है। इसी कारण क्रिसमस डे पर क्रिसमस वृक्ष को सजाया जाने लगा।
- माना जाता है कि इसे घर में रखने से बुरी आत्माएं दूर होती हैं तथा सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
- 25 दिसम्बर से पहले क्रिसमस की जो सबसे अहम् तैयारी है उनमें एक क्रिसमस ट्री की सजावट भी है। बड़े-बच्चे-बुजुर्ग सभी क्रिसमस ट्री की सजावट में जुट जाते हैं।
- इन वृक्षों पर मोमबत्तियों, टॉफियों और बढ़िया किस्म के केकों को रिबन और कागज की पट्टियों से बांधा जाता है।
- एक मान्यता के अनुसार क्रिसमस ट्री को क्रिसमस पर सजाने की परम्परा जर्मनी से प्रारम्भ हुई। यहां से 19वीं सदी से यह परम्परा इंग्लैंड में पहुंची, जहां से सम्पूर्ण विश्व में यह प्रचलन में आ गई।
- वैसे तो क्रिसमस ट्री की कहानी प्रभु यीशु मसीह के जन्म से है। जब उनका जन्म हुआ तब उनके माता पिता मरियम एवं जोसेफ को बधाई देने वालो ने, जिनमें स्वर्गदूत भी थे, एक सदाबहार फर को सितारों से रोशन किया था। तब से ही सदाबहार क्रिसमस फर के पेड़ को क्रिसमस ट्री के रूप में मान्यता मिली।
Created On :   23 Dec 2018 8:47 AM IST