चूहों से फैलती है लेप्टोस्पाइरोसिस बीमारी, मुंबई में अब तक 4 की मौत, जानिए इसके लक्षण और बचाव
डिजिटल डेस्क । भारत में चूहे भगवान गणेश के वाहन के रूप में पूजे जाते हैं इसलिए ज्यादातर लोग इन्हें मारने की बजाय पकड़ कर कहीं दूर फेंकना पसंद करते हैं, लेकिन ये जितनी तेजी से दौड़ लगाते है उतनी ही तेजी से अपनी तादाद भी बढ़ा लेते हैं और फिर इनसे फैलती है जानलेवा बीमारियां। आपको बता दें कि मुंबई जैसे शहर में चूहों ने 4 लोगों की जान ले ली। दरअसल इन दिनों मुंबई में लगातार बारिश के बाद लेप्टोस्पाइरोसिस बीमारी फैल रही है। ये बमारी चूहों से इंसानों तक पहुंचती है। चूहों से इंसान तक फैलने वाली ये बीमारी का कारण एक लेप्टोस्पिरा बैक्टीरिया है।
इस बीमारी से मुंबई में तीसरी मौत मालड निवासी 21 वर्षीय युवक की हुई। इस बीमारी ने एक सप्ताह के अंदर ही शहर में लेप्टोस्पाइरोसिस ने तीसरा शिकार बना लिया। नागरिक निकाय के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, पहली मौत का कारण अभी तक पता नहीं लगाया गया है, दूसरे, तीसरे और चौथे पीड़ितों को निश्चित रूप से लेप्टोस्पाइरोसिससे मृत्यु हो गई है।
बीएमसी के स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, 21 जून को महिला की मृत्यु 27 जून को हुई थी। जब वो पानी से भरी हुई वाली सड़क से गुजर गई थी तब उसके पैर पर एक घाव हो गया था। इन्फेक्शन होने के कुछ ही दिन बाद उसने दम तोड़ दिया। इसके अलावा,कुर्ला निवासी 15 वर्षीय एक किशोर और गोवंडी निवासी 27 वर्षीय युवक को भी 26 जून को लेप्टोस्पाइरोसिस ने अपनी चपेट में ले लिया था और 48 घंटों में उनकी मौत हो गई। हाल ही में लेप्टोस्पाइरोसिस ने एक और शख्स की जान लेली।
इस बीमारी की खास बात है कि ये इंसानों के साथ-साथ अन्य जानवर, जैसे बिल्ली, कुत्ते और गायों को भी अपना शिकार बना रही है। लोगों को लगता है केवल घरों में खाना तलाशाने और चीजों कूतरने के अलावा चूहे ज्यादा कुछ नहीं कर सकते, लेकिन नाली और गंदी जगहों पर पलने वाले ये चूहे बीमारियों का घर होते है और किसी की भी जान ले सकते हैं। आइए जानते है लेप्टोस्पाइरोसिस बीमारी के लक्षण, इलाज और बचाव के बारे में...
भारत में पिछले कुछ सालों में लेप्टोस्पाइरोसिस गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक और अंडमान द्वीप जैसे तटीय हिस्सों में सबसे ज्यादा देखने को मिला है। भारत में लेप्टोस्पाइरोसिस के करीबन पांच हजार मामले प्रति वर्ष आते हैं, जिनमें मरने वालों का आंकड़ा 10-15 % है। इलाज के तौर पर सबसे पहले पानी और चूहे से दूर रहने की सलाह दी जाती है। इलाज के तौर पर डायलिसिस और एंटीबायोटिक दी जाती है। किडनी, लिवर या हार्ट में संक्रमण होने पर खास देखभाल करना जरूरी है। पोटैशियम का स्तर अधिक होने पर विशेष उपाय अपनाना जरूरी है।
- गंदे पानी में घूमने से बचें।
- कहीं चोट लगी हो तो उसे ठीक से ढंक कर रखें।
- बंद जूते और मोजे पहन कर रखें।
- पैरों को अच्छी तरह से साफ करें और तौलिए से सुखाएं, क्योंकि गीले पैरों में फंगल इंफेक्शन हो सकता है।
- पालतू जानवरों को टीका लगवाएं, क्योंकि जानवरों के जरिए यह संक्रमण आप तक आ सकता है।
- कोशिश करें कि बोतलबंद पानी ही पीएं।
- पूल, तालाबों, नदियां के पास जाने से बचें।
- वॉटरप्रूफ ड्रेसिंग के साथ त्वचा के घावों को कवर करें।
- बीमार या मृत जानवरों को छूने से बचें।
- घावों को धोएं और इनकी नियमित रूप से सफाई करें।
- बारिश का पानी और चूहों से दूर रहना ही बेहतर विकल्प है।
- अधिक बारिश होने और चूहों की संख्या बढ़ने के चलते जीवाणुओं का फैलना आसान हो जाता है।
- संक्रमित चूहों के मूत्र में बड़ी मात्रा में लेप्टोस्पायर्स होते हैं।
- मानसून के समय जल भराव और बहते पानी के कारण यह संक्रमण पानी में मिलकर उसे दूषित कर देता है और इसी वजह से मानसून में लेप्टोस्पाइरोसिसहोने की आशंका दोगुनी से भी ज्यादा हो जाती है।
- ये बाढ़ के पानी में मिल जाते हैं। खतरनाक जीवाणु आंख, नाक या मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश कर सकते हैं।
- स्किन में कहीं कट लगा हो या घाव हो तो उसके जरिए ये भी शरीर में चले जाते हैं।
- तेज बुखार आना, सिरदर्द, ठंड के साथ मांसपेशियों में दर्द होना इसके कॉमन लक्षण हैं।
- इसके अलावा उल्टी, पीलिया और आंखें लाल हो जाना, पेट दर्द, दस्त जैसी प्रॉब्लम्स होने लगती हैं।
- इसके ज्यादातर लक्षण डेंगू से मिलते जुलते हैं।
Created On :   26 July 2018 8:59 AM IST