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दैनिक भास्कर हिंदी: शोध के अनुसार अब मिट्टी खाने से होगा वजन कम

डिजिटल डेस्क। मोटापे से पीड़ित लोग अपना वजन कम करने के लिए क्या कुछ नहीं करते हैं लेकिन कभी-कभी कई सारे उपाय करने के बाद भी आप वजन कम करने में सफल नहीं हो पाते। तो आज जानते है एक ऐसे घरेलु उपाय के बारे में जिसका इस्तेमाल आप घर बैठे कर सकते हैं और जो करने में बहुत ही आसान है। क्या कभी आपने सोचा है कि आप मिट्टी खाकर भी अपना वजन कम कर सकते हैं। अगर नहीं, तो चलिए जानते हैं कि कैसे आप मिट्टी खाकर अपना वजन कम कर सकते हैं। दक्षिण ऑस्ट्रेलिया विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने शोध के अनुसार पाया कि एक प्रकार की मिट्टी वसा को बांधती है और वजन घटाने वाली दवा से बेहतर काम करती है
कितने बार ही आपने लोगो को, खासकर के गर्भवती महिलाओं और बच्चों को मिट्टी खाते हुए देखा होगा। स्टडी के अनुसार वैज्ञानिकों ने पाया कि एक प्रकार की मिट्टी वसा को बांधती है और वजन घटाने वाली दवा से बेहतर काम करती है। उनका मानना है कि यह प्रावृति मोटापे से लड़ने की कुंजी हो सकती है। स्टडी की रिपोर्ट में बताया गया है कि खाने के साथ एक खास तरह की मिट्टी खाने से मोटापे को कंट्रोल किया जा सकता है। स्टडी की रिपोर्ट के मुताबिक, मिट्टी खाने से शरीर में जमी चर्बी बाहर निकल जाती है।
ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन मोटे मोटे चूहों ने एक खास तरह की मिट्टी खाई, उन चूहों का वजन ऐसे चूहों के मुकाबले ज्यादा कम हुआ है, जिन्होंने वजन कम करने वाली दवाइयां खाई थी।
अमेरिकन एक्ट्रेस शैलीन वुडली और एले मैकफेरसन जैसे हस्तियां पुराने जमाने में प्रचलित मिट्टी खाने के न्यट्रिशन ट्रेंड को वापस लेकर आए हैं,जो डिटॉक्स (जहरीले या अस्वास्थ्यकर पदार्थों को शरीर से दूर करने या छुटकारा पाने के लिए) के लिए मिट्टी खाते थे। दक्षिण में खाया जाने वाला एक मिट्टी भी एंटी डायरिया के रूप में प्रयोग किया जाता है।
स्टडी की रिपोर्ट में बताया गया है कि कई संस्कृति के लोग मिट्टी खाते हैं, जिसमें USA भी शामिल है, हालांकि, दक्षिण अमेरिका में मिट्टी खाना बहुत आम बात है। साल 2015 में इसपर एक डोक्युमेंट्री फिल्म 'ईट व्हाइट डर्ट' के नाम से भी बनाई गई थी. इस फिल्म में दक्षिण अमेरिका के लोगों में काओलिन एक तरह की सफेद रंग की मिट्टी खाने की इच्छा को दिखाया गया है। जो प्यार की खोज के लिए काओलिन (खनिज जमा से बने एक प्रकार की सफेद मिट्टी) चबाते थे।
बता दें, kaolin मिट्टी Kaopectate नाम के ड्रग में पाई जाती है। एंथ्रोपोलॉजिकल रिसर्च से ये पता चलता है कि यही कारण है, जो लोगों में मिट्टी खाने की इतनी इच्छा पैदा करती है। इतिहास की बात करें तो जब लोगों का पेट खराब हो जाता था तो वे मिट्टी खाया करते थे।
लेकिन दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने पाया कि अलग-अलग तरह की मिट्टी खराब पेट को सही करने के अलावा वजन कम करने में भी बहुत असरदार साबित हो सकती है। ऑस्ट्रेलिया कि यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर रहे Tahnee Dening ऐसे कंपाउंड बनाने की कोशिश की थी, जिससे शरीर की एंटीसाइकोटिक दवाइयां एब्सोर्ब करने की क्षमता बेहतर हो सके। उन्होंने कहा, मैंने पाया कि मिट्टी के पार्टिकल्स उस तरह से काम नहीं कर रहे थे, जैसा मैंने सोचा था।
मिट्टी के पार्टिकल्स फैट को एब्सोर्स कर रहे थे। मिट्टी सिर्फ फैट को अपने पार्टिकल्स के अंदर एब्सॉर्ब नहीं कर रही थी, बल्कि ये फैट को शरीर में जमा होने से भी रोक रही थी। इससे ये तो साफ होता है कि मिट्टी खाने से फैट डाइजेस्टिव सिस्टम द्वारा आसानी से निकल जाता है।
इस बात से पता चलता है कि मिट्टी मोटापे से बचाव करने में मददगार साबित हो सकती है, लेकिन अभी तक ये साफ नहीं हुआ है कि सेलेब्रिटीज के बीच पॉपुलर बेंटोनाइट मिट्टी और दक्षिण में खाई जाने वाली kaolin मिट्टी में एक तरह के ही गुण होते हैं या नहीं।
शोधकर्ताओं ने अपनी थ्योरी की जांच करने के लिए चूहों के एक ग्रुप को हाई फैट डाइट दी। साथ ही वजन कम करने की ओर्लिस्टेट और मोंटमोरिल्लोनाइट नाम की दवाइयों में से कोई एक सप्लीमेंट दी। नतीजों में सामने आया कि जिन चूहों ने मिट्टी खाई उनका बहुत कम वजन बड़ा। इससे यह पता चला कि मिट्टी खाने से वजन कम करने की दवाइयों के मुकाबले ज्यादा फैट शरीर से बाहर निकलता है।
शोधकर्ताओं ने कहा, प्रोसेस्ड मिट्टी में शरीर के डाइजेस्टेड फैट और हमारे खाने में मौजूद तेल के साथ मिलने की ज्यादा क्षमता होती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि हम दो अलग तरीकों से फैट डाइजेशन और अब्जॉर्प्शन पर अटैक कर रहे हैं। हम आशा करते हैं कि इससे ज्यादा से ज्यादा वजन कम हो पाए और कोई साइड इफेक्ट्स भी न हों। हालांकि, Geophagy पर हुईं पिछली कुछ रिसर्च में बताया गया था कि मिट्टी के कम सेवन से सेहत को नुकसान नहीं पहुंचा। लेकिन ज्यादा मिट्टी खाने से कब्ज की समस्या हो सकती है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि इस तरह कि रिसर्च से लोगों में ये जानने की उत्सुक्ता होगी कि आखिर कब और कैसे इसे ट्राई कर सकते हैं। हालांकि आपको बता दें कि इसे खाना सुरक्षित पाया गया है, लेकिन अभी इसको इंसानों पर ट्राई करने के बाद ही शुरू किया जाएगा
भोपाल: स्कोप कॉलेज में विश्वस्तरीय प्रशिक्षण वर्कशाप की स्थापना
डिजिटल डेस्क, भोपाल। स्कोप कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग ने अपने छात्र -छात्राओं के भविष्य को संवारने के लिये भारत के आटोमोबाइल क्षेत्र में अग्रणी कम्पनी हीरो मोटोकार्प के साथ एक करार किया जिसमें ऑटोमोबाइल क्षेत्र में स्किल डेवलपमेंट के लिये एक विश्वस्तरीय प्रशिक्षण वर्कशाप की स्थापना संस्था के प्रांगण में की गई है। ये अपने आप में एक अद्वतीय पहल है तथा सभी अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है। इसमें सभी नवीनतम कम्प्यूटराइज्ड मशीन के द्वारा टू-व्हीलर ऑटोमोबाइल कार्यशाला प्रशिक्षण दिया जायेगा। इस वर्कशाप में उद्घाटन के अवसर पर कम्पनी के जनरल मैनेजर सर्विसेज श्री राकेश नागपाल, श्री मनीष मिश्रा जोनल सर्विस हेड - सेंट्रल जोन, श्री देवकुमार दास गुप्ता - डी जी एम सर्विस, एरिया मैनेजर श्री राम सभी उपस्थिति थे। साथ ही संस्था के वरिष्ठ अधिकारी डॉ. अजय भूषण, डॉ. देवेंद्र सिंह, डॉ. मोनिका सिंह, अभिषेक गुप्ता आदि उपस्थित थे। संस्था के सभी शिक्षकगण तथा छात्र-छात्रायें उपस्थित थे।
कार्यक्रम की शुरूआत सरस्वती वंदना से की गई , डॉ. मोनिका सिंह ने अतिथियों का संक्षिप्त परिचय दिया। डॉ. अजय भूषण ने सभी का स्वागत किया और बताया कि आने वाला समय कौशल विकास आधारित शिक्षा का है। कर्यक्रम में आईसेक्ट ग्रुप के कौशल विकास के नेशनल हेड अभिषेक गुप्ता ने ग्रुप के बारे मे विस्तार से बताया कि किस तरह हमेशा से आईसेक्ट ग्रुप ने कौशल विकास को हमेशा प्राथमिकता से लिया है। कार्यक्रम में एएसडीसी के सीईओ श्री अरिंदम लहिरी ऑनलाइन आकर सभी को बधाई दी तथा छात्र - छात्राओं को उनके उज्जवल भविष्य के लिये शुभाषीस भी दी।
कार्यक्रम में डॉ. देवेंद्र सिंह ने बताया कि कौशल विकास आधारित शिक्षा सनातन काल से भारतवर्ष में चली आ रही है मध्यकालीन समय में कौशल विकास पर ध्यान नही दिया गया परंतु आज के तेजी से बदलते हुए परिवेश में विश्व भर में इसकी आवश्यकता महसूस की जा रही है। इसी आवश्यकता को देखते हुये स्कोप कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में कुछ ही समय में विभिन्न क्षेत्रों के सात सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना की गई है जो की विभिन्न क्षेत्रों मे छात्र- छात्राओं के कौशाल विकास मे महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे।
भोपाल: सीआरपीएफ की 93 महिला पुलिसकर्मियों की बुलेट यात्रा का रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में हुआ आगमन
डिजिटल डेस्क, भोपाल। इंडिया गेट से जगदलपुर के लिए 1848 किमी की लंबी बुलेट यात्रा पर निकलीं सीआरपीएफ की 93 महिला पुलिसकर्मियों का रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई ने विश्वविद्यालय परिसर में आगमन पर भव्य स्वागत किया। लगभग 300 स्वयंसेवकों तथा स्टाफ सदस्यों ने गुलाब की पंखुड़ियों से पुष्प वर्षा करते हुए स्वागत किया। वहीं उनके स्वागत में एन एस एस की करतल ध्वनि से पूरा विश्वविद्यालय परिसर गुंजायमान हो उठा। इस ऐतिहासिक बाइक रैली में शामिल सभी सैन्यकर्मियों का स्वागत विश्वविद्यालय के डीन ऑफ एकेडमिक डॉ संजीव गुप्ता, डिप्टी रजिस्ट्रार श्री ऋत्विक चौबे, कार्यक्रम अधिकारी श्री गब्बर सिंह व डॉ रेखा गुप्ता तथा एएनओ श्री मनोज ने विश्वविद्यालय की तरफ से उपहार व स्मृतिचिन्ह भेंट कर किया। कार्यक्रम की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए डिप्टी कमांडेंट श्री रवीन्द्र धारीवाल व यात्रा प्रभारी श्री उमाकांत ने विश्वविद्यालय परिवार का आभार किया। इस अवसर पर लगभग 200 छात्र छात्राएं, स्वयंसेवक व एनसीसी कैडेट्स समस्त स्टाफ के साथ स्वागत में रहे मौजूद।
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