गर्भावस्था में मां का दुखी रहना बच्चे में बढ़ाता है मानसिक रोग का खतरा

डिजिटल डेस्क । प्रेग्नेंसी के वक्त महिलाओं को समस्याओं से गुजरना पड़ता है, लेकिन हर गर्भवती स्त्री इसे हंस कर सहती है क्योंकि उसे खुद से ज्यादा बच्चे की परवाह होती है। वो इस समय में सारी तकलीफों को उठाते हुए सिर्फ हेल्दी बच्चे की कामना करती है। बच्चा सही सलामत इस दुनिया में आए इसके लिए वो कई सावधानियां बरतती है। क्या करना है, क्या नहीं करना है सभी का ध्यान रखती है। जो भी सलाह कोई दे वो मान लेती है, लेकिन कई ऐसी चीजें होती है जिन्हें एक गर्भवती महिला को नहीं करना चाहिए। दरसअसल इस वक्त मां का शरीर बहुत नाजुक होता है। इस दौरान मां शारीरिक और मानसिक तौर पर बहुत ही संवेदनशील हो जाती है। कई बार घर में कुछ ऐसा हो जाता है कि गर्भवती महिला के मन को चोट पहुंच जाती है और वो दुखी हो जाती हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका परिणाम बहुत बुरा हो सकता है।
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जिस तरह गर्भअवस्था के दौरान महिला को शारीरिक पीड़ा नहीं होनी पहुंचनी चाहिए ठीक वैसे ही इस दौरान मां के मन को किसी भी तरह की ठेस नहीं लगनी चाहिए। इस दौरान इस बात का खास ख्याल रकना चाहिए कि मां मन से खुश रहे। दुखी मन का असर बच्चे पर बेहद जल्दी पड़ता है। एक ताजा शोध में सामने आया है कि अगर गर्भावस्था के दौरान मां दुखी रहती है तो इसका बुरा असर होने वाले बच्चे के मष्तिस्क पर पड़ता है। रिसर्च स्टैनफर्ड इंस्टीट्यूट फॉर इकॉनमिक पॉलिसी के दो प्रोफेसर ने किया।
रिसर्च के मुताबिक गर्भवती महिलाएं जिनके किसी करीबी की मौत गर्भवस्था के दौरान हो जाती है वो दुखी हो जाती हैं। इस दुख का असर उनके होने वाले बच्चे पर पड़ता है, लेकिन इसका असर बच्चे पर बड़ी उम्र में दिखाई देता है। जब बच्चा मानसिक रूप से परिपक्व हो रहा होता है तो उसे मानसिक बीमारियों की खतरा अन्य की अपेक्षा अधिक होता है।
अब सवाल ये है कि किसी मौत को क्या रोक दिया जाए? नहीं ये तो नामुमकिन हैं, लेकिन मौत से मां के मन पर पड़ने वाले असर को सही खान-पान से कम किया जा सकता है। इससे बच्चे पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभावों को कम किया जा सकता है।
Created On :   19 May 2018 9:56 AM IST