ज्यादा यारी दोस्ती भी रखती है दिमाग को तरोताजा, बढ़ती है मेमोरी पॉवर

डिजिटल डेस्क। कहते है ज्यादा दोस्त होने से लाइफ डिस्टर्ब हो जाती है। भारतीय परिवारों में तो 2 से ज्यादा जिगरी दोस्तों को भी शक की निगाहों से देखा जाने लगता है क्योंकि पेरेंट्स को लगता है कि जितने दोस्त होंगे उतना पढ़ाई और करियर में फोकस कम होता है और अगर शादी के बाद दोस्तों से मिलना जुलना रखो तब भी यही कहा जाता है कि दोस्त फैमिली लाइफ को खराब कर देते हैं। चाहे लड़का हो या लड़की मां-बाप को ज्यादा दोस्त किसी के पसंद नहीं आते। ज्यादा दोस्तों से मिलना जुलना, घर पर आना और फोन पर बातें करना पैरेंट्स को सख्त नापसंद होता है, लेकिन क्या आप जानते है कि ज्यादा दोस्त होने और सामाजिक दायरा बढ़ने से दिमाग पर उम्र का असर देर से होता है, दिमाग सुरक्षित रहता है और जीवन स्तर में सुधार होता है। ये खुलासा एक नई रिसर्च में हुआ है। रिसर्च के मुताबिक, यादों, भावनाओं और प्रेरणाओं को महसूस करने वाला दिमाग का हिस्सा स्पष्ट रूप से उम्र के साथ प्रभावित होता है। लोगों के दिमाग के इस हिस्से में सोशल रिलेशन प्रोटेक्टेड रहते हैं।
अमेरिका के कोलंबस में "ओहियो स्टेट विश्वविद्यालय" में "न्यूरोलॉजिकल इंस्टीट्यूट" की चीफ रिसर्चर एलिजाबेथ किर्बी ने कहा, "हमारी रिसर्च में खुलासा हुआ कि सोशिअली एक्टिव व्यक्ति के दिमाग पर उम्र का प्रभाव पड़ता है।"
जर्नल "फ्रंटियर इन एजिंग न्यूरोसाइंस" में पब्लिश की गई रिसर्च के तहत रिसर्चर्स के दल ने 15-18 महीने के चूहों के दो समूह बनाकर लगभग तीन महीनों तक स्टडी की। स्टडी तब तक की गई, जब तक उनकी नेचुरल मेमोरी पॉवर में गिरावट ना आने लगी।
चूहों को एक खिलौना पहचानने की स्टडी कर उनकी मेमोरी पॉवर परखी गई। स्टडी के परिणामों के मुताबिक समूह में रहने वाले चूहों की मेमोरी कैपेसिटी बेहतर थी। किर्बी ने कहा, "जहां अकेले साथी के साथ रहने वाले चूहे ये पहचानने में असफल रहे कि किसी वस्तु को हटाया गया है, वहीं समूह में रहने वाले चूहों ने बेहतरीन परिणाम दिए। वो दूसरी जगह रखे गए पुराने खिलौने के पास गए और अपने स्थान पर रखे गए दूसरे खिलौने को उन्होंने नजरंदाज कर दिया।" उन्होंने कहा कि भविष्य में स्टडी कर सोशल नेचर का मेमोरी पॉवर और मानसिक स्वास्थ्य से संबंधों का भी खुलासा किया जा सकेगा।
Created On :   2 Jun 2018 9:14 AM IST