बॉडी की नेचुरल क्रियाओं को रोकने से शरीर में होती है भारी परेशानी

Preventing natural function of the body can create major problem
बॉडी की नेचुरल क्रियाओं को रोकने से शरीर में होती है भारी परेशानी
बॉडी की नेचुरल क्रियाओं को रोकने से शरीर में होती है भारी परेशानी

डिजिटल डेस्क । ह्यूमन बॉडी कई जरूरी तत्वों से बनीं हैं। हमारे शरीर में कई ऐसे जरूरी अंग और क्रियाएं है जिनका निरंतर काम करना बेहद जरूरी है। केवल काम करना ही नहीं इनका तय समय पर काम करना और गति मेंटेन रहना भी जरूरी है। कई बार खेल-खेल में या मजाक मस्ती में छींक आने के वक्त हम अपने दोस्तों की नाक पकड़ लेते हैं। इससे छींक रूक जाती है, लेकिन क्या आप जानते है कि छींक के वक्त अचानक नाक बंद करने से दिमाग की नसें फट सकती है। आज हम आपको शरीर अंगों के बारे में बताने जा रहे हैं। जिन्हें रोकने से भारी शारीरिक और मानसिक परेशानी हो सकती है।

 
1- सांस 

सांस बन्द हो जाए तो प्राण निकल जाते हैं। बच्चे अक्सर खेल-खेल में ऐसा करते है। कई लोग जल्दी-जल्दी सांस लेते हैं। बता दें सांस जितनी लंबी और गहरी होगी शरीर उतना फ्रेश रहेगा। वहीं सांस जितना संभव हो उतनी गहरी और तेज लेनी चाहिए । 

 

2- यूरीन

यूरीन को रोकने से यूरीन सैक या बैग (Urine sac) में सक्रंमण होने का खतरा बढ़ जाता है। लिंगेन्द्रियो में दर्द होता है, मूत्र रुक-रुक कर और कष्ट से होता है, सिर मे दर्द होता है, शरीर सीधा नहीं होता है, पेट मे आफरा तथा जांघों के जोड़ो में शूल से चलते है। आंखों की रोशनी कमजोर होती है। 

 

3- स्टूल

स्टूल रोकने से गैस बनती है और गैंस से पेट फूल जाता है। स्टूल रोकने से पेट मे गड़गड़ाहट और दर्द होता है, पेट साफ नहीं होता है, डकारे आती है,स्टूल ना होने से मष्तिक में दर्द होता है।  ये लक्षण मध्वाचार्य ने लिखे है।

 

4- निद्रा

नींद ना होने से बार-बार जमाई आती है, थकान होती है, शरीर में दर्द रहता है, आंंखें और दिमाग जकड़े से महसूस होते है। निद्रा को रोकने से इम्कयूनिटी पावर कम होती है और चिड़चिड़ापन रहता है। 

 
5-आंसू 

दुख में आंसू न निकले तो व्यक्ति पागल हो सकता है या किसी सदमे से उसकी मृत्यु भी हो सकती है। इस वेग को रोकने से दिमाग का भारीपन, नेत्र दोष, जुकाम, आंखों के रोग, ह्रदय रोग, अरुचि और भ्रम आदि रोग हो सकते है। 

 

6- वीर्य (Semen)

वीर्य के रूकने से प्रोसट्रेट का कैंसर होने का खतरा होता हैं। मध्वाचार्य ने लिखा है की शुक्र यानि वीर्य को रोकने से मुत्राशय मे सूजन, गुदे और फोतो में पीड़ा, पेशाब का कष्ट से होना ,शुक्र कि पत्थरी और वीर्य का रिसना, जैसे अनेक रोग होते हैं। चरक सहिंता मे लिखा है है कि मैथुन करते समय छूटते वीर्य को रोकने से लिंग और फोतो मे दर्द होता है। अंगड़ाई आना, हृदय में पीड़ा और पेशाब का रुक रुक के आना आदि बीमारी हो सकती है।  

 

7- प्यास 

प्यास लगने पर पानी ना पीने से रोकने से शरीर में कफ प्रबल हो जाता है। इसके वेग को रोकने से कंठ और मुंह सूखते है, कानोँ मे कम सुनाइ देता है, क़ब्ज़ होती है, मधुमेह का रोग और हृदय मे पीड़ा होती है। 
 

8- भूख

इसके वेग को रोकने से सुस्ती, शरीर टूटना, अरुचि थकान और नजर कम होना और शरीर मे दुर्लभता आना आदि। भोजन शरीर के लिए महतपूर्ण है। भोजन समय पर ग्रहन करें। भोजन को एक साथ ना खाकर दिन मे थोड़ा थोड़ा खाएं। पौष्टिक आहार ही ले। 

 

9- अधोवायु (Flatulence)


अधोवायु यानि गुदा द्वारा निकलने वाली हवा को शर्म और लज्जावश रोकने से अधोवायु,मल और मूत्र दोनो रुक जाते है, गैंस से पेट फूल जाता है, बड़ी आंत में संक्रमण, मल का आँतों में रूकना और थकान सीं महसुस होने लगती है। पेट मे बादी से दर्द होने लगता है तथा वायु विकार होने लगता है। 

 

10- वोमेटिंग

इसके वेग को रोकने से यानि आती हुईं क़य को रोकने से खुजली, चकते, अरुचि, मुंह पर झांई सूजन ,पीलिया ,सुखी ओकारी आदि उपद्रव होते है। इन रोगों को दुर करने के लिये भोजन के बाद वमन कारणि चाहीये। इनके अलावा रुखे पदार्थो का सेवन, कसरत जुलाब ये सभी उत्तम उपाय है। 
 

11- छींक

इसके वेग को रोकने से गर्दन के पिछे की मन्या नामक नस जकड़ जातीं है ,सिर मे शूल से चलतें है आधा मूँह टेड़ा हो जाता है ,और अर्धांग वात रोग हो जाता है ,चरक सहिंता मे लिखा है गर्दन का जकड़ना, मस्तक शूल, लकवा, आंधा सीसी इन्द्रियों की दुर्बलता होती है। 
 

12- डकार

डकार हमारी पाचन तन्त्र की ख़तरे की घण्टी दो हमें चेतावनी देता भोजन हम जल्दी जल्दी खा रहे या ज़रूरत और क्षमता से ज्यादा खा रहे। इसके वेग को रोकने से बादी के रोग होते है, कंठ और मुँह का भारी सा मालूम होंना, हिचकी खॉंसी, अरुचि, हृदय तथा छाती का बन्धा स महसुस करना, डकार को रोकने से गैस से संबधित बीमारी होती है।  
 

13- जम्हाई

जम्हाई के वेग को रोकने से गर्दन के पिछे की नस और गले का जकड़ जाना, मस्तक मे विकार होना, नेत्र रोग, मुख रोग और कान के रोग का होना का ख़तरा होता है।

Created On :   4 Jan 2019 2:19 PM IST

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