रोजे में रोजाना लें पौष्टिक आहार...
डिजिटल डेस्क । रमजान का पाक महीना चल रहा है और इस महीने में मुस्लिम संप्रदाय का हर इंसान रोजा रखता है। ये इबादत का महीना होता है और सभी रोजा रख कर ऊपर वाले से दुआ करते है। इन दुआओं का मकसद समाज से बुराई हटाना और इंसानियत को और बेहतर बनाना है। चूंकि गर्मी, प्रीमॉनसून और फिर कुछ दिनों में मॉनसून दस्तक देगा। ऐसे में मौसम ढंडा-गर्म रहेगा। बदलते मौसम में ये बहुत जरूरी है कि आप रोजे में भी अपने शरीर को भरपूर पोषण पहुंचा सके। ये तो सभी जानते है कि सुबह सूर्य उदय से पहले रोजे की शुरूआत होती है और सूर्य अस्त बाद में रोजा खोला जाता है। जो लोग रमजान के पवित्र महीने में रोजा रखते हैं, उनके लिए पोषक आहार के साथ दिन की शुरुआत करना अच्छा रहता है, ताकि दिनभर एनेर्जेटिक बने रहें, तो चलिए जान लेते है कि रोजा रखते वक्त आपको किन बातों और पोषक आहार का ख्याल रखना चाहिए।
- तड़के खाए जाने वाली सहरी को कभी नहीं छोड़ें क्योंकि ये आपके लिए मुख्य भोजन है, जिस पर पूरा दिन आपका शरीर निर्भर रहता है।
- रात में भीगे बादाम आदि के साथ अपने दिन की शुरुआत करें और फिर फलों के साथ जूस या दूध का सेवन करें।
- दिनभर खुद को तृप्त महसूस कराने के लिए उच्च-फाइबर वाला आहार जैसे सब्जियों के साथ पनीर/ चिकन/अंडे के साथ मल्टीग्रेन वाली रोटी का सेवन करें।
- ओट्स या मल्टीग्रेन आटे से बने स्टफ परांठे के साथ नॉन-स्टिक पैन पर बने पनीर या अंडे की भुरजी खाएं, जिससे दिनभर आपके शरीर को तृप्ति महसूस होगी।
इफ्तार (रोजा खोलने के समय)
- शाम के समय नमक और चीनी डाले गए एक गिलास नींबू पानी के साथ रोजा खोलें, इससे आपके शरीर में पानी की कमी नहीं होगी।
- खजूर परंपरागत रूप से और स्वास्थ्य के लिहाज से भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये ऊर्जा का स्रोत और महत्वपूर्ण पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं।
- मधुमेह रोगियों को खजूर के सेवन से बचना चाहिए और जिन्हें लैक्टोस से समस्या है, वो नियमित दूध के बजाय सोया मिल्क का सेवन कर सकते हैं।
- थोड़े अंतराल के बाद उचित रूप से आहार का सेवन करें, जिसमें ब्राउन राइस या उच्च फाइबर युक्त रोटी, ढेर सारा वेजिटेबल सलाद, लीन मीट, मछली या अंडा शामिल हो।
अगर आप मरीज है तो कैसे रखें रोजा?
- मधुमेह से पीड़ित लोगों के शरीर में रोजे के दौरान ग्लूकोज का स्तर कम या ज्यादा होने का जोखिम रहता है। असमय भोजन और दवाओं के अनुचित सेवन से शरीर में ब्लड शुगर का स्तर कम हो सकता है और इससे हाइपोग्लाइसीमिया हो सकता है, जिससे कमजोरी और कमजोरी, चक्कर या मूर्छा आना जैसी समस्या हो सकती है।
- उच्च रक्तचाप से पीड़ित लोगों को समय पर दवाईयां लेनी पड़ती है, क्योंकि ऐसा नहीं करने पर गंभीर प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। रमजान के दौरान सख्त नियम रोजे की अवधि में दवा या पानी के सेवन की अनुमति नहीं देते। उच्च रक्तचाप वाले लोगों के लिए इस तरह के बदलाव नुकसानदायक साबित हो सकते हैं।
- थायराइड से पीड़ित जो लोग नियमित रूप से दवाई लेते हैं, उनके लिए अनुचित या असमय दवाईयां लेने से शरीर में हॉर्मोनल असंतुलन हो सकता है, इसलिए दवाईयां लेना नहीं छोड़ें।
- गर्म मौसम में देर तक भूखा-प्यासा रहने से स्वास्थ्य संबंधी कुछ समस्या जैसे डिहाइड्रेशन हो सकता है, जिससे कमजोरी, सिरदर्द हो सकता है।
- देर तक खाली पेट रहने से पेट में दर्द, पेट का फूल जाना, गैस बनना जैसी समस्या हो सकती है, इससे बचने के लिए "सहरी" के अपने हिस्से को नहीं छोड़ें।
- रोजे के दौरान सेवन किए जाने वाले भोजन आमतौर पर वसा से भरपूर और ज्यादा तले-भुने होते हैं, इससे जिन लोगों को कोलेस्ट्रॉल की पहले से समस्या है, उनमें इसका स्तर बढ़ सकता है और हृदय संबंधी समस्या हो सकती है।
- हर कोई लंबी अवधि तक भूखा-प्यासा रहने में सक्षम नहीं होता। देर तक भूखा-प्यासा रहने से कई लोगों में कमजोरी हो सकती है।
Created On :   3 Jun 2018 10:49 AM IST