बचपन में खाई Paracetamol किशोरावस्था में बना सकती है अस्थमा का मरीज

डिजिटल डेस्क। अक्सर ही जब बच्चों को हल्का बुखार होता है तो घर पर ही मांएं उन्हें पैरासिटामोल (Paracetamol) दे देती है। वो ऐसा शायद इसलिए करती हैं क्योंकि जब बच्चों को डॉक्टर के पास ले जाया जाता है तो खुद डॉक्टर ही बच्चों को पैरासिटामोल दवा प्रेस्क्राइब कर देता है। आपने भी अपने बचपन कई दफा Paracetamol खाई होगी। इसका चलन भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा होता है। इन इलाकों में दवा के नाम पर Paracetamol को ही जाना जाता है। बच्चे ही नहीं बड़े भी इस दवा का अधिक इस्तेमाल करते हैं। भले ही Paracetamol खाने से उस समय आपको राहत मिलेगी, लेकिन आगे चलकर ये स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। बच्चों को बचपन में Paracetamol देने से किशोरावस्था में उन्हें अस्थमा होने की आशंका रहती है। एक रिसर्च में भी ये खुलासा हुआ है कि अगर बच्चे के जन्म के बाद 2 साल तक उन्हें पैरासिटामोल दवा दी जाती है, तो उन बच्चों में दमा की बीमारी हो सकती है।

हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि पैरासिटामोल और दमा के बीच भले ही गहरा संबंध है लेकिन, ऐसा भी नहीं है कि बुखार की दवा लेने से लोगों को दमा हो जाए। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस परिणाम की पुष्टि करने के लिए अभी और शोध करने की जरूरत है। इस निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए शोधार्थियों ने 18 वर्ष तक की आयु के 620 बच्चों का अध्ययन किया। इसमें शामिल किए गए सभी बच्चों के कम से कम एक परिजन को दमा, एग्जिमा (त्वचा रोग) या अन्य एलर्जी संबंधी बीमारी जरूर थी।

वैज्ञानिकों ने कहा है कि अगर बच्चों को उनके जीवन के शुरूआती दो सालों में बुखार आने पर पैरासिटामोल दवा दी जाती है, तो 18 साल की उम्र तक आते-आते उन्हें दमा होने का खतरा बढ़ जाता है। शोधार्थियों ने कहा है कि पैरासिटामोल खाने से दमा होने का खतरा उन लोगों में ज्यादा है, जिनमें जीएसटीपी-1 जीन होती है।
Created On :   27 Sept 2018 9:56 AM IST